मशहूर फिल्मकार महेश भट्ट और अभिनेत्री सोनी राजदान की बेटी आलिया भट्ट की बतौर अभिनेत्री अभी तक 4 फिल्में ही रिलीज हुई हैं, मगर वे हमेशा चर्चा में बनी रहती हैं. वे अपने पिता की ही तरह बिंदास हैं. उन्हें इस बात की परवाह नहीं कि लोग उन के बारे में क्या कह रहे हैं. अब वे अंगरेजी के नए चैनल ‘कलर्स इनफीनिटी’ के साथ क्यूरेटर के रूप में जुड़ी हैं. करण जौहर सह क्यूरेटर हैं.

आलिया से हुई गुफ्तगू के कुछ खास अंश पेश हैं:

आप आज अपने कैरियर को किस मुकाम पर पाती हैं?

मुझे लगता है कि ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ से ले कर अब तक मेरा कैरियर महज 3 साल पुराना है. लेकिन इतने कम समय में मैं ने काफी कुछ पा लिया है. मेरी अब तक 4 फिल्में रिलीज हुई हैं और हर फिल्म में मेरे अभिनय का अलग रंग दर्शकों को नजर आया. फिलहाल मुझे फिल्म ‘शानदार’ के रिलीज होने का इंतजार है.

आप ने पहली बार फिल्म ‘शानदार’ में बिकनी पहनी है?

हां, पर आप फिल्म देखिएगा, कहीं कुछ भी अश्लील नजर नहीं आएगा. फिल्म में मैं ने शाहिद कपूर के साथ बहुत डांस किया है.

कुछ अरसा पहले आप ने अपनी मां सोनी राजदान के साथ एक ब्यूटी ब्रैंड के लिए विज्ञापन फिल्म की शूटिंग की?

हां, मां के साथ विज्ञापन फिल्म की शूटिंग करना मेरे लिए काफी उत्साहजनक रहा. निर्देशक चाहते थे कि हम जिस तरह से अपने घर में रहते हैं, उसी तरह से इस की शूटिंग करें. हम निजी जीवन में आपस में जिस तरह से बात करते हैं, उसी तरह से इस विज्ञापन फिल्म में भी बात करते नजर आएं. दीपिका पादुकोण ने भी अपनी मां के साथ इस तरह का एक विज्ञापन किया है, जो मुझे बहुत अच्छा लगा. लेकिन मैं नहीं चाहती कि लोग दीपिका के इस विज्ञापन की तुलना मेरे विज्ञापन से करें. दोनों विज्ञापनों में काफी अंतर है. दीपिका का विज्ञापन बहुत इमोशनल है, जबकि मेरे विज्ञापन में फन है.

पर अभिनय को ले कर दीपिका से तुलना?

ऐसा भी नहीं होना चाहिए. दीपिका मेरे से ज्यादा मैच्योर कलाकार हैं. मैं उन से काफी छोटी हूं. मेरा कैरियर तो अभी शुरू हुआ है.

कई अभिनेत्रियां अब अभिनय के साथ गाने भी लगी हैं. आप भी कुछ ऐसा करने वाली हैं?

हां, मैं भी गाना चाहती हूं बशर्ते गाना अच्छा हो और मुझ पर ही फिल्माया जाए.

किसी किरदार को निभाने में कलाकार का अपना वातावरण कितना प्रभाव डालता है?

बहुत ज्यादा प्रभाव डालता है. यदि मैं अंबाला से हूं, तो अंबाला की लड़की का किरदार निभाते समय मेरी चालढाल आदि में काफी फर्क आ जाएगा और परदे पर किरदार काफी यथार्थपरक नजर आएगा. यदि मैं मुंबई की लड़की हूं और अंबाला की लड़की का किरदार निभा रही हूं, तो चालढाल अलग होगी. फिल्म ‘हाईवे’ की शूटिंग के दौरान मैं पंजाब के फरीदकोट सहित कई शहरों व गांवों में गई थी. तभी तो जब मैं ने फिल्म ‘हंप्टी शर्मा की दुलहनिया’ में अंबाला की लड़की का किरदार निभाया, तो मेरे लिए बहुत आसानी हुई. मेरा मानना है कि 2 किरदार एकजैसे कभी नहीं हो सकते.

