मौडलिंग से कैरियर की शुरुआत कर कन्नड़, तमिल, तेलगू और हिंदी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री कृति खरबंदा बंगलुरु की हैं. उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘राज रीबूट’ है. फिल्म अधिक नहीं चली, पर उसमें उनके अभिनय को तारीफ मिली. इसके बाद उन्होंने गेस्ट इन लन्दन, शादी में जरुर आना, वीरे दी वेडिंग आदि सभी फिल्मों में काम किया है. स्वभाव से नम्र, हंसमुख और स्पष्टभाषी कृति हर तरह की फिल्मों में काम करना पसंद करती हैं. अभी उनकी फिल्म ‘यमला पगला दीवाना फिर से’ आ रही है, जिसे लेकर वह बहुत खुश हैं. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.
फिल्म में इतने बड़े-बड़े कलाकार के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मेरे लिए इतने बड़े कलाकार के साथ काम करना सपने जैसा है. मुझे अच्छा लगा कि मुझे मौका मिला, लेकिन बहुत मजा आया और सीखने को बहुत कुछ मिला.
तीनो देओल्स में क्या कौमन है और क्या अंतर आपने देखा?
तीनों खाने के शौकीन हैं. तीनों के स्वभाव काफी अलग है. बौबी देओल एकदम शांत रहते हैं. इसके बाद धर्मेन्द्र और सनी देओल आते हैं.
इस फिल्म में आपके लिए क्या मुश्किल था?
मुझे इस फिल्म में गुजराती बोलना मुश्किल था, लेकिन जब आपकी टीम आपको हेल्प करती है तो काम करना आसान हो जाता है. असल में किसी भी फिल्म में एक्टिंग करना मुश्किल नहीं होता, अगर टीम सही हो.
क्या कलाकार के रूप में आपने अपने कुछ दायरे बनाये हैं?
नहीं मेरा कोई दायरा नहीं है. मैंने फिल्म राज रीबूट किया है. पहले था कि मैं स्क्रीन पर बिकिनी नहीं पहनूंगी या ‘किस’ नहीं दूंगी, लेकिन फिल्म राज रिबूट में मैंने किया. मेरे हिसाब से स्क्रीन पर ‘किस’ करना एक इमोशन है. कपड़े उतारना किसी भी फिल्म के लिए जरुरी नहीं. चरित्र के आधार पर काम करना पड़ता है. इसलिए मैंने कोई दायरा नहीं बनाया.