नेवी आफिसर की बेटी और कानून, वकालत की पढ़ाई पूरी कर चुकी अभिनेत्री नायरा बनर्जी अब तक सुपर हिट तेलगू फिल्म ‘‘आकड़ू’’ के अलावा दक्षिण भारत की 18 फिल्मों  तथा हिंदी में प्रियदर्शन के निर्देशन में ‘‘कमाल धमाल मालामाल’’ व ‘वन नाइट स्टैंड ’’ सहित कुछ दूसरी फिल्मों में अभिनय करने के बावजूद उन्हे वह शोहरत नही मिली, जिसकी उन्हें चाहत थी. परिणामतः शोहरत पाने के लिए नायरा बनर्जी ने छोटे परदे का रूख करते हुए टीवी सीरियल ‘‘दिव्यदृष्टि’’में दिव्या शर्मा का किरदार निभाकर रातों रात स्टारडम पा लिया. फिर उन्होने ‘एक्सक्यूज मी मैडम’, ‘हेलो जी’जैसे सीरियल व वेब सीरीज की. इन दिनों नारी उत्थान के मकसद से बनाए गए ‘‘दंगल टीवी’’ के सीरियल ‘‘रक्षाबंधनः रसाल बनी अपने भाई की ढाल’’में नायरा बनर्जी चकोरी के नगेटिब किरदार में नजर आ रही हैं.

प्रस्तुत है नायरा बनर्जी से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .

आपकी दक्षिण भारत की पहली फिल्म ‘‘ओकाड़ू’’सुपर डुपर हिट हुई थी. उसके बाद दक्षिण भारत. . ?

-इस फिल्म के बाद मैने वहां पर एक दो नहीं बल्कि 12 फिल्में की. पर वहां पर एक समस्या यह है कि फिल्म की असफलता का सारा दोष हीरोईन के सिर मढ़ दिया जाता है. इसके अलावा मुझे वह पर ज्यादातर ‘बहनजी’ टाइप के किरदार ही मिल रहे थे, जो कि मैं नही हूं. मुझे विविधतापूर्ण किरदार निभाने हैं. दूसरी बात जिस तरह के किरदार मुझे बॉलीवुड या हिंदी सीरियलों में मिलते हैं, वैसे सशक्त व चुनौतीपूर्ण किरदार वहां नहीं मिले. मैं महज पैसा कमाने के लिए इस क्षेत्र में नही आयी हूं.

अब तक के अपने अभिनय कैरियर को किस रूप मंे लेती हैं?

-देखिए, मैने सिर्फ अभिनय नहीं किया, बल्कि मैने बतौर सहायक निर्देशक टोनी डिसूजा के साथ फिल्म ‘अजहर’ भी की है. मैने तेलगू के अलावा कन्नड़, मलयालम, तमिल फिल्मों में भी अभिनय किया है. वहीं मैने ‘‘कमाल धमाल मालामाल’’, ‘‘इश्क ने क्रेजी किया रे’’,  ‘‘वन नाइट स्टैंड’’ और ‘‘आपरेशन कोबरा’’ जैसी हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया. उसके बाद मैने 2019 में टीवी सीरियल‘‘दिव्य दृष्टि ’’की. 2020 में सीरियल ‘‘एक्सक्यूज मी मैडम’’ की. ‘दिव्य दृष्टि’से मुझे बहुत प्यार,  लोकप्रियता और स्टारडम मिला. ‘एक्सक्यूज मी मैडम’’ देखकर एकता कपूर ने बुलाकर मुझे वेब सीरीज‘‘हैलो जी’’करने का अवसर दिया, जिसे जबरदस्त सफलता मिली. अब लोगों को इसके दूसरे सीजन का बेसब्री से इंतजार है. इन दिनों ‘दंगल’टीवी के सीरियल ‘रक्षाबंधनः रसाल बनी अपने भाई की ढाल’’में काम कर रही हूं. मैने फिल्मों में बेहतरीन काम किया, पर दुर्भाग्य से फिल्में बाक्स आफिस पर कारनामा नही दिखा सकी. लेकिन टीवी सीरियल से जुड़ते ही मुझे स्टारडम नसीब हो गया. टीवी पर लोकप्रियता व पैसा दोनों तुरंत मिलते हैं. टीवी हर व्यक्ति तक पहुंचता है और हर कोई आपका चेहरा देख रहा है.

