एक्टिंग की फील्ड में करियर बनाने वालों को लगता है कि पढाई में ज्यादा मेहनत होती है. एक्टिंग कम मेहनत का काम होता है. स्टार प्लस के सीरियल ‘एक आस्था ऐसी भी’ से अपने करियर की शुरूआत करने वाली टीना एन फिलिप कहती हैं कि ‘मेरे लिए एक्टिंग मुश्किल काम था. अपना घर, परिवार, दोस्त सब छोड़कर मुम्बई आना पड़ा. यहां रहने के लिये फ्लैट ढूंढना, उसका रेंट देना, दूसरी बड़ी चीजें मैनेज करना मुश्किल काम था. ऑडिशन के लिए दिन भर लाइन में लगे रहना, जब यह दिखता था कि किसी जानने वाले का फेवर किया जा रहा है तो और गुस्सा लगता था. सब कुछ सहना बहुत मुश्किल भरा दौर था. 2 साल के बाद मुझे रोल मिला. पढाई भी मुश्किल होती है पर वहां बहुत कुछ आपकी मेहनत पर निर्भर करता है. एक्टिंग में अपनी मेहनत के साथ दूसरो पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. जब शो हिट होता है तभी पहचान बनती है. 12 से 14 घंटे तक काम करना पड़ता है.’
सीरियल ‘एक आस्था ऐसी भी’ की कहानी के विषय में टीना कहती हैं कि ‘धर्म के असली अर्थ को समझाने का प्रयास किया गया है. यह धर्म से अधिक सच्चाई में यकीन करना सिखाता है. किसी की भावनाओं को आहत किये बिना दूसरों की मदद करना भी एक धर्म का काम माना जा सकता है. आस्था के रूप में मेरे विचार आज की युवा पीढी जैसी ही है. मैं सहजता से उनसे जुड़ सकती हूं. मेरा मानना है कि मानव सेवा ही असल में भगवान की सेवा है. ‘दिल्ली की रहने वाली टीना का बचपन दिल्ली में बीता. 6 साल की उम्र में वह परिवार के साथ लंदन चली गई. वहां से ही चार्टड अकाउनटेंसी की पढाई की. ऑडिटर के रूप में अपनी जौब शुरू की. कई कंपनियों के औडिट का काम किया.
टीना कहती हैं, ‘मुझे एक्टिंग का शौक पहले से था. मैनचेस्टर में मैने एक थियेटर ग्रुप के साथ प्ले करना भी शुरू किया था. इंडियन होते हुये मेरे पास वहां एक्टिंग में कम अवसर थे. ऐसे में मैंने मुम्बई में एक्टिंग करियर की शुरूआत करने का फैसला किया. मेरे परिवार के लोग इस करियर को पहले पंसद नहीं करते थे. जब मैंने पढाई पूरी कर जौब कर अपने को साबित कर दिया तो मुझे इजाजत मिली कि अब एक्टिंग में करियर बना सकती हूं. मुझे भी लगता था कि इस फील्ड में बहुत सारे गलत लोग हो सकते हैं. असल में मुझे किसी से सामना नहीं हुआ. मुझे अच्छे लोग मिले.’
टीना कहती हैं, ‘मेरे लिये पैसों का महत्व बाद में था. पैसे मुझे अपनी जौब में भी मिलते थे. एक्टिंग में मुझे जो संतोष मिलता है वह बड़ी बात है. अपने को औन स्क्रीन देखना बहुत अच्छा लगा. पढाई से अधिक चैलेंज यहां मिला. पढाई में केवल एक बार अपने को प्रूफ करना पड़ता है. यहां बारबार अपनी मेहनत से दर्शकों के दिल में जगह बनानी पड़ती है. यह मेरा सपना था इसलिए अब यह सरल लगने लगा. मुझे बचपन से लोग ड्रामा क्वीन कहते थे. अब असल में वह सच साबित हो गया. मुझे खाने में भारतीय खाना बहुत पंसद है. लखनऊ की चाट मुझे बहुत अच्छी लगती है.’