45 सालों से हिंदी सिनेमा जगत पर राज कर रहे अभिनेता ऋषि कपूर अभी भी अपने आप को इंडस्ट्री के लिए नया ही समझते हैं और हर भूमिका उनके लिए नयी होती है. वे स्पस्टभाषी हैं और हमेशा से ही खरी-खरी बातें करना पसंद करते हैं. फिल्मी माहौल में पैदा हुए ऋषि कपूर ने जन्म से ही कला को अपने आस-पास देखा है. उन्हें गर्व है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के 105 साल पूरे होने में उनके परिवार का 97 साल का योगदान है. उन्होंने आजतक करीब 150 फिल्मों में काम किया है और हर तरह के किरदार निभाए हैं, लेकिन आज भी जब वे कुछ नया पढ़ते हैं, तो उसे करने की इच्छा पैदा होती है.
उनके हिसाब से अभिनय की प्रतिभा व्यक्ति में जन्म से होती है. कोई अच्छा अभिनेता हो सकता है, पर खराब अभिनेता कभी नहीं होता. व्यक्ति या तो एक्टर होता है या एक्टर नहीं होता है. इन दोनों के बीच कोई नहीं होता. अभी उनकी फिल्म ‘पटेल की पंजाबी शादी’ रिलीज पर है. बहुत ही सहज भाव से वे सामने बैठे और बातचीत की, पेश है अंश.
फिल्मों का चयन करते वक्त किस बात का ध्यान रखते हैं?
मैंने हमेशा जिस कहानी को मनोरंजन की दृष्टि से देखा है और उसी को करना पसंद करता हूं. अगर उसमें कुछ संदेश चला जाय, तो अच्छी बात होती है. मेरी कोशिश रहती है कि हर व्यक्ति अपने परिवार के साथ मिलकर मेरी फिल्म को देखे. इस फिल्म में भी मैंने मनोरंजन को खास देखा है. इसके अलावा मैंने परेश रावल की वजह से इसे साईन किया है. कम उम्र में मैंने कई फिल्में उनके साथ की है, लेकिन इस दौर में भी उनके साथ काम करने की इच्छा थी.