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बौलीवुड में हर साल हजारों छोटे-बड़े बजट की फिल्में बनाई जाती हैं जो हर शुक्रवार रिलीज होती है. इन फिल्मों में तो कुछ अच्छी बनती हैं तो कुछ ऐसी बनती हैं, जिन्हें देख दिमाग खराब हो जाता है. ऐसी फिल्में शुरू से आखिरी तक समझ ही नहीं आती.
तो हम बताते हैं आपको उन फिल्मों के बारे में जिन्हें देखने से पहले दिमाग को साइड में रखना ही बेहतर रहेगा.
दीया और तूफान
यह फिल्म 1995 में आई थी. इसमें मिथुन चक्रवर्ती, कादर खान आदि एक्टर थे. फिल्म की कहानी बेहद अटपटी सी थी. इसमें वो सब हो रहा था, जिसकी कल्पना करना थोड़ा मुश्किल था. दरअसल, डायरेक्टर साहब हीरो के दिमाग को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ बदल देते हैं. इसके बाद जो होता है, उसकी कल्पना आप भी नहीं कर सकती.
एमएसजी
अगर आप बाबा के भक्त हैं तो अच्छी बात है. लेकिन अगर आप मनोरंजन के नाम पर ये फिल्म देखने जा रहे हैं तो थोड़ा ठहर जाएं. नाम शौर्ट है पर फिल्म बहुत बड़ी है. देखते-देखते आप सोचने लगेंगी आखिर ये खत्म कब होगी. फिल्म में एक ही चेहरा बार-बार सामने आएगा. गन, कौस्ट्यूम और बाकी चीजे इतनी तड़कती-भड़कती हैं कि आंखें यही कहती हैं इस पिक्चर को बंद करो! साल 2015 में आई इस फिल्म को बनाने वाले गुरमीत राम रहीम सिंह हैं.
देशद्रोही
इसका नाम अपने आप में फिल्म देखने की ललक पैदा कर सकता है. लेकिन हीरो का नाम जानने के बाद आप यह फिल्म देखना पसंद नहीं करेंगी. 2008 में आई इस फिल्म में कमाल रशिद खान ने लीड रोल निभाया था.
जोकर
इस फिल्म को देखकर दिल गवाही दे देता है कि आखिर देखी तो क्यों देखी. फिल्म में अक्षय कुमार हैं, श्रेयस तलपड़े, संजय मिश्रा और भी कई एक्टर हैं. फिल्म में चाहे जितने बेहतरीन एक्टर हों, जबतक कहानी और डायलाग अच्छे नहीं होंगे. तब तक कुछ नहीं हो सकता.
कर्ज
इस फिल्म के साथ ही सिंगर हिमेश रेशमिया एक्टर बनकर पर्दे पर आए. लोगों ने उन्हें तीन घंटे एक्टिंग करते हुए बस देख लिया. यह फिल्म 2008 में आई थी.
हमशक्ल
इस फिल्म के बिना यह लिस्ट अधूरी है. फिल्म बनाने वाले साजिद खान है. उन्होंने सभी हदें पार करते हुए एक ऐसी फिल्म बनाई जिसने हिंदी सिनेमा के काले अध्याय में अपना नाम दर्ज कर लिया है. 2014 में आई यह फिल्म एक उदाहरण है इस बात का कि बौलीवुड हद बेकार फिल्में भी बना सकता है.
हिम्मतवाला
साल 2013 रिलीज हुई फिल्म ‘हिम्मतवाला’ को देखने के लिए सही में हिम्मत चाहिए. इस फिल्म को साजिद खान ने बनाया था. अजय देवगन लीड रोल में थे.
राम गोपाल वर्मा की आग
‘रंगीला’ जैसी शानदार फिल्म बनाने वाले राम गोपाल वर्मा उर्फ रामू ने इस फिल्म के जरिए लोगों के जिगर में आग लगाने का काम किया. फिल्म में इतनी आग थी कि इसे तीन घंटे तक देखना अंसभव था.
तीस मार खान
‘शीला की जवानी’ गाना अगर फिल्म में ना होता, तो इसका जिक्र यहां भी ना आना था. वो तो कटरीना कैफ के इसी गाने ने दर्शकों को सिनेमा हौल में अटकाए रखा. नहीं तो पिक्चर देखने कौन जाता. ये फिल्म 2010 में आई थी.
लव स्टोरी 2050
हरमन बवेजा और प्रियंका चोपड़ा की जोड़ी ने दर्शकों का खूब एंटरटेनमेंट किया. दरअसल, फिल्म खत्म हो गई पर लोग सोचते रह गए आखिर इसकी कहानी क्या थी. एक अलग लेवल की फिल्म थी. मतलब 2050 की कहानी, 2008 में कैसे समझ आ सकती थी.