कभी पायल को राष्ट्र विरोधी कहा गया था। कट्टरपंथी लोगों ने उन पर 'पाकिस्तान जाओ' के नारे लगाए थे. अब वे देश की शान बन गई हैं। खुद की काबिलियत पर किस तरह आलोचकों का मुंह बंद किया जा सकता है, इस की मिसाल हैं वे...
77वें कान फिल्म फैस्टिवल में वैसे तो कई भारतीय लाइमलाइट में आए, लेकिन एक नाम ऐसा था जिस ने पूरे देश को गर्व महसूस कराया और वह नाम है पायल कपाड़िया का. पायल आजकल अपनी फिल्म के लिए कान का दूसरा सब से बड़ा पुरस्कार ग्रां प्री अवार्ड जीत कर लाइमलाइट बटोर रही हैं. फिल्ममेकर पायल कपाड़िया इस अवार्ड को जीतने वाली पहली महिला फिल्ममेकर भी हैं.
गौरतलब है कि 23 मई, 2024 को इन की फिल्म 'औल वी इमैजिन एज लाइट' का प्रीमियर कान फिल्म फैस्टिवल में किया गया. तब इस फिल्म को औडियंस की तरफ से 8 मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन मिला था. पायल इस से पहले भी कान फिल्म फैस्टिवल में अवार्ड जीत चुकी हैं. उन्होंने 2021 में फिल्म 'ए नाइट औफ नोइंग नथिंग', जोकि एक डाक्यूमैंट्री थी, को डाइरैक्ट किया था. इस फिल्म को कान फिल्म फैस्टिवल 2021 में 'दी गोल्डन आई अवार्ड' मिला था. यह अवार्ड कान फिल्म फैस्टिवल की बैस्ट डाक्यूमैंट्री को दिया जाता है.
फिल्म की कहानी
यह फिल्म एक मलयालम हिंदी फीचर है. फिल्म में कनी श्रुति, दिव्या प्रभा, छाया कदम, ऋधु हरूण और अजीस नेदुमंगड़ ने काम किया है. यह 2 नर्सों की कहानी है जो साथ में रहती हैं. ये दोनों एक ट्रिप पर जाती हैं जहां वे खुद की पहचान तलाशती हैं. वहां उन्हें आजादी के माने समझ आती है.
यह फिल्म इस समाज में महिला होने, एक महिला का जीवन और उन की आजादी जैसे मसलों की बात करती है. खास बात यह भी है कि इस फिल्म की कहानी खुद पायल ने लिखी है.
कौन हैं पायल कपाड़िया
पायल कपाड़िया का जन्म मुंबई में हुआ था. उन्होंने आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल से अपनी स्कूलिंग की. इस के बाद उन्होंने मुंबई के सैंट जेवियर कालेज से इकोनौमिक्स में ग्रैजुएशन और सोफिया कालेज से मास्टर्स की पढ़ाई की. इस के बाद पायल ने फिल्म डाइरैक्शन की पढ़ाई फिल्म ऐंड टैलिविजन इंस्टीट्यूट औफ इंडिया से की.
करियर की शुरुआत
पायल ने अपने कैरियर की शुरुआत शौर्ट फिल्म से की थी. उन्होंने 2014 में अपनी पहली फिल्म 'वाटरमेलन फिश औफ हाफ गोस्ट' बनाई. इस के बाद 2015 में फिल्म 'आफ्टरनून क्लाउड्स', 2017 में 'द लास्ट मैंगो बिफोर द मौनसून' और 2018 में 'ऐंड वट इस द समर सेइंग' डौक्यूमैंट्री बनाई थी.
सितारों ने दी बधाई
अवार्ड जीतने पर प्रियंका ने पायल कपाड़िया और उन की टीम की फोटो को शेयर करते हुए लिखा, "यह भारतीय सिनेमा के लिए गौरव का क्षण है। सभी को बहुतबहुत बधाई और शुभकामनाएं...'
फिल्म 'स्लमडौग मिलेनियर' (2009) के लिए बैस्ट साउंड मिक्सिंग का औस्कर जीतने वाले रसूल पोकुट्टी भी एफआईआर से पढ़े हैं. उन्होंने भी पायल को बधाई दी.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पायल को उन की जीत पर बधाई दी है लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यह वही प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने मणिपुर हादसे पर अपनी चुप्पी साध रखी थी.
एक महिला जब देश को गौरवान्वित करती है तब देश का पीएम चंद घंटों के अंदर अपनी प्रतिक्रिया दे देता है, लेकिन जब उसी देश की महिलाओं की आबरू तारतार होती है तब यही पीएम चुप्पी साध लेता है.
एफटीआईआई की प्रतिक्रिया
पायल की जीत पर एफटीआईआई ने कहा, ''यह एफटीआईआई के लिए गर्व का क्षण है क्योंकि इस के पूर्व छात्रों ने कान में इतिहास रचा है. 77वां कान फिल्म फैस्टिवल हमारे देश के लिए अभूतपूर्व साल रहा है. एफटीआईआई सिनेमा के इस मेगा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने पूर्व छात्रों की शानदार उपलब्धियों पर गर्व महसूस करता है."
कभी मुकदमा हुआ था
पायल की तारीफ करने वाली संस्था एफटीआईआई ने साल 2015 में पुणे के फिल्म ऐंड टैलीविजन इंस्टीट्यूट औफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान को नियुक्त किया था, जिस का विरोध उस वक्त पायल ने किया था. 2015 में गजेंद्र चौहान को एफटीआईआई का अध्यक्ष बनाने पर पायल ने 139 दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था. इस के लिए उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
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