सिने जगत में आ रहे बदलाव के चलते अब बौलीवुड में तेजी से न सिर्फ नईनई प्रतिभाएं आ रही हैं बल्कि वे अपनी प्रतिभा के बल पर अपने लिए एक नया मुकाम भी बना रही हैं. इन्हीं प्रतिभाओं में से एक हैं उर्मिला महंता.

पूर्वोत्तर की उर्मिला महंता की नई फिल्म ‘विराम’ ने हाल ही में ‘कान्स इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल’ में धूम मचाई है. महज 4 साल के अंदर उर्मिला महंता तमिल, तेलुगू व असमिया फिल्मों के अलावा ‘मांझी द माउंटेनमैन’, ‘अकीरा’ सहित कई हिंदी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुकी हैं. वे तमिल फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अदाकारा का पुरस्कार भी हासिल कर चुकी हैं, जबकि उन की 2 असमी फिल्में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं.

इस के अलावा इन दिनों वे ईरानी फिल्मकार मजीदमजीदी की फिल्म ‘बियांड द क्लाउड’ भी कर रही हैं. उन्हें जहानु बरुआ के भतीजे मंजुल बरुआ निर्देशित फिल्म ‘अंतरीन’ के लिए प्राग इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिल चुका है. ‘विराम’ और ‘अंतरीन’ फिल्में जुलाई में प्रदर्शित होंगी. प्रस्तुत हैं, उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश.

अभिनय के प्रति आप का रुझान कैसे हुआ?

मैं मूलत: गुवाहाटी के नजदीक सोनपुर की रहने वाली हूं. मेरे पिता कालेज के दिनोें में थिएटर से जुड़े हुए थे, जबकि मेरे चाचा आज भी शौकिया थिएटर करते हैं. इस तरह कहीं न कहीं मेरे खून में भी अभिनय का कीड़ा है. असम में साहित्य, कला व संगीत का माहौल है. इसलिए जब स्कूल की छुट्टियां हुआ करती थीं, तो हमें स्कूल की तरफ से इस तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए कहा जाता था. हम भी छुट्टियों में थिएटर वर्कशौप करते थे.

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