प्यार किसी भी तरह की सीमाओं को नहीं मानता. वह अपनी जिंदगी के प्यार की तलाश में एक अंतरिक्ष से दूसरे अंतरिक्ष तक की यात्रा करता है. इसी बात को चित्रित करने वाली अंतरिक्ष की प्रेम कहानी वाली फिल्म है - ‘‘लीरा द सोलमेट’’. यह भारत की पहली सौ प्रतिशत वीएफएक्स फिल्म है. इसे आईटीएम यूनिवर्सिटी द्वारा ‘‘सर्वश्रेष्ठ वीएफएक्स’’ के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है.
यह कहानी है आकाशगंगा में विचरते तमाम ग्रहों, उपग्रहों की पृष्ठभूमि में कहानी चलती है. यह कहानी है अंतरिक्ष शोधकर्ता लीरा (लीरा कालजय) की. भारतीय संस्कृति में पली बढ़ी और भारतीय संस्कृति में आकंठ डूबी लीरा को पता चलता है कि उसका सोलमेट लीरा नामक अंतरिक्ष में रहता है. तब लीरा अंतरिक्ष शोधकर्ता के रूप में अंतरिक्ष यात्री बनकर लीरा नामक ग्रह पर पहुंचती है. और वह अपने सोलमेट (मेहुल आडवाणी) को ढूढ़ने में कामयाब होती है. क्योकि सोलमेट में कई समानताएं होतीहैं.
इसी तरह लीरा और उसके सोलमेट में समानता है कि दोनों की जीभ उनकी नाक तक पहुंचती है. मजेदार बात यह है कि अंतरिक्ष यात्री लीरा और लीरा ग्रह पर मौजूद पुरुष की जीभ उनकी नाक तक पहुंचती है. दोनों भारतीय संस्कृति में यकीन करते हैं. दोनों का स्वभाव भी एक जैसा है. यानी कि दो प्लानेट के लोगों की प्रेम गाथा है. पूरी कहानी अंतरिक्ष मे प्रेम को दर्शाती है. यह अंतर्मन के प्यार की बात करती है.
दो प्लानेट यानी कि अंतरिक्ष के प्रेमियों का मिलन, आपस में संवाद करना, प्रेम गीत गाना आदि को शानदार ढंग से परदे पर उभारने में वीएफएक्स का बहुत सही ढंग से उपयोग किया गया है.
फिल्म में प्रेम कहानी के साथ रोमांचक पल भी हैं. भावनात्मक दृश्य आकर्षित करते हैं. फिल्म में सोलमेट को परिभाषित करने वाले संवाद भी हैं. मसलन-यूनिवर्स में जिस किसी की भी जीभ उसकी नाक तक पहुंचेगी, वो मेरा सोलमेट तो नहीं हो सकता न?