आपने प्रियदर्शन जैसे दिग्गज निर्देशक के अलावा कई बड़े बजट की फिल्मंे की, पर आपको वह शोहरत क्यों नहीं मिल पा रही थी, जो मिलनी चाहिए थी?

-देखिए, दक्षिण भारत में मेरी फिल्मेंसफल हुई, पर मुझे वैसी शोहरत नही मिली, जैसी मिलनी चाहिए थी. उस वक्त फिर मैं लगातार फिल्मों में काम नही कर रही थी. मैं तो कालेज की पढ़ाई के साथ कर रही थी, जिससे मेरा जेब खर्च निकल रहा था. कलाकार के तौर पर आत्मसंतुष्टि नहीं मिल रही थी.

तो वहीं बॉलीवुड की कार्यशैली बहुत अलग है. यहां कई बार ऐसा हुआ कि हिंदी की किसी बड़ी फिल्म के लिए मेरा चयन हुआ, पर बाद मेें मेरी जगह कोई स्थापित कलाकार अथवा ‘स्टार किड’आ गया. फिल्म इंडस्ट्ी मे जिनसे मेरी दोस्ती थी, वह कहते थे कि हम फलंा स्थापित कलाकार का इंतजार कर रहे हैं, वह नही मिलेगा, तब नए कलाकार के बारे में सोचेंगें. प्रियदर्शन की फिल्म‘‘कमाल धमाल मालामाल’’ करने के बाद मुझे कुछ फिल्में मिलीं, मगर शूटिंग शुरू होने से पहले वह फिल्म मुझसे छीनकर किसी अन्य कलाकार को दे दी गयी.

फिल्म ‘‘कमाल धमाल मालामाल’’ उतनी सफल नही हुई,  जितनी हमने सोचा था. फिर फिल्म ‘वन नाइट स्टैंड’ भी नही चली, जबकि उसमें सनी लियोन भी थी और उन दिनों सनी लियोन की हर फिल्म सफल हो रही थी. मैने सोचा कि बॉलीवुड में मेरे कदम की शुरूआत अच्छी हुई थी. प्रियदर्शन जैसे सफल निर्देशक के साथ बड़े सेट अप की फिल्म की थी. दूसरी फिल्म सनी लियोन के साथ की थी. यह पुरानी फिल्म ‘अर्थ’ का आधुनिक रीमेक थी. मैने इसमें एक ऐसी पत्नी का किरदार निभाया था, जो सही चीज के लिए खड़ी होती है. पर शायद उस वक्त मेरी तकदीर सही नही थी. मेरे सितारे सही नही थे.

तो फिल्मों में शोहरत न मिलते देख आपने टीवी की तरफ रूख कर लिया?

