तेलगू फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री कृति सेनन दिल्ली की हैं. उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करने का मौका फिल्म ‘हिरोपंती’ से मिला, जिसमें उनके काम को तारीफे मिली और उन्हें पुरस्कार भी मिला. कृति ने जो भी फिल्में की, कमोबेश सफल रहीं, इसलिए आज उन्हें हर तरह की फिल्मों में काम करने का अवसर मिल रहा है. शांत और हंसमुख स्वभाव की कृति से उनकी फिल्म ‘लुकाछिपी’ के प्रमोशन के दौरान बात हुई, पेश है कुछ अंश.

इस फिल्म को चुनने की खास वजह क्या है?

मुझे छोटे शहरों की कहानियां अच्छी लगती है और इससे पहले फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ को भी लोगों ने पसंद किया था. आजकल छोटे शहरों के लिए कहानियां लिखी जा रही हैं. ये कहानियां सबके लिए रिलेटेबल होती हैं. ऐसी कहानियां सभी को प्रेरित करती है.

लिव इन रिलेशनशिप’ को इसमें दिखाने की कोशिश की गयी है, आप इस पर कितना विश्वास करती हैं?

मैं शादी में हमेशा विश्वास करती हूं, लेकिन ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में जाना भी कोई गलत बात नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति समझ नहीं पाता है कि उसे अपने पार्टनर से शादी करनी है या नहीं, ऐसे में उसकी अनुकूलता को देखना जरुरी होता है, क्योंकि हर कोई एक बार ही शादी करना चाहता है. ऐसे में यह सही है, इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन मुंबई जैसे शहर में भी इसे स्वीकार करना मुश्किल होता है.

क्या लिव इन रिलेशनशिप में भी दायरे होने चाहिए?

लिव इन में आपको किसी की छोटी-छोटी बातों का पता चल जाता है. इसमें दायरे की जरुरत नहीं होती. हां इतना जरुर होता है कि आप ऐसा सोच लें कि अगर सब ठीक रहा, तो शादी तक बात पहुंच सकती है.

आप अपनी जर्नी को कैसे देखती हैं? स्क्रिप्ट चुनते समय किस बात का ध्यान रखती हैं?

मैं खुश हूं कि मेरी कई फिल्में अच्छी चली हैं. दर्शकों ने मेरे काम की सराहना की है. अच्छी फिल्म का कोई फार्मूला नहीं है. ऐसे में आपके दिल की बात सुननी चाहिए. किसी भी फिल्म को आप क्यों करना चाहते हैं उसे भी देखना पड़ता है, क्योंकि कोई भी खराब फिल्म बनाना नहीं चाहता. फिल्म की शूटिंग डेज आपको अच्छा लगना चाहिए. मुझे काम पर जाने में रोज मजा आना चाहिए साथ ही फिल्म की जर्नी अच्छी होने की जरुरत है. इसके लिए फिल्म में कुछ ऐसा होना चाहिए, जो आपको उत्साहित करें.

आपको सबसे अधिक काम करने की प्रेरणा कहां से मिलती है?

मेरा पूरा परिवार इसमें मेरा साथ देता है. जब मुझे कोई स्क्रिप्ट मिलती है तो मैं अपनी बहन या मां को पढ़ने के लिए देती हूं. उसके बाद मैं सबसे बात करती हूं. इंडस्ट्री में ऐसे कई हैं, जो चाहते हैं कि आप अच्छा काम करें, वे अच्छी सलाह देते हैं. मुझे अच्छा लगता है कि वैसे कुछ लोग मुझे मिले हैं.

क्या आपको आउटसाइडर होने का अनुभव अभी भी होता है?

आउटसाइडर होने पर थोड़े दिनों तक समस्या आती है. अभी मैं कुछ हद तक इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन चुकी हूं. कभी-कभी मुश्किल आज भी होती है. कुछ बाधाएं हैं, जिसे मैं तोडना चाहती हूं. अच्छे निर्देशक के साथ काम करने का मौका अभी भी नहीं मिल पाया है. इससे आपको आगे बढ़ने में आसानी होती है और आप किस स्तर तक अभिनय कर सकते हैं, उसका भी पता चलता है. मेरी विश लिस्ट में निर्देशक इम्तियाज अली, अनुराग बासु, संजय लीला भंसाली, विशाल भारद्वाज, करण जौहर, जोया अख्तर, गौरी शिंदे, मेघना गुलजार आदि हैं. असल में आउटसाइडर होने पर आपको जानने और पहचानने में समय लगता है. कुछ हिट फिल्म उन्हें देने की जरुरत होती है, ताकि आप पर कहानियां लिखी जा सकें.

महिला दिवस पर आप महिलाओं को क्या संदेश देना चाहती हैं?

मैं महिला दिवस को नहीं मानती. पुरुषों के लिए दिन क्यों नहीं बना है? एक दिन महिलाओं को क्यों देना है? सशक्तिकरण की अगर मैं बात करूं, तो सब कुछ सोच से बदलती है. इसकी जिम्मेदारी माता-पिता की है. बचपन से बच्चों को वैसी शिक्षा देने की जरुरत है, तभी हमारा भविष्य अच्छा बनेगा. अगर आप लड़की को रात को बाहर जाने से मना करते हैं, तो लड़के को रात में बाहर न जाने दें. तभी सब बदलेगा और मैं चाहती हूं कि वो दिन आयें, जब हर महिला की सफलता के पीछे एक पुरुष का हाथ हो.

मेरे घर में हमेशा आजादी है और मैंने हमेशा अपनी इच्छानुसार काम किया है.

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