अपने फिल्मी कैरियर की पहली फिल्म ‘लेडीज वर्सेस रिकी बहल’ से शुरुआत करने वाली परिणीति चोपड़ा ने ‘इशकजादे’, ‘शुद्ध देशी रोमांस’ और ‘हंसी तो फंसी’ जैसी सुपरहिट फिल्में कर बौलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई है. परिणीति फिल्म इंडस्ट्री में हौट और बिंदास अभिनेत्री के रूप में जानी जाती हैं.
24 वर्षीय परिणीति ने कई बड़े स्टार्स वाली फिल्मों में इसलिए काम करने से मना कर दिया, क्योंकि वे फिल्मों में केवल नाचगाना नहीं करना चाहतीं. वे बौलीवुड में सब से अलग इमेज बनाने में विश्वास रखती हैं, इसीलिए हर किरदार को सोचसमझ कर चुनती हैं. हंसमुख स्वभाव की परिणीति हमेशा अपने काम पर फोकस्ड रहती हैं. बात चाहे विज्ञापन की हो या फिर फिल्म की वे सोचसमझ कर ही उस में शामिल होती हैं.
इन दिनों परिणीति सैनेटरी ब्रैंड व्हिस्पर की टच द पिकल मूवमैंट की मासिकधर्म से संबंधित टैबूज से महिलाओं को मुक्त कराने वाली कैंपेन से जुड़ी हुई हैं. उन से बात करना रोचक रहा. पेश हैं कुछ अहम अंश:
इस कैंपेन से जुड़ने की वजह क्या है?
एक सर्वेक्षण में पता चला है कि 86% महिलाएं मासिकधर्म पर खुल कर बात नहीं कर पातीं. ऐसे में यह आंदोलन उन्हें इस वर्जना को तोड़ने और अपने आत्मविश्वास को बनाए रखने में सहयोग देगा. मैं कई बार टीनएज में ऐसी टैबूज को देख कर दंग रह जाती थी. मेरे घर में ऐसा नहीं था पर मेरी कई सहेलियां मासिकधर्म के बारे में खुल कर बात करने से हिचकिचाती थीं. यहां तक कि दुकान में सैनेटरी नैपकिन खरीदते वक्त के दुकानदार से धीरे से कहतीं. तब दुकानदार कागज में लपेट कर काले पैकेट में देता था. मुझे याद नहीं कि किसी ने सैनेटरी नैपकिन का पैकेट सब के सामने खोला हो. मैं कभी समझ नहीं पाई कि ऐसा क्यों होता है. मैं चाहती हूं कि भाई, पिता, बौयफ्रैंड, हसबैंड सभी के सामने महिला सहज हो. इस में छिपाने वाली कोई बात नहीं है.
पर्सनल हाइजीन में सैनेटरी नैपकिन कितना सहयोग देता है? गांवों और कसबों में आज भी महिलाएं होममेड नैपकिन प्रयोग करती हैं, जिस से कई बीमारियां हो जाती हैं. अंदरूनी सफाई में सैनेटरी नैपकिन कितना जरूरी है?
पर्सनल हाइजीन के लिए सैनेटरी नैपकिन बहुत आवश्यक है. गांवों और कसबों में महिलाएं इसे इसलिए नहीं खरीदतीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उत्पाद महंगा है. मगर इस के प्रयोग से होने वाले लाभ के बारे में वे नहीं जानतीं. ऐसे में मीडिया कैंपेन से उन में जागरूकता लाई जा सकती है. मासिकधर्म होने से पहले ही लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन की जानकारी होनी चाहिए. यह अफोर्डेबल है, यह भी उन्हें पता होना चाहिए. इस के प्रयोग से इन्फैक्शन नहीं होता, इस के प्रयोग से कई प्रकार की अंदरूनी बीमारियों से बचा जा सकता है, इस के बारे में बताने के लिए डाक्टरों को कैंपेन से जुड़ कर गांवगांव जाना पड़ेगा. तभी इस का असर देखने को मिलेगा.
आप की नजर में वूमन ऐंपावरमैंट क्या है? आप ने अपनी मां और दीदी प्रियंका चोपड़ा से क्या सीख ली है?
अब महिलाएं शिक्षित हो रही हैं. ऐसे में वे सहीगलत का फैसला खुद कर लेती हैं. जब आप अपने मनमुताबिक काम कर सकें और सफल रहें तो सशक्तीकरण की उदाहरण बन सकती हैं. यह आजादी व्यक्ति खुद के अनुभव से पाता है. मैं ने अपनी मां और दीदी से कभी सीख नहीं ली. मैं जानती हूं कि क्या सही है और क्या गलत. मैं शिक्षित हूं और अपनी समझ के अनुसार ही निर्णय लेती हूं. इतना जरूर है कि मेरे हर काम में परिवार का पूरापूरा सहयोग रहता है.
आजकल फिल्मों में अभिनत्रियों की छवि काफी बोल्ड हो चुकी है, जो 10-15 साल पहले नहीं थी. इस की क्या वजह है? क्या यह कहानी की डिमांड होती है? आप ऐसे किसी बोल्ड सीन में कितनी सहज होती हैं?
फिल्में दर्शकों की मांग पर ही बनती हैं. पहले हीरोइन को दर्शक उसी रूप में स्वीकार करते थे. अब हीरो और हीरोइन का स्तर समान हो चुका है. केवल 4 गानों के लिए हीरोइनें आएं, इस का कोई अर्थ नहीं होता. और अगर लव सीन हैं या रिलेशनशिप पर फिल्म है, तो बोल्ड सीन अवश्य आएंगे. उन्हें छिपा कर दिखाया जाए यह भी सही नहीं, क्योंकि अब हम 21वीं सदी में जी रहे हैं. स्क्रिप्ट के अनुसार काम करने में मुझे कोई परेशानी नहीं.
आप ने एक फिल्म में लिव इन रिलेशनशिप में रहने की भूमिका निभाई है. क्या आप असल जिंदगी में ऐसा सोच पाएंगी?
किसी भी रिलेशनशिप में आपस में दोस्ती का होना जरूरी है और अगर दोस्ती अच्छी है, तो मैं रिलेशनशिप में अवश्य रहना चाहूंगी. इस में कोई बुराई नहीं है. अगर आप शादी कर के खुश नहीं हैं, तो पूरी जिंदगी भी रिलेशनशिप में रह सकते हैं. मैं ने शादी के बारे में अभी सोचा नहीं है. काम में बहुत व्यस्त हूं.