हैंडसम और हंसमुख अभिनेता आदित्य सील ने फिल्मी कैरियर की शुरुआत साल 2002 में आई फिल्म एक छोटी सी लव स्टोरी से की है. इस फिल्म में उन्होंने मनीषा कोइराला के साथ किशोर का किरदार निभाया था. इस के बाद उन्होंने साल 2016 में आई रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘तुम बिन टू’ में काम किया है. फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर 2’ में उन्होंने सहायक भूमिका का किरदार निभाया. फिल्मों के अलावा उन्होंने वैब सीरीज में भी काम किया है.
आदित्य अभिनय के अलावा ताइक्वांडो चैंपियन भी हैं. वे ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट हैं और जिमनास्टिक और मार्शल आर्ट का भी अभ्यास करते हैं.
आदित्य को वर्ष 2019 और 2020 में मोस्ट डिजायरेबल मैन का रैंक भी मिल चुका है. काम के दौरान उन का परिचय अनुष्का रंजन से हुआ और फिर 4 सालों की डेटिंग के बाद दोनों ने शादी कर ली.
पिता रवि सील गढ़वाली फिल्मों के निर्माता रहे जबकि आदित्य को बचपन से क्रिकेटर बनने की इच्छा थी, लेकिन चोट लगने की वजह से उन्होंने अभिनय में जाने का मन बनाया और आज अपनी जर्नी से खुश हैं.
जियोसिनेमा पर उन की फिल्म ‘अमर प्रेम की प्रेम कहानी’ एक ड्रामा फिल्म है, जिस में उन्होंने प्रेम की भूमिका निभाई है. इस फिल्म में समलैंगिक प्रेम की जटिलताओं को दिखाने की कोशिश की गई है.
पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ खास अंश :
इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?
मैँ हमेशा चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश करता हूं ताकि सैट पर काम करने में मजा आए. मैं सैट पर जाने से पहले चरित्र को डेवलप करने की प्रक्रिया को अधिक ऐंजौय करता हूं. इस फिल्म में अच्छी बात यह है कि इस फिल्म में समलैंगिकता का मजाक नहीं उड़ाया जा रहा, जैसा अधिकतर फिल्मों में
होता है। न ही फिल्म में किसी संघर्ष को दिखाया गया है. इस में मैं ने एक आम लड़के और लड़की की तरह ही 2 लड़के के संबंध की गहराईयों और उन से जुड़ी चुनौतियों को दिखाने की कोशिश की है, जिस में झगड़ा और प्यार दोनों ही होता है. इस रिश्ते में एक फ्रैश तरीका संघर्ष का दिखाया गया है.
छोटे शहरों में आज भी 2 लड़कों के प्यार व शादी को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता है. एक स्टिग्मा है और लोग इस बात को छिपाते हैं. आप ने ऐसी घटनाएं अपने आसपास देखी हैं?
मेरे कई दोस्त ऐसे हैं, जिन के संबंधों को परिवार वाले स्वीकार नहीं करते, परिवार में बोलने से वे झिझकते हैं क्योंकि उन्हें परिवार वालों के रिऐक्शन का पता नहीं होता है. ऐसे में उसे छिपाते फिरते हैं. बड़े शहरों में भी पूरी तरह से लोग इसे नहीं स्वीकारते. दोस्तों के बीच में भी वे अपनी बात नहीं कह पाते.
ऐसे में उन के पास 2 तरीके निकल कर आते हैं, जिस में पहला परिवार के स्वीकारने से लाइफ अच्छी बन जाती है और दूसरा, अगर परिवार इस बात को नहीं मान पाते, तो वे इसे अपने जीवन की सचाई मान खुद को बदलना नहीं चाहते। परिवार और समाज से दूर अपनी जिंदगी बसा लेते हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है और कई लोग ऐसे हैं, जो परिवार से दूर किसी दूसरे शहर में अपनी जिंदगी शुरू कर लेते हैं.
मेरे हिसाब से परिवार को ऐसे लोगों की भावनाओं को समझ कर अपनाना आवश्यक है, क्योंकि समलैंगिक होना गलत नहीं है.
आप को कभी समलैंगिक लड़कों से पाला पड़ा?
बहुत बार पड़ा है, जैसे एक बार मैं एक पार्टी में गया था। एक लड़के ने मुझे अप्रोच किया और कहा कि तुम जानते नहीं कि तुम कितने लड़कों के क्रश हो. मेरे इंस्टाग्राम पर लड़कियों से अधिक लड़कों के मैसेज आते हैं, उन का अधिकतर मैसेज होता है, ‘आई वांट टू मैरी यू’, ‘आई वांट टू बी योर हसबैंड…’ वे मुझे उन से शादी के लिए रिक्वैस्ट करते रहते हैं। मैं बहुत कन्फ्यूज्ड हो जाता हूं। सामने से आ कर अगर कोई अप्रोच करता है तो ‘हग’ कर थैंक यू कह देता हूं. मेरे लिए यह कौंप्लीमैंट ही है, इसलिए मैं उन्हें नाराज नहीं करता.
