रोड ट्रिप पर कई फिल्में बन चुकी हैं, मगर निर्देशक आकर्ष खुराना की रोड ट्रिप वाली फिल्म ‘‘कारवां’’ रोड ट्रिप के साथ आत्मखोज वाली फिल्म है. इस तरह की फिल्म बनाना आसान नहीं होता. अफसोस फिल्मकार आकर्ष खुराना  अपनी इस यात्रा में सफल नजर नहीं आते. वैसे यह फिल्म जिंदगी, प्यार, रिश्ते व मौत की कहानी भी है.

फिल्म की कहानी के केंद्र में अविनाश (दुलकेर सलमान) हैं, जो कि बंगलौर में एक आई टी कंपनी में नौकरी कर रहा है. वह मशहूर फोटोग्राफर बनना चाहता था. उसने अपनी खींची हुई तस्वीरों की एक प्रदर्शनी भी लगायी थी. मगर अपने पिता के दबाव के आगे चुप रहकर उसने फोटोग्राफी से दूरी बनाते हुए आई टी कंपनी में नौकरी करनी शुरू कर दी थी. अपने सपने का पीछा न कर पाने की वजह से अविनाश दुःखी और निराशापूर्ण जिंदगी जीता है.

इसी बीच उसके पिता बस से धार्मिक यात्रा पर निकले हुए हैं. अचानक ट्रेवल एजेंसी की तरफ से अविनाश के पास फोन आता है कि बस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी है, जिसमें उनके पिता की मौत हो गयी है और उनके पिता का शव हवाई जहाज से बंगलौर भेजा गया है, जिसे वह एअरपोर्ट पर जाकर ले ले. अविनाश अपने दोस्त शौकत (इरफान खान) के पास जाकर कहता है कि वह अपनी वैन दे दे. शौकत खुद उसके साथ चल देता है. दोनों एयरपोर्ट से शव लेकर निकलते हैं और अंतिम क्रिया करने की योजना बनाते हैं.

अचानक शौकत देखता है कि डिब्बे में बंद शव तो एक महिला का है. पता चलता है कि कोचीन में रह रही ताहिरा (कृति खरबंदा) की मां भी उसी बस में थी और उनकी भी मौत हुई है. गलती से शव अदला बदली हो गए हैं. अब अपने पिता के शव को लेने के लिए अविनाश अपने दोस्त शौकत के साथ कोचीन रवाना होता है.

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