हमेशा से कुछ अलग करने की इच्छा रखने वाले अभिनेता अविनाश द्विवेदी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से है. अभिनय के अलावा उन्होंने डांस और टायक्वोंडो में प्रशिक्षण लिया है. साथ ही वे एक लेखक भी है. उनके पिता व्यवसायी होने की वजह से थोड़े दिनों बाद परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गए और अविनाश ने अपनी पढाई दिल्ली में की. अविनाश को बचपन से पढाई में मन नहीं लगता था, केवल माता-पिता को खुश करने के लिहाज से पढने बैठते थे. उनके पेरेंट्स चाहते थे कि वह इंजिनियर बने.ऑनलाइन डांस रियलिटी शो में भाग लेकर वे मुंबई आये और अभिनय के लिए संघर्ष करने लगे. इस बीच उन्हें कई विज्ञापनों और टीवी धारावाहिकों में काम करने का मौका मिला. काम के दौरान उनका परिचय संभावना सेठ से हुआ,प्यार हुआ और शादी की. अविनाश की फिल्म‘रिक्शावाला’ ओटीटी प्लेटफॉर्म बिग बैंग एम्युजमेंट पर रिलीज होने वाली है. ये एक आवर्ड विनिंग फिल्म है, जिसमें अविनाश ने कोलकाता के हाथ रिक्शा चलाने वाले मनोज की भूमिका निभाई है,उनसे बात करना रोचक था, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-इस फिल्म में काम करने की खास वजह क्या रही?

ये फिल्म बहुत अधिक लेयर्ड वाली है, क्योंकि इसमें इमोशन, लव और एक व्यक्ति के सपनों को भी दिखाया गया है. साथ ही रीयलिस्टिक फिल्म है, बहुत अधिक फ़िल्मी नहीं. इसमें मैंने एक गरीब लड़केकी भूमिका निभाई है, जिसका किसी से प्यार, इमोशन और सपने इन तीनो को साथ-साथ दिखाने की कोशिश की गयी है.

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सवाल-इस फिल्म को करने के लिए आपने कितनी तैयारियां की ?

इस फिल्म के लिए मुझे बहुत अधिक तैयारी करनी पड़ी है. पहले मुझे एक रिक्शा वाले की तरह लगना, उसके रहने के माहौल को समझना था, लेकिन मेरे निर्देशक राम कमल मुख़र्जी ने मुझे फिल्म को समझने में बहुत सहयोग दिया. उन्हें फिल्म की एक-एक बात पता थी, जिसे उन्होंने मेरे साथ शेयर किया. मुझे इस फिल्म के लिए बांग्ला भाषा सीखना पड़ा. उन्होंने कहा था कि मेरे लिप्सिंग के बाद वे किसी बंगाली से डबिंग करवा सकते है, लेकिन मैंने फिल्म की सारी चीजों को खुद ही करना उचित समझा और निर्देशक के भेजे हुए बांग्ला एक्सेंट को सुनकर प्रैक्टिस करता था, इसके अलावा मैंने कई बांग्ला गाने सुनकर भाषा को ठीक किया. कोलकाता जाकर हाथ रिक्शा चलाने की कोशिश की. नंगे पाँव तीन लोगों को बैठाकर रिक्शा चलाना बहुत मुश्किल था, इस दौरान मैंने कई बाइक और साइकिल तोड़ी है.

सवाल-इस फिल्म को खुद से कितना रिलेट कर पाते है?

इस चरित्र से मैं बहुत कम रिलेट कर पाता हूँ, लेकिन समानता की बात करें तो मेरा जन्म गोरखपुर में हुआ. आज से 30-35 साल पहले पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार से लोग कमाने के लिए कोलकाता जाते थे, जहाँ व्यक्ति कुछ कमा सकता है. मेरे पिता को भी कमाने के लिए कोलकाता भेजा गया था. ये कहानी भी एक बिहारी रिक्शा वाले की है, जो कोलकाता कमाने के लिए जाता है, इन सारी बातों से मैं खुद को थोडा जोड़ पाता हूँ.

सवाल-एक्टिंग में आने की इच्छा कैसे हुई?

अभिनय की इच्छा होश सम्हालते ही हो गया था, जब मैं 12 साल का था उस दौरान मैंने ऋतिक रोशन की फिल्म ‘कहो न प्यार है’ को देखकर बहुत प्रभावित हुआ और अभिनय में आने का मन बना लिया. इसके बाद मैंने दिल्ली में डांस और अभिनय की ट्रेनिंग ली. मार्शल आर्ट सीखा और पक्के इरादे के साथ अभिनय के क्षेत्र में आ गया.

