जमशेदपुर में जन्मीं, सुंदर व मृदुभाषी रसिका दुग्गल ने दिल्ली से सोशल कम्यूनिकेशन मीडिया में पोस्टग्रैजुएट डिप्लोमा के बाद एफटीआईआई में भी पोस्ट ग्रैजुएट किया है. उन्होंने कैरियर की शुरुआत वर्ष 2007 में पहली हिंदी फिल्म 'अनवर' में एक छोटी सी भूमिका के साथ किया था. इस के बाद फिल्म 'नो स्मोकिंग', 'हाईजैक', 'तहन', 'अज्ञात', 'क्षय' आदि फिल्मों के साथसाथ 'पाउडर', 'रिश्ता डौट कौम', 'किस्मत' आदि टीवी शो में दिखाई दीं.

उन की फिल्मी जर्नी सफल नहीं रही, लेकिन ओटीटी ने उन्हें खुल कर काम करने का मौका दिया और वह पौपुलर हुईं. इतना ही नहीं, उन्हें आजतक अधिकतर रोनेधोने के कम से कम 2 सीन्स फिल्मों में दिए जाते थे, जिस से वह कई बार परेशान हो जाती थीं और टाइपकास्ट से बचने की कोशिश कर रही थीं. ओटीटी ने उन्हें उन्हे इस का अवसर दिया.

हाल ही में उन की वैब सीरीज 'शेखर होम' रिलीज हो चुकी है, जो एक डिटैक्टिव सीरीज है, जिस में उन के काम को काफी सराहना मिल रही है. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की। पेश हैं, कुछ अंश :

स्क्रिप्ट का अच्छा होना जरूरी

यह सीरीज रसिका के लिए एक नई चुनौती रही, जिसे करने में बहुत अच्छा लगा. वे कहती हैं कि इस से पहले मैं ने 'डिटैक्टिव' ड्रामा के बारे में ऐक्स्प्लोर नहीं किया था, जिस का मौका इस सीरीज में मिला. साथ ही मुझे के के मेनन के साथ काम करने की इच्छा भी थी, क्योंकि उन की फिल्म ‘हजारों ख़्वाहिशें ऐसी’ मेरी पसंदीदा फिल्म है और जब मैं ने सुना कि शेखर होम उन की वैब सीरीज है, तो मेरे लिए मना करने की कोई वजह नहीं थी.

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