-जब फिल्में मिलने के बावजूद मेरे हाथ से छीनी जाती थी,  उस वक्त मेरे मन में सवाल उठते थे कि मैं फिल्मों के लिए हूं या नहीं हूं?‘वकालत के क्षेत्र में कैरियर न बनाने का निर्णय सही था या नहीं?कहीं न कहीं उहापोह में थी मैं. ऐसे वक्त में कास्टिंग डायरेक्टर की सलाह पर मैंने सीरियल ‘‘दिव्यदृष्टि’’ में अभिनय किया और मेरी शोहरत का ग्राफ अचानक कई गुना बढ़ गया. वास्तव में ‘दिव्यदृष्टि’के कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा था कि इस सीरियल में अभिनय करने के बाद लोग मुझे घर घर जानने लगेंगे. फिल्में तो आएंगी व जाएंगी, जो लोग फिल्म देखेंगे वही याद रखेंगें. पर लोग पहचानेंगे नही. लेकिन टीवी पर काम  करने के बाद लोग पहचानेंगंे, फैंस मिलेंगे. तुम्हे लोग अपनी दुकान व संस्थान की रिबन कटिंग करने के लिए बुलाएंगे. इस तरह काफी पैसे मिलेंगें. इस तरह एक कैरियर बनना शुरू होगा. उसी दौरान मैने परिवार की रीढ़ अपने पापा को खोया. तब मुझे यह कदम उठाना ही था.

अब मेरी समझ में आ गया कि फिल्म, दक्षिण भारतीय फिल्मों या टीवी सीरियल या वेब सीरीज का कोई अंतर नही है. यह बात है सिर्फ अभिनय की. यह बात है खुद की क्षमता की. हर माध्यम में कलाकार के तौर पर अभिनय करना है. अभिनय में कहीं कोई अंतर नही है.  फिलहाल टीवी में पैसा और शोहरत दोनों मिल रही है. शायद मेरे अंदर समझदारी आ गयी. लोग आपके अभिनय को जिस माध्यम मंे ज्यादा पसंद करें और जहां आपको चुनौतीपूर्ण किरदार मिले, वहां काम कीजिए. फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत पाने के लिए आपको लगातार सफल फिल्में करनी होती हैं. खुद को हर आफर को लपकना होता है. आप साल में एक फिल्म करके बैठ जाओगो, तो लोग भुला देते हैं.

लेकिन सीरियल का प्रसारण खत्म होते ही लोग भूल जाते हैं और शोहरत भी गायब हो जाती है?जबकि फिल्मों का स्टारडम लंबे समय के लिए होता है. यह फर्क आपको नही नजर आया?

-यह फर्क नजर आया.  सच तो यही है कि मैं टीवी पर काम नही करना चाहती थी. क्यांेकि मैने दर्जन भर से अधिक फिल्मे की हैं, तो फिर मैं टीवी क्यों करुं?यह बात मेरे दिमाग में थी. उन दिनों वैसे भी फिल्म वाले टीवी से जुड़े कलाकारों व निर्देशकों को अछूत की तरह देखते थे. कहा जाता था कि टीवी सीरियल में काम करने वालों का चेहरा ‘ओवर एक्सपोज’ हो चुका है. फिर भी मैं फिल्मों में अच्छा काम करने के बाद टीवी पर आयी हूं. सीरियल ‘दिव्यदृष्टि’ के कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा कि, ‘नायरा, जब तक तुम सलमान खान या दीपिका पादुकोण नही हो जाती, तब तक तुम पापुलर चेहरा नही हो. आप सिर्फ एक कलाकार हो. फिल्म सफल हो गयी, तो ठीक है. फिल्म असफल हो गयी, तो तुम फिर से उसी जगह पहुॅच जाती हो, जहां से आपने शुरूआत की थी. लेकिन जब आप टीवी पर काम करती हैं, आप एक जाना पहचाना चेहरा बन जाती हो यानी कि शोहरत की शुरूआत हो जाती है. कम से कम टीवी सीरियल से जुड़ने पर हर दिन आपके पास काम रहेगा. हर दिन आपको पैसे मिलेंगे. तो यह सब सकारात्मक बातों पर ध्यान दो. ’’उसके बाद मेरी सोच बदली. मुझे उसकी बातों में सच्चाई नजर आयी.

सीरियल में एक ही किरदार लंबे समय तक निभाते हुए बोरियत नही होती?किरदार मोनोटोनस नही हो जाता?यह बात कलाकार के तौर पर तकलीफ नही देती?

