दिल्ली से एन एस डी से एक्टिंग की ट्रेनिंग लेकर आये थे एक्टर बनने, पर बने फिल्म स्टोरी राइटर, जिसे दर्शकों और इंडस्ट्री के लोगों का प्यार मिला, क्योंकि मेरा शौक एक आर्टिस्ट बनना ही था, जिसमे राइटिंग,डायरेक्शन, एक्टिंग आदि सब शामिल रहा है. आर्ट को कवर करना मेरा मुख्य मकसद था, जो मुझे लेखन से भी मिला,मेरे आदर्श गुरुदत्त है, क्योंकि उन्होंने लेखन से लेकर अभिनय किया और दोनों में सफल रहे , कहते है.
अभिनेता गुंजन जोशी
जोशी आज एक अभिनेता है, उनकी रोमांटिक सीरीज ‘फाडू’ सोनी लाइव पर रिलीज हो चुकी है, जहाँ उनके अभिनय को दर्शक पसंद कर रहे है.गुंजन जोशी मध्यप्रदेश के एक छोटे से कस्बे से है.उन्हें हमेशा से एक्टर बनने की इच्छा थी, इसलिए उन्होंने एन एस डी से अभिनय की ट्रेनिंग ली और मुंबई काम करने आये.यहाँ आने पर उन्हें एक्टिंग से अधिक लेखन में मौका मिला और उन्होंने पहली कॉमेडी फिल्म ‘मैं, मेरी पत्नी और वो, बैरिस्टर रॉय आदि की कहानी लिखी, इससे उन्हें प्रसिद्धि मिली और उन्होंने कई फिल्मों के अलावा धारावाहिकों के लिए भी लिखने का काम किया है. वेब सीरीज फाडू में वे एक डॉन की भूमिका निभा रहे है. इसमें उन्हें स्क्रिप्ट और चरित्र को समझने के बाद उन्होंने इस भूमिका को निभाया है.
मिली प्रेरणा
अभिनय में आने की इच्छा के बारें में पूछने पर वे बताते है कि मैं भले ही मध्यप्रदेश के इंदौर के छोटे से कस्बे नीमच से हूँ, पर फिल्में देखना बहुत पसंद था. मैं अपने कोर्स की कहानियों को पढने के बाद उसके मंचन के बारें में सोचता था. उस दौरान मेरे शहर में गणेश उत्सव पर नाटकों की प्रतियोगिता होती थी, मैं उसमे कोर्स की कहानियों को नाटक के रूप में लिखकर मंचन करता था, उसमे मेरी पहली कहानी ‘पञ्च परमेश्वर’ थी, जिसे सभी ने पसंद किया था. ये मैंने 12 साल की उम्र में किया था. मेरे इस काम में मेरे माता-पिता का बहुत सहयोग रहा है. नीमच से मुंबई आने का मन गुंजन जोशी ने पहले से ही बना लिया था, क्योंकि इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए ट्रेनिंग और मुंबई दोनों की जरूरत थी. स्कूल से ही उन्होंने नाटकों में भी अभिनय शुरू कर दिया, इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इंदौर गए और वहां जाकर इलेक्ट्रॉनिक ऑनर्स में स्नातक किया और एन एस
डी में फॉर्म भरा और दाखिला मिल गया. इससे वे दिल्ली गए और अपनी शिक्षा पूरी कर उन्होंने प्रोफेशनलथिएटर शुरू किया. वहां कुछ दिन काम कर वे मुंबई आये और अभिनय के लिए कोशिश करने लगे. मुंबई में अभिनय का काम नहीं मिला, पर लेखन का काम मिला. इसके अलावा एड एजेंसी में भी काम किया, इससे ही आगे शो मिला. शुरू में उनकी संघर्ष समुद्र में एक बूंद की तरह रही , जिसमें डेढ़ साल तक कम्युनिकेट करना पड़ा था.
संघर्ष नहीं था आसान
वे कहते है कि मुंबई में बिना काम के रहना मुश्किल होता है, इसलिए मैंने सामने जो मिला उसे करता गया, इससे मेरी जान-पहचान बनी. मैंने नॉन फिक्शन कहानियां लिखी, जिसे सभी ने पसंद किया. मैंने ट्रेनिंग एक्टिंग की ली थी, पर काम लिखने का करने लगा. मैने वर्ष 2000 को एन एस डी से निकलकर मुंबई एक्टर बनने आया था, आज 20 साल बाद मैं एक सही एक्टर बन पाया. एक सही काम पाने के लिए मेहनत, लगन और धीरज की बहुत जरुरत होती है. संघर्ष हर काम में होता है. कुछ नया काम करना आसान नहीं, क्योंकि पहचान और अंजान के बीच समस्या बहुत सारी होती है. परिवार का कोई व्यक्ति
अगर इंडस्ट्री से होता है, तो आगे बढ़ने में आसानी होती है. परिचय कई बार काम आता है. बाहर से आया व्यक्ति और इंडस्ट्री में रहने वाले व्यक्ति की समझ में बहुत अंतर होता है. असल में किसी नई शुरुआत का मेहनत हर क्षेत्र में हर व्यक्ति को करना पड़ता है.