सवाल-आपके अभिनय की इच्छा सुनने के बाद माता-पिता का रिएक्शन कैसा था?

उन्होंने पहले मुझे ड्रामा बंद करने के लिए कहा और अच्छी पढाई कर इंजीनियर बनने की सलाह दी, पर मेरा मन पढाई में नहीं लगता था. मैं उन्हें दिखाने के लिए ही पढता था. पहले मेरे पेरेंट्स ने मुझे सहयोग नहीं दिया, पर धीरे-धीरे मेरी अचीवमेंट को देखकर वे सहयोग करने लगे. मैं दो डांस रियलिटी शो में भाग लेकर मुंबई आ गया.

सवाल-पहला ब्रेक कैसे मिला?

पहला ब्रेक मुझे ऑडिशन के द्वारा एक टीवी विज्ञापन के लिए मिला था. इसके बाद कई विज्ञापनों में काम किया. भोजपुरी और शार्ट फिल्में भी की. अब इस फिल्म को करने का मौका मिला.

सवाल-बिग बॉस फेम संभावना सेठ से आप कैसे मिले?

मैं एक डांस रियलिटी शो के साथ एक प्रतियोगी के रूप में मुंबई आया था. उस टीम की मेंटर संभावना सेठ थी. उस रियलिटी शो में मैं पहली बार उनसे मिला था. शो ख़त्म होने के बाद भी हमदोनों की दोस्ती बनी रही और धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गयी. फिर हमदोनो ने 4 साल साथ रहने के बाद शादी की. मैं संभावना की इमानदारी और मेहनत को देखकर आकर्षित हुआ था.

सवाल-संभावना बहुत साहसी और स्पष्टभाषी है, ऐसे में दोनों एक दूसरे को कैसे समझ पाते है?

पहले मुझे भी वैसी ही लगी थी, लेकिन समय के साथ मैं उसे जान पाया और उनके साथ समय बिताना अच्छा लगने लगा. हम दोनों का एक दूसरे को समझना मुश्किल नहीं है, क्योंकि हम दोनों ही स्पष्टभाषी है.

सवाल-क्या किसी प्रोजेक्ट को चुनने से पहले उसकी चर्चा संभावना के साथ करते है?

अवश्य करता हूँ, वह मेरी सबसे बड़ी आलोचक है. उसके अनुसार ही मैं फिल्मे चुनता भी हूँ. वह मेरे किसी भी काम को देखती है और अपनी राय देती है. इससे मुझे हर फिल्म में ग्रो करने का मौका मिलता है.

सवाल-आगे ड्रीम क्या है?

आगे मैं अभिनय के अलावा फिल्में बनाना और लिखने की इच्छा रखता हूँ, जहाँ लोग आकर अपनी आजादी के साथ काम कर सकें.

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सवाल-कोविड पीरियड में काम करते हुए कितना एहतियात बरतते है?

बहुत करना पड़ता है, क्योंकि अभी काम बहुत कम हो रहा है. इसलिए कहानियां भी कम लोगों को ध्यान में रखकर लिखी जा रही है. टीम में जो लोग शामिल होते है उनका आरटीपीसीआर हर 14 दिन में कराया जाता है, लेकिन हर बार कोई न कोई पॉजिटिव निकल जाता है. फिर उस व्यक्ति की बदले में दूसरे को लाना पड़ता है. टीका सबको लगने के बाद कुछ नार्मल होने की संभावना है.

सवाल-एक नागरिक होने के नाते इस महामारी से आपने क्या सीखा?

अभी ऐसा समय है, लोगों के पास काम नहीं है, वे घर पर बैठे है, खाने के लिए पैसे नहीं है, लोग कहीं घूमने नहीं जा सकते. असल में जब व्यक्ति सबकुछ छोड़ देता है, तो अंत में व्यक्ति और उसका परिवार ही बचता है, जो अंत तक साथ देता है. तब उस व्यक्ति को अपने परिवार का महत्व और समय देने की बात का पता चलता है. जब व्यक्ति अपने परिवार को समय देता है, तो वह दूसरों के लिए भी बहुत कुछ कर पाता है. मैंने भी काफी लोगों की मदद की और वह तब किया जब मैंने अपने लोगों को कोविड से भुगतते हुए देखा. हर व्यक्ति को अपने माता-पिता और परिवार को उतना ही महत्व देने की जरुरत है, जितना व्यक्ति अपने काम और पैसे को देता है.

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