बौलीवुड में ही नहीं बल्कि हौलीवुड में भी कई बेहतरीन रोल कर नाम कमा चुके अनुपम खेर को फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एफटीआईआई) का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है. वे एफटीआईआई के विवादास्पद चेयरमैन गजेंद्र चौहान से पदभार संभालेंगे. गजेंद्र ने इस पर कहा है कि उनको हटाया नहीं गया है, बल्कि मार्च में ही उनकी कार्यकाल पूरा हो चुका था. गौरतलब है कि 62 साल के खेर से पहले मशहूर टीवी एक्टर गजेंद्र चौहान इस पद पर थे गजेंद्र को 2015 में FTII का चेयरमैन बनाया गया था. अपने 14 महीने के कार्यकाल के दौरान गजेंद्र चौहान सिर्फ एक बार ही संस्थान में किसी बैठक में शामिल होने गए थे.
बता दें कि जब गजेंद्र को एफटीआईआई का चैयरमेन बनाया गया था तब छात्रों ने कैंपस में काफी विरोध-प्रदर्शन और 139 दिनों तक हड़ताल भी किया था. चौहान की काफी आलोचना उनके कैंपस से बाहर रहने को लेकर भी हुई थी. यही नहीं फिल्म जगत के लोगों ने भी गजेंद्र की योग्यता को लेकर सवाल उठाया था. छात्रों ने उस समय पुणे से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक विरोध प्रदर्शन किया था. जिसकी वजह से चौहान अपने नियुक्ति के सात महीने तक अपना पदभार संभाल नहीं पाए थे. उस समय सरकार ने उन्हें हटाने से मना कर दिया था.
पत्नी किरण खेर ने भी इस पर उन्हें बधाई दी है. उन्होंने कहा कि संस्थान का अध्यक्ष बनना कांटों के ताज पहनने जैसा है. बहुत लोग आपके खिलाफ होते हैं. वे आपके खिलाफ काम करते हैं, लेकिन मुझे यकीन है कि अनुपम अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाएंगे. वे प्रतिभावान हैं. लंबे समय से एक्टिंग सिखा रहे हैं. व्यवस्थित हैं. वह सेंसर बोर्ड और एनएसडी के भी मुखिया रह चुके हैं और अब वह एफटीआईआई के मुखिया होंगे. मुझे इस बात पर गर्व होता है. मैं सूचना और प्रसारण मंत्रालय, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रिया कहना चाहूंगी.
अनुपम खेर ने नेशनल स्कूल आफ ड्रामा से एक्टिंग का कोर्स कर रखा है और उनके लिए फिल्मों में काम मिलना आसान नहीं था. संघर्ष के दिनों में जब वे मुंबई आए तो उन्हें प्लेटफार्म पर सोना तक पड़ा था. संघर्ष कुछ ऐसा था कि कई बार खाने तक के लाले पड़ जाते थे, लेकिन उन्होंने खाने की इस समस्या से निबटने के लिए एक तरिका निकाल लिया था. जब भी ऐसा मौका आता तो वे अपने गोरे रंग और सिर पर बाल न होने को हथियार बनाते. इसके साथ ही लोगों की नकल उतारना भी उनका खास गुण था, जिसका वे भरपूर इस्तेमाल करते. वे खाने की जगहों पर जाते और वहां जाकर अंग्रेजों की तरह बोलते और तरह-तरह की चीजें टेस्ट करते. जब उनका पेट भर जाता तो वे वहां से चलते बनते. दिलचस्प बात यह है कि लोग उन्हें विदेशी समझ लेते थे और पैसे भी नहीं मांगते थे.
अनुपम को साल 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है. वह सारांश, डैडी, राम-लखन, लम्हे, खेल, दीवाने, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे और मैंने गांधी को मारा सरीखी फिल्मों में अपनी काबिल-ए-तारीफ अदायगी के लिए आज भी जाने जाते हैं. बता दें कि अनुपम खेर की अगली फिल्म ‘रांची डायरीज’ जल्द ही रिलीज होने वाली है.