रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः सुनील लुल्ल और आनदं एल राय

निर्देशकः नवदीप सिंह

कलाकारः सैफ अली खान,मानव विज,जोया हुसेन,दीपक डोबरियाल, सिमोन सिंह,सौरभ सचदेव,सोनाक्षी सिन्हा व अन्य.

अवधिः दो घंटे 35 मिनट      

बदले की कहानी को पेश करने के लिए फिल्म‘‘लाल कप्तान’’ के फिल्मकार नवदीप सिंह को दो सौ साल पहले के कालखंड में जाने की वजह तो वही जाने. भाई का भाई के साथ धोखाधड़ी व मौकापरस्ती तो कल भी थी,आज भी है.वह दर्शकों को दो सौ साल पहले की कहानी सुनाते हुए भी बुरी तरह से असफल हुए हैं.

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कहानीः

फिल्म की शुरूआत होते ही एक दृश्य आता है,जहां ब्रिटिश सैनिक कुछ लोगों को बक्सर में एक पेड़ पर फांसी के फंदे पर देशद्रोही कहकर लटकाते हैं. उसके बाद कहानी शुरू होती है. पीरियड फिल्म ‘‘लाल कप्तान’’की कहानी 1764 के बक्सर के युद्ध के 25 साल बाद की है, जब ब्रिटिश हुकूमत भारत में अपनी जड़ें जमाने लगी थी. मराठा,रोहिल्ला,मंगल नवाब सभी आपस मे ही लड़ रहे थे. उसी दौरान एक नागा साधु उर्फ गोसांई(सैफ अली खान) कई वर्षों से एक क्रूर, धोखेबाज, मौकापरस्त शासक रहमत खान(मानव विज) की तलाश में है.उसकी जिंदगी का एकमात्र मकसद रहमत खान को बक्सर में उसी पेड़ पर फांसी के फंदे पर लटकाना है,जहां पर रहमत खान की मौकापरस्ती व धोखे बाजी के चलते उनके पिता शार्दूल खान को ब्रिटिश सैनिको ने फांसी के फंदे पर लटकाया था.फिर कहानी अतीत में जाती है. जब वहीं दृश्य फिर सामने आता है और पता चलता है कि रहमत खान की धोखेबाजी के चलते एक बच्चे और उसके पिता को फांसी पर लटका दिया गया था.

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