अभिनेत्री नीना गुप्ता को‘वध’ फिल्म की कहानी एक अलग और चुनौतीपूर्ण लगी, क्योंकि इसमें एक कहानी ऐसी है,जो एक ह्यूमनस्टोरी है, जहाँ एक कपल साधारण जीवन बिता रहा है, जब पानी सर के ऊपर से तक चला जाता है, तब उसे यह समझना मुश्किल होता है किआखिर वह करें तोक्या करें? जब कोई चारा उससे निकलने का नहीं रहता, कानून के पास जाने पर भी वह वहां पर उसी को कानून के साथ बैठा पाता है, कर्जा चुका नहीं सकता क्या करें ?
ये फिल्म हर परिवार के लिए एक प्रश्नचिन्ह छोड़ जाती है, मसलन ऐसा किया क्यों ? वह क्या कर सकता था? क्या गलत किया? कैसे इस परिस्थिति से वह निकल सकता है?आदि कई बाते है, जिससे हर व्यक्ति खुद को जोड़ सकता है. ऐसी कहानियां हमे शाक ही जानी चाहिए, जिससे आम जनता खुद के बारें में सही गलत का फैसला कर सकें. मनोहर कहानियां का किरदार इसमें प्रसंसनीय है.
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नीना आगे कहती है कि ‘वध’ फिल्म में सन्देश यह है कि एक दुर्घटना हुई, पर सभी को जितनी चादर हो उतनी ही पैर पसारें. कई लोग है, जो अपनी हैसियत से अधिक अपने बच्चों के लिए कर जाते है, ये सब मोह माया के वश में हो कर करते है, जिसका परिणाम बच्चे नहीं, खुद भोगते है, परिणाम गलत होता है.
नीना गुप्ता ने मनोहर कहानियां नहीं पढ़ी है,लेकिन जानती है कि इसके प्रेमी सालों से है, उन्होंने आसपास के कई घरों में इसे पढ़ते हुए पाया है. वे बताती है कि ये एक रुचिकर पत्रिका होने के साथ-साथ चुपके से एक सन्देश भी देती है.
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