किसी किरदार को निभाने में लुक का बदलाव कितनी मदद करता है?

बहुत ज्यादा मदद करता है. इसी वजह से हमारे मेकअपमैन और कौस्ट्यूम डिजाइनर का काम काफी महत्त्वपूर्ण और कठिन होता है, क्योंकि उन्हें फिल्म के किरदार व उस किरदार को निभा रहे कलाकार के व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए सारी चीजें तय करनी पड़ती हैं जैसे कि फिल्म ‘2 स्टेट्स’ में मैं दक्षिण भारतीय लड़की थी, तो उस में गजरा, बिंदी, साड़ी ये सब महत्त्वपूर्ण था. फिल्म ‘हंप्टी शर्मा की दुलहनिया’ में पंजाबी लड़की बनी थी, तो पंजाबी लहंगा, कुरता, दुपट्टा आदि महत्त्वपूर्ण रहा.

आप ने कई फिल्मों में रोमांटिक किरदार निभाए हैं. रोमांस को ले कर आप का अपना क्या आइडिया है?

मेरा रोमांस फिल्मी है. घर में अपना पाजामा पहन कर बैठना और फ्रैंड्स टीवी शो के सारे ऐपिसोड देखना मेरे रोमांस का हिस्सा है. मेरी राय में हर लड़की और लड़के का पहला प्यार खास होता है और पहली बार दिल का टूटना भी खास होता है.

वर्तमान पीढ़ी जो आप की हमउम्र है, कहा जाता है कि उस का प्यार कौफीडे तक ही सीमित रह जाता है?

यह तो निजी पसंद का मसला है. हर युवक या युवती उम्र के अनुसार खुद को सैटल करने के बारे में सोचती है और उम्र व अनुभव के अनुसार सोच में थोड़ाबहुत बदलाव भी आता है. उस वक्त यदि वह प्यार में पड़ने के बजाय अपने काम पर ध्यान दे तो ज्यादा बेहतर रहता है.

ट्विटर पर क्या लिखना पसंद करती हैं?

मैं अपने बारे में बहुत कम लिखती हूं. अपने प्रशंसकों से बातचीत करती हूं. चैटिंग करती हूं. मुझे अपने प्रशंसकों के सवालों के जवाब देना अच्छा लगता है. प्रशंसक बहुत कुछ जानना चाहते हैं. इस वजह से दर्शकों के साथ हमारा एक रिश्ता बन जाता है. ट्विटर बहुत उपयोगी माध्यम है.

युवा पीढ़ी को क्या सलाह देना चाहेंगी?

मेरी राय में हर लड़की को खुद से प्यार करना चाहिए, अपने सम्मान को बनाए रखना चाहिए और हर लड़के को ईमानदार, मेहनती, मृदुभाषी और दूसरों की मदद करने वाला होना चाहिए.

10 साल बाद खुद को किस मुकाम पर देखना चाहेंगी?

मैं योजना बनाने या गुणाभाग में यकीन नहीं करती. मैं हमेशा रचनात्मक काम करना पसंद करती हूं. मुझे उम्मीद है कि 10 साल बाद भी मेरे प्रशंसक व दर्शक मुझे फिल्मों में अभिनय करते देखना पसंद करेंगे.

यदि आप की परवरिश फिल्मी पृष्ठभूमि में न हुई होती तो भी क्या आप अभिनेत्री होतीं?

मैं बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी. 4 साल की उम्र में ही मैं ने अभिनेत्री बनने का निर्णय ले लिया था. मैं बचपन में अपने कमरे में बैठ कर गोविंदा और करिश्मा कपूर को बगीचे में नृत्य करते देख खुश होती थी. मैं अपने नानानानी के लिए परफौर्म करती थी. मैं नृत्य करती थी और वे तालियां बजाते थे. जन्मदिन और क्रिसमस की पार्टियों में भी मैं परफौर्म करती थी. इस सब से पता चलता है कि मैं बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी. 

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