आप को ऐक्टिंग की प्रेरणा कहां से मिली?
मैं बचपन में एक क्रिकेटर बनना चाहता था, लेकिन चोट लगने की वजह से मैं इस क्षेत्र में नहीं जा पाया और ऐक्टर बन गया. मेरे पिता ने कई सालों पहले एक गढ़वाली फिल्म बनाई थी और उस में उन्होंने ऐक्टिंग भी किया था. उन्हें ही ऐक्टिंग का शौक था, इसलिए उन्होंने मुझे ऐक्टिंग का रास्ता दिखाया और यहीं से मेरी ऐक्टिंग की जर्नी शुरू हुई.
ऐक्टिंग की शुरुआत कैसे की?
मैँ 12-13 साल का था, जब मेरे पिता मुझे औडिशन में ले जाते थे. वहां सैकङों बच्चे होते थे। वहां मैं अपना इंट्रोडक्शन देने में ही काफी नर्वस हो जाता था जबकि बाकी बच्चे बहुत स्मार्टली अपना इंट्रोडक्शन देते थे. धीरेधीरे मैं सीखने लगा कि कैसे औडिशन देना है.
ऐसे ही मुझे ‘एक छोटी सी लव स्टोरी’ का औडिशन मिला, लेकिन मेरी इस में समस्या यह रही कि मैं किसी भी संवाद को रट नहीं सकता, उसे मैं अपने हिसाब से कहता हूं. यहां भी मुझे स्क्रिप्ट दिया और अपने तरीके से कहने को कहा गया। मैं ने अपने तरीके से कहा और शाम तक मुझे औफर मिल गया.
इस तरह मुझे 14 साल की उम्र में यह औफर मिला. इस के बाद कुछ सालों की गैप के बाद मैं पूरी तरह से अभिनय के क्षेत्र में उतर गया. इस दौरान मैं ने अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की और खुद को अभिनय के लिए ग्रूम भी करता रहा, जिस में मैं ने मार्शल आर्ट्स और डांस में खुद को प्रशिक्षित किया.
आप मोस्ट डिजायरेबल मैन का रैंक पा चुके हैं, क्या इस की वजह से काम मिलना आसान हुआ या कठिन रहा?
इन चीजों पर मैं अधिक ध्यान नहीं देता, क्योंकि मुझे अगर कोई कौंप्लीमैंट देता है, तो मैं नर्वस हो जाता हूं. काम पर अधिक फोकस्ड करता हूं.
चेहरे को ले कर कभी समस्या नहीं आई, लेकिन मैं भी फिल्मों का ग्रीक गौड बनना चाहता हूं, जैसा ऋत्विक रोशन कहलाते हैं.
परिवार का सहयोग कितना रहा?
परिवार वालों ने शुरू से ही साथ दिया है। कई बार फिल्म आई लेकिन नहीं चली, पर उन का साथ हमेशा मिला। फिल्म ‘तुम बिन टू’ जब आई, तो नहीं चली। हिट सौंग और कहानी होने के बावजूद फिल्म नहीं चली, जबकि इस फिल्म से मुझे काफी उम्मीदें थीं. तब भी मेरे पेरैंट्स ने पूरा साथ दिया.
आप पत्नी अनुष्का रंजन से कैसे मिले? उन की कौन सी बात आप को बहुत पसंद है?
उन की एक एनजीओ ‘बेटी’ है, हर साल फंड रेज के लिए शो होता था, वहां मैं उन से मिला और 4 साल की डेटिंग के बाद शादी की. उन के सोचने का तरीका बहुत अच्छा है, जो मुझे बहुत पसंद है.
आप का सपना क्या है?
फिल्म ‘रंग दे बसंती’ अगर दोबारा बने, तो उस में मैं ऐक्टिंग करना चाहता हूं. दूसरी फिल्म ‘खलनायक’ में मैं संजय दत्त की भूमिका निभाना चाहता हूं.
त्योहार किस तरह मनाते हैं, आप के लिए इस दिन क्या खास होता है?
त्योहार सब साथ मनाते हैं. दीवाली पर पटाखे बचपन में जलाता था, अब नहीं, क्योंकि जानवर डरते हैं। इस दिन दोस्तों से मिलता हूं और अच्छेअच्छे पकवान खाता हूं. इस साल मैं सिर्फ एक फुलझड़ी जलाऊंगा.