रेटिंग: साढ़े तीन स्टार
निर्माता: बी पी सिंह
कंसेप्ट: बी पी सिंह
निर्देशक: केन घोष
कलाकार: कुणाल खेमू, बिदिता बाग, राम कपूर, मोहन कपूर, करण मेहात, निधि सिंह, राघव जुयाल आशा नेगी व अन्य
अवधि: हर एपिसोड 40 से 45 मिनट के बीच
ओटीटी प्लेटफॉर्म: जी 5
आपराधिक घटनाओं की जांच कर अपराधी को पकड़कर सजा दिलाने के काम में लगी पुलिस से प्राप्त सत्य घटना क्रमो को नाटकीयता के साथ टीवी के पर्दे पर सीरियल के रूप में लाने का ख्याल सबसे पहले बी पी सिंह के दिमाग में आया था, जिन्होंने आज से 32 साल पहले सोनी टीवी के लिए बतौर निर्माता निर्देशक व लेखक टीवी सीरियल “सीआईडी ‘ की शुरुआत की थी . उसके बाद उन्होंने एक नए अंदाज में इसी तरह का एक दूसरे सीरियल “आहत” की शुरुआत की थी.”सीआईडी” अभी भी प्रसारित हो रहा है. इनके एपिसोड 40 से 45 मिनट के हुआ करते थे. बी पी सिंह इन दिनों पुणे फिल्म संस्थान के चेयरमैन भी हैं.और अब वही बी पी सिंह अपराध कथाओ को वेब सीरीज “अभय दो” में लेकर आए हैं, जिसका प्रसारण 14 अगस्त 2020 से शुरू हुआ है. मगर “जी फाइप” ने अभी इस वेब सीरीज के सिर्फ 3 एपिसोड ही ऑन एयर किए हैं. बाकी के एपिसोड 4 सितंबर को किए जाएंगे. वैसे 4 एपिसोड फोन एयर किया जाना चाहिए था.पहले और दूसरे एपिसोड की कहानी अपने अंतिम मुकाम पर पहुंच जाती है, मगर तीसरे एपिसोड की कहानी का अंत चौथे एपिसोड में होगा. यह जी 5 की कमजोरी कही जाएगी.
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कहानी:
इसमें रोमांचक अपराध कहानियों का समावेश है.स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) लखनऊ के साथ इंस्पेक्टर अभय प्रताप सिंह (कुणाल केमू) जुड़ते हैं,उनके सामने पहली चुनौती शहर में लगातार हो रही स्टूडेंट्स की हत्याओं की जांच पर अपराधी को पकड़ना. एक सीरियल किलर है ने बीते दो साल में ऐसे नौ लड़कों की हत्या करने के बाद उन्हें जला कर उनकी राख व अस्थि पंजर को पॉलीथिन में पैक करके शहर के हाईवे से लगे जंगल में गाड़ दिया था, जो कि पढ़ाई में टॉपर होते हैं.यह लड़के किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे.अभय प्रताप सिंह अपनी टीम के साथ इसकी जांच कर हत्यारे को पकड़ने में कामयाब होते हैं . वहीं दूसरी कहानी में ऐसी लाशें मिलती हैं, जिनका एक पैर टखने से कटा होता है और उसके कुछ दांत उखाड़ने गए होते हैं. अंततः हत्यारे का सच सामने आ जाता है. तीसरे एपिसोड की कहानी में एक व्यक्ति (राम कपूर)द्वारा स्कूल बस को अगुवा कर लिया गया है और एक टीवी एंकर की हत्या कर दी गई है. नन्हें बच्चों से भरी बस अगुवा करने वाला यह हत्यारा (राम कपूर) खुद ही नाटकीय ढंग से अपने आप को पुलिस को सौंप देता है. मगर थर्ड डिग्री टॉर्चर के बाद भी एक शब्द नहीं बोलता. उसे सिर्फ अभय प्रताप सिंह से मिलना है.वह अभय के साथ एक खतरनाक खेल खेलना चाहता है. अब यह खेल क्या है और हत्यारे का मकसद क्या है? इसका फैसला तो 4 सितंबर को होगा, जब चौथा एपिसोड प्रसारित होगा.
लेखन व निर्देशन:
एक बेहतरीन पटकथा वाली वेब सीरीज में कहीं भी कोई फिजूल की बकवास नहीं की गई है .अपराध हुआ है, पुलिस डांस करती हैं और अपराधी पकड़ा जाता है .इसमें कहीं कोई नाटकीय दृश्य या संवाद नहीं रखे गए हैं .सब कुछ पॉइंट टू पॉइंट है. हर एपिसोड की कथा दर्शकों को अपने साथ बांध कर रखती है.
केन घोष अपनी निर्देशकीय क्षमता का लोहा पहले भी मनवा चुके हैं. अब वेब सीरीज “अभय दो” मैं उन्होंने साबित कर दिखाया कि साइको लॉजिकल थिलर बनाने में भी उन्हें महारत हासिल है.
अभिनय:
“अभय सीजन 2” के पहले एपिसोड को अपने कंधे पर धोते हुए अपनी जबरदस्त अभिनय क्षमता का परिचय दिया है अभिनेता चंकी पांडे ने.संपर्क मुस्कुराते और हंसते हुए तथा प्यार से बात करते-करते हर्ष जिस तरह से क्रूर हत्याएं करता है ,वह देख किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं. ऐसा हर्ष के किरदार को निभाने वाले अभिनेता चंकी पांडे की अभिनय क्षमता से संभव हो पाया है.फिल्म “हाउसफुल” में पास्ता के किरदार में चंकी पांडे को देख चुके लोग “अभय सीजन 2” में उन्हें हर्ष के नेगेटिव किरदार में देखकर ना सिर्फ आश्चर्यचकित होंगे, बल्कि यह सोचने पर मजबूर होंगे कि उनकी अभिनय क्षमता का अब तक सही उपयोग क्यों नहीं हुआ?
दूसरे एपिसोड को लोग पूरी तरह से बिंदिया बाग के उत्कृष्ट अभिनय के कारण याद रखेंगे. जबकि तीसरे एपिसोड में राम कपूर ने कमाल का शानदार अभिनय किया है. पुलिस अफसर के किरदार में कुणाल खेमू ने काफी सधा हुआ अभिनय किया है. आशा नेगी व निधि सिंह ने भी ठीक अभिनय किया है.
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अब सीजन 2 देखने के बाद दर्शकों को एहसास होता है कि बिदिता बाग, राम कपूर और चंकी पांडे की अभिनय क्षमता का अब तक फिल्मकार सही ढंग से उपयोग करने में असफल रहे हैं.