बौलीवुड में कभी मनीषा कोईराला की गिनती अति खूबसूरत व बेहतरीन अदाकारा के रूप में हुआ करती थी. पर कैंसर की बीमारी के चलते वह लंबे समय तक अभिनय से दूर रहीं. अब कैंसर की बीमारी से लड़कर जीत हासिल करने के बाद नई जिंदगी की शुरुआत करते हुए उन्होंने फिल्म ‘‘डियर माया’’ से अभिनय में वापसी की है. जिसे देखकर कहा जा सकता है कि मनीषा कोईराला ने वापसी के तौर पर गलत फिल्म का चयन किया है. कहानी, पटकथा व निर्देशन हर स्तर पर यह कमजोर फिल्म है. फिल्म में किसी भी किरदार को सशक्त तरीके से नहीं गढ़ा गया है. फिल्म का सशक्त पक्ष शिमला की लोकेशन मात्र ही है.
फिल्म की कहानी शिमला की है, जहां दो लड़कियां एना (मदीहा ईमाम) और ईरा (श्रेया चैधरी) जो कि आपस में बहुत गहरी दोस्त हैं, उनके बीच पड़ोस में रहने वाली माया (मनीषा कोईराला) हमेशा चर्चा का विषय रहती हैं. माया हमेशा अपने बड़े से बंगले की चार दीवारी के अंदर कैद रहती हैं. ज्यादातर समय वह घर के अंदर बंद रहकर काले या नीले रंग की पोशाक पहनने वाली गुड़िया बनाती रहती हैं. उन्होंने अपने घर के अंदर काफी पक्षियों को पिंजरे में कैद कर रखा है. जिनकी देखभाल करने के लिए एक बूढ़ी नौकरानी उनके साथ रहती है. माया का जीवन अवसाद से भरा हुआ है. खुशी नाम की कोई चीज नहीं है. एना की मां हमेशा एना को समझाती है कि वह ईरा से दूर रहे. क्योंकि ईरा आत्मकेंद्रित लड़की है, वह सिर्फ अपने बारे में सोचती है. वह कभी भी एना को नुकसान पहुंचा सकती है. पर एना को यह सब गलत लगता है.