मराठी साहित्यकार भा.रा. भागवत द्वारा लिखित पुस्तक ‘फास्टर फेणे’ आज भी बाल पाठकों के मन में कौतुहल जगाने और उनकी कल्पना शक्ति बढ़ाने वाले बाल साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन आज के डिजिटल युग में युवाओं को पुस्तकें पढ़ने के बजाय फिल्म देखना ज्यादा अच्छा लगता है. ऐसे में ‘फास्टर फेणे’ का मुख्य किरदार पीछे कैसे रह सकता है? वो अब पुस्तक से निकलकर बड़े परदे पर आ गया है.

मेडिकल की प्रवेश परीक्षा के लिए बनेश्वर से पुणे आया बनेश फेणे (अमेय वाघ) लेखक भा.रा. भागवत (दिलीप प्रभावलकर) के घर रुकता है. घर में पैर रखते ही उसकी नजर चारो तरफ तेजी से घूमती है. तेज बुद्धि होने के कारण उसे तुरंत पता चल जाता है कि घर में चोरी हुई है, जिसके बारे में पूछताछ करने सामने की बिल्डिंग के वाचमैन के पास जाता है. वहां एक ऑटो आया था, इतना बताकर वाचमैन बिल्डिंग में होली खेल रही कुछ लड़कियों को फोटो खींचने और शोर मचाने के लिए डांटने लगता है.

वाचमैन द्वारा उनमें से एक लड़की का नाम सुनकर फेणे उसको फेसबुक पर सर्च करता है. जहाँ पोस्ट की गई फोटो में ऑटो में स्कूल यूनिफार्म पहने हुए एक लड़का दिखाई देता है. फेणे यूनिफार्म देखकर उस लड़के का स्कूल पता करता है. वहां जाकर उसे पता चलता है कि लड़के का नाम भूषण भुस्कुटे (शुभम मोरे) है. फेणे उसके घर तक जाता है, जहाँ पर भूषण को चोरी के लिए भेजने वाला गुंडा उसके मन मुताबिक चोरी नहीं करने पर उसके साथ मारपीट कर रहा होता है.

फेणे उसे बचाता है और वहां से लेकर निकल जाता है और भूषण को भागवत दादा के सामने खड़ा करता है. पेट भरने के लिए भूषण चोरी करता है, यह जानकर दादा जी उसे अपने पास ही रख लेते है.

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