ओटीटी ने दिया मौका
गुंजन जोशी को आज का दौर बहुत पसंद है, क्योंकि इसमें नए कलाकारों को काम करने का मौका मिल रहा है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी है. ओटीटी की कहानियों के गिरते स्तर के बारें में पूछने पर वे कहते है कि नई जेनरेशन के कलाकारों के लिए ओटीटी एक वरदान है. अब कास्टिंग डायरेक्टर नए-नए कलाकारों कोढूँढ़ते है, ऐसे में अच्छे कलाकारों के लिए मौका अधिक है. जब ओटीटी शुरू हुई थी, तब उन कहानियों को इसमें जगह मिली, जिसे डेली सोप या फिल्मों में कहना संभव नहीं था. उनके लिए केवल 8 से 10 एपिसोड ही काफी थे और इस दौरान ओटीटी को आगे आने में सफलता मिली. कोविड के समय इसमें बाढ़ आ गई और अब हर कोई पहले कहानी लिखने के लिए कहते है, उसे कैसे बनानी है, उसके बारें में बाद में सोचते है.
इससे कहानी की आत्मा कम होकर उसे जल्दी से सबकी आँखों में आने के लिये जरुरत से अधिक गाली- गलौज, सेक्सुअल कंटेंट, वायलेंस आदि भरे जाते है, लेकिन इसमें कुछ सीरीज अच्छी भी है, जिसे लोग देखते है. ये प्लेटफार्म बहुत अच्छा है, जिसे हर कोई अपने समय के अनुसार देख सकता है. स्टोरी की थीम क्लियर न होने पर बनी वेब सीरीज कभी अच्छी नहीं बन पाती. इसके अलावा अभी ओटीटी प्लेटफार्म कीसंख्या बहुत बढ़ गयी है, जिसमे सीरीज की संख्या बढ़ने की वजह से अच्छी और बेकार वेब शो के अनुपात काफी बढ़ चुका है.
परिवार की जिम्मेदारी
वेब सीरीज में सर्टिफिकेशन है, लेकिन जिसे एडल्ट कंटेंट कहकर 18+ कह दिया जाता है, उसे लोग अधिक देखते है. ऐसे में सर्टिफिकेशन का बहुत अधिक महत्व नहीं रहता, लेकिन इसके अलावा कुछ किया जाना संभव नहीं. गुंजन कहते है कि सर्टिफिकेशन जरुरी है, पर सेंसर नहीं. (हँसते हुए) असल में निषेध में हीआमंत्रण है. परिवार की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को कंटेंट देखने के बारें पेरेंट्स को थोडा गाइड करना चाहिए . गुंजन आगे कहते है कि मेरी पत्नी तमन्ना महाजन है, वह भी एक्ट्रेस है, मेरा एक बेटा है. बेटे के बाद उन्होंने थोड़े दिनों के लिए ब्रेक लिया था, वे मेरे साथ लिखने में भी मदद करती है, पर उनका झुकाव एक्टिंग की और है. अभी एक्टिंग में आ रही है. आगे फिल्म ‘बवाल’ में कॉमेडी और ‘मिरांडा ब्रदर्स’ में काम किया है. थोड़ी गहराई वाली फिल्म में काम करना मुझे पसंद है.
पसंद एक्टिंग
गुंजन कहते है कि मुझे एक्टिंग में सबसे अधिक मज़ा आता है. आगे मुझे मीनिंग फुल कमर्शियल फिल्म में काम करना है, क्योंकि रियल के साथ फिल्मों में मनोरंजन का होना जरुरी है. कला का उद्देश्य मनोरंजन होना जरुरी है. सुंदर कहानियों को कहने में मैं विश्वास करता हूँ.नए साल की नई बातगुंजन का दिनचर्या साधारण होता है, अलग-अलग चीजो को देखना, पढना, हफ्ते में दो बार खाना बना लेना आदि पसंद है, क्योंकि उन्हें इसका शौक है. नए साल में मैं ऐसी कहानियों में काम करना चाहते है , जिसे लोग देखे, फील करें और कुछ आगे खुद करने के लिए प्रेरित हो.