रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः पुरूषोत्तम स्टूडियो

लेखक व निर्देशकः आदित्य ओम

कलाकारः शिवा सूर्यवंशी, शीतल सिंह,  बेबी कृतिका सिंह, चंद्रभूषण सिंह व अन्य.

अवधिः एक घंटा 54 मिनट

प्रदर्शनः 29 जनवरी से सभी सिनेमाघरों में

समाज सेवा में संलग्न तथा तेलुगू और हिंदी के प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और निर्देशक आदित्य बतौर लेखक व निर्देशक सामाजिक सरोकार वाली फिल्में ही बनाते रहे हैं. इस बार वह शिक्षातंत्र की कलई खोलने वाली फिल्म ‘मास्साब’यानी कि मास्टर साहब उर्फ शिक्षक लेकर आए हैं. ’इसमें समाज सेवक के तौर पर वह ग्रामीण स्कूलों में जिस तरह के बदलाव के अरमान देखते थे, उन सभी का इसमें चित्रण किया है. यह सदेश परक फिल्म बड़े सहज ढंग से ग्रामीण प्राथमिक स्कूलों के हालात का सच बयां करने के साथ साथ कई अहम बातें कह जाती है. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहो में 48 पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी इस फिल्म को 29 जनवरी से देश के सभी सिनेमाघरो में देखा जा सकता है.

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कहानीः

फिल्म की शुरूआत भारत के सबसे बड़े राज्य के अंदरूनी हिस्से खुरहंद नामक गॉंव के सरकारी प्राथमिक स्कूल से होती है. जहां बच्चे पढ़ने के लिए नहीं आते हैं. महिला शिक्षक बच्चों को पढ़ाने की बनिस्बत स्वेटर बुनने में व्यस्त रहती हैं. पर तभी बेसिक शिक्षा अधिकारी स्कूल में मुआयना करने आते हैं. कुछ बच्चों को पीटकर जबरन कक्षा में बैठाया जाता है. शिक्षा अधिकारी के पहुंचने के बाद धीरे धीरे रहस्य उजागर होते हैं. पता चलता है कि छात्र नकली हैं. स्कूल के शिक्षक महेंद्र यादव(चंद्रभूषण सिंह)तो ठेकेदारी के काम में व्यस्त है, उनके स्थान पर फर्जी शिक्षक के तौर पर उनका भाई जीतेंद्र स्कूल में है, प्रिंसिपल भी अपने बड़े भाई की जगह पर बैठे हुए हैं. इतना ही नही स्कूल का मुआना करने आए शिक्षा अधिकारी भी फर्जी हैं. कुछ मुट्ठी भर छात्र स्कूल महज सराकरी ‘मिड डे मील’के तहत परोसे जाने वाले दोपहर के भोजन के लिए आते हैं और भोजन कर लापता हो जाते हैं.

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