-तकलीफ देती है. पर मैं सीरियल के निर्माता व निर्देशक की सहमति से उसी दौरान वेब सीरीज भी करती हूं. क्योंकि सीरियल में मोनोटोनी होता है. जबकि वेब सीरीज में हम एक किरदार को कुछ ही दिन के लिए निभाते हैं. दूसरी बात सीरियल से अलग हटकर वेब सीरीज का किरदार निभाने पर एक बदलाव हो जाता है. कलाकार के तौर पर विकास के लिए इस तरह के बदलाव आवश्यक हैं. अभिनय में निखार के लिए भी बदलाव आवश्यक है. टीवी पर एक ही किरदार लंबे समय तक निभाते हुए कलाकार उसमें इस कदर खो जाता है कि निजी जीवन में भी वैसा ही बनने का संकट उत्पन्न हो जाता है. इस बात का मुझे बड़ा डर लगता है. मेरी राय में हमें एक माइंड सेट रखना है कि मुझे कब तक एक ही तरह का किरदार करना है.

कब तक सीरियल में अभिनय करना है? कितना पैसा कमाना है?किस तरह का स्थायित्व चाहिए?परिवार को किस तरह की सुविधाएं मुहैय्या कराना है. जब आपका मकसद साफ हो, तब जो आपको सही लगे, वह करें. मेरे सामने मकसद नही था. मेरी सोच अलग अलग किरदार निभाने की थी. मैं टीवी नही देखती थी, पर सिनेमाघरों में फिल्में देखती थी. इसलिए मैंने फिल्मों में काम करना स्वीकार किया था. उस वक्त तक मुझे टीवी की ताकत का अहसास नही था. यदि मैं स्मार्ट होती, तो मैं टीवी से ही शुरूआत करती.

कहा जाता है कि टीवी उनके लिए फादेमंद है, जिन्हे जल्दी से ज्यादा धन कमाना है?

-एकदम सही बात है. पर यदि कलाकार को कलात्मक संतुष्टि चाहिए, तो टीवी नही करना चाहिए. इसलिए मैं सीरियल के साथ साथ वेब सीरीज करने की कोशिश करती हूं और मैने किए हैं. यदि आपने ‘आल्ट बालाजी’पर वेब सीरीज ‘हेलो जी’ देखा है, तो उसमें मेरा किरदार बहुत अच्छा और जिस तरह के किरदार मैंं निभा रही थी, उससे काफी अलग है. मैं हर बार इंस्पायरिंग किरदार निभाती हूं.  इसी तरह अब यश व ममता पटनायक निर्मित सीरियल‘‘रक्षाबंधनः रसाल अपने भाई की ढाल ’’में मेरा चकोरी का किरदार काफी अलग है. यह नगेटिब किरदार है. इससे पहले मैने जितने भी सकारात्मक किरदार निभाए, वह हर किसी को प्रेरित करने वाले रहे.

सीरियल‘‘रक्षाबंधनः रसाल अपने भाई की ढाल ’’के साथ जुड़ना कैसे हुआ?

-मैने आडीशन दिया. उन्हे मेरा आडीशन पसंद आ गया और मुझे यह सीरियल मिल गया. वास्तव में इस सीरियल के लिए लॉकडाउन में घर पर रहकर ही आडीशन दिया. लॉक डाउन की वजह से राजस्थानी पोशाक मेरे घर पर नहीं थी. लेकिन सीरियल ‘‘दिव्यदृष्टि’’ में एक दृश्य में मैं और मेरी बहन राजस्थानी पोशाक में मियां बीबी बनकर आते हैं.  मैने वही तस्वीर भेजी थी. उन्होंने देखकर कहा कि तुम तो एकदम चकोरी लग रही हो.

