पैसा और चोरी जैसी विषयों पर आधारित फिल्में मराठी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कम ही देखने को मिलती है और अब तक जो बनी है वो ज्यादा लोकप्रिय भी नहीं हुई. इनकी तुलना में इस विषय पर आधारित फिल्म ‘ये रे ये रे पैसा’ दर्शकों का मनोरंजन करने में कुछ हद तक सफल साबित हुई है.

फिल्म की कहानी आदित्य (उमेश कामत), बबली (तेजस्विनी पंडित) और सनी (सिद्धार्थ जाधव) के इर्द-गिर्द घुमती है. अण्णा (संजय नार्वेकर) बैंक में वसूली एजेंट का काम करता है, जो एक व्यक्ति से वसूल किये गये 20 करोड़ रुपयों में से 10 करोड के साथ अपनी फियाट गाडी एक होटेल के कंपाऊंड में पार्क करता है.

बाकी 10 करोड़ रुपये लेकर टैक्सी से घर जा रहा होता है, तभी रास्ते में आदित्य और उसके दोस्त अण्णा की टैक्सी रोककर उसका प्रैंक वीडियो शूट करने लगते है. मौके का फायदा उठाकर आदित्य का दोस्त अण्णा के 10 करोड रूपयों का बैग लेकर भाग जाता है. उसके बाद अण्णा आदित्य को पैसे लौटाने के लिए धमकाने लगता है.

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इधर, चौकीदारों की मदद से होटल में पार्क की गई गाड़ियां लेकर सनी अक्सर अपनी गर्लफ्रेंड बबली को घुमाने ले जाता है. इसी तरह एक दिन उसे अण्णा की पार्क की गई फियाट गाड़ी मिल जाती है. अभिनेत्री बनने का सपना देखने वाली बबली गाड़ी को फिल्म की शूटिंग के लिए ले जाती है. वहां शूटिंग के एक दृश्य में गाड़ी को बम लगाकर उड़ाया जाता है, जिसमें रखा 10 करोड़ रुपया जलकर खाक हो जाता है. यह बात जब अण्णा को पता चलती है तो वह सनी और बबली को भी पैसे वापस करने के लिए धमकाने लगता है.

इसी बीच विदर्भ के मजुमदार राजघराने के 50 करोड़ रुपये के हीरों को सरकारी तिजोरी में जमा करने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. यह खबर जब सनी, बबली और आदित्य को पता चलती है तो तीनों हीरों की चोरी करके अण्णा का पैसा वापस करने की योजना बनाते हैं. इसके बाद उस कार्यक्रम में क्या घटता है? हीरे किसके हाथ लगते है? ये सब जानने के लिए आपको एक बार फिल्म देखनी होगी.

फिल्म के सभी कलाकार अनुभवी होने के कारण बेहतरीन अभिनय की अपेक्षा रखना जायज है, जो पूरी भी होती है. कुछ संवाद हास्यास्पद जरूर है, लेकिन दर्शकों को हंसी से लोटपोट करने में असफल साबित होते है. सभी पात्र मराठी होने के बावजूद बीच-बीच में हिंदी संवाद बेवजह लगते है. फिल्म की गति अच्छी है, लेकिन गाने और संगीत लाउड होने के कारण कानों में चुभते है. फिल्म के अन्दर शोर-शराबा और चोरी की घटना में हेर-फेर देखकर लगता है कि निर्देशक कोई धमाका करना चाहते है, जिसमें वो पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए है.

कथा और निर्देशक- संजय जाधव

संवाद- अरविन्द जगताप

कलाकार- उमेश कामत, सिद्धार्थ जाधव, संजय नार्वेकर एवं तेजस्विनी पंडित.

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