सीरियल‘‘रक्षाबंधन’’में अपने चकोरी के किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

-आप इसे लुटेरी दुल्हन कह सकते हैं. आती है, लूटती है और चली जाती है. उसके बाद वह दूसरा मुर्गा पकड़ती है. उसे लूटती है, फिर आगे बढ़ जाती है. लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है. सरपंच शा के साथ शादी करके वह आसानी से लूट कर भाग सकती है. लेकिन भाग ही नहीं रही है. पता नहीं क्या हो गया है?कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ेगी,  इसका राज भी उजागर होगा.

अब तक आपने जो भी काम किया , उसका अनुभव क्या रहा? क्या आपका संघर्ष खत्म हो गया? 

-यदि आप इसे मेरा संघर्ष कहें, तो मैं अभी भी संघर्ष कर रही हूं, क्योकि मुझे किसी मुकाम को हासिल करना है. यदि मैं संघर्ष न मानूं तो यह मेरा संघर्ष नही है. क्योंकि मैं अपनी जिंदगी रोज जी रही हूं. अच्छे कपड़े पहन रही हूं, अच्छा मेकअप कर रही हॅंू और अच्छे पैसे कमा रही हूं. पहचान मिल रही है. लोग प्रशंसा कर रहे हैं. तो मैं संघर्ष नही कर रही हूं, बल्कि हवा में उड़ रही हूं.

आपके शौक क्या हैं?

-मैं बंगाली हूं. इसलिए नृत्य,  संगीत, गायन व पेटिंग तो मेरी हॉबी है. पेटिंग ज्यादा नही करती. मगर बॉलीवुड नृत्य के अलावा भारत नाट्यम व कत्थक नृत्य करती हूं. अपनी मम्मी से मैने हिंदुस्तानी लाइट क्लासिकल संगीत सीखा है. खाने का शौक है, पर बनाने का नही. साफ सफाई ज्यादा पसंद है. मम्मी को ड्राइव पर लेकर जाना. स्प्रिच्युअल बातें करना. में हिंदू हूं, पर मैं उन रीति रिवाजों को ही मानती हूं, जिनका कुछ लॉजिक है. पुराने आउट डेटेड रीति रिवाजों को नही मानती.

आपने नृत्य व संगीत किससे सीखा?

-जी हॉ!मैने भारत नाट्यम व कत्थक सीखा है. नृत्य सीखने के लिए मैं कोलकता गयी थी. वहां के एक नाट्य स्कूल से सीखा. जबकि संगीत तोमैने अपनी मम्मी से ही सीखा. मेरी मम्मी चाहती थीं कि मैं संगीत में अपना कैरियर बनाउं

भारत नाट्यम हो या कत्थक नृत्य, यह आपको अभिनय में किस तरह मदद करता है?

-किसी भी किरदार को निभाते समय चेहरे पर भाव लाने में न्त्य मदद करता है. नृत्य करते समय शुरू से ही बॉडीलैंगवेज की ट्ेनिंग दी जाती है. मात्राओं की, आंखों की, कब आंखें छोटी करनी है, कब आंखे बड़ी करनी है. मैंने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नही ली. पहले मैं वकील और पाश्र्व गायक बनना चाहती थी. नृत्य करने का अर्थ नृत्य के माध्यम से कहानी कहना है. और अभिनय करके भी हम कहानी ही बताते हैं.

भविष्य में फिल्मों में पाश्र्वगायन करना चाहेंगी?

-अवसर मिलेगा तो रियाज करुंगी. फिलहाल कुछ समय से रियाज बंद है, पर मौका मिलते ही सुबह छह बजे उठकर रियाज करना शुरू कर दूंगी. मेरी आवाज सुरीली तो है ही.

कोरोना महामारी ने आपको क्या सिखाया?

-सबसे बड़ी बात सिखायी कि इस संसार में मानवता से बढ़कर कुछ नहीं. दूसरी बात पैसा बचाना महत्वपूर्ण है और स्वस्थ रहना बहुत महत्वपूर्ण है. आसपास के लोगों के लिए करुणा रखना सबसे महत्वपूर्ण बात है.

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