पाकिस्तानी लेखिका सबा सय्यद के उपन्यास ‘कराची आर यू किलिंग’ पर बनी फिल्म ‘नूर’ अति कमजोर कहानी वाली फिल्म है. मगर फिल्म देखकर एहसास होता है कि लेखक ने पत्रकार, न्यूजरूम, संपादक की बहुत गलत कल्पना की है. यह अति कमजोर कथानक पर बनी निराश करने वाली फिल्म है.
फिल्म ‘‘नूर’’ की कहानी मुंबई की 28 वर्षीय पत्रकार नूरा रॉय चौधरी (सोनाक्षी सिन्हा) की है, जिसे सभी नूर कह कर बुलाते हैं. उनकी मां बचपन में ही गुजर गयी थीं. वह अपने पिता (एम के रैना) के साथ रहती हैं. उनके पिता ने घर में एक बिल्ली पाल रखी है और वह अक्सर बिल्ली के साथ ही समय बिताते हैं. यह बात नूर को पसंद नहीं आती.
उधर नूर की जिंदगी में दो दोस्त जारा पटेल (शिवानी दांडेकर) और शाद सहगल (कानन गिल)हैं. शाद का लंदन में अपना रेस्टारेंट है, पर वह अक्सर मुंबई में ही बना रहता है. नूर का बॉस शेखर दास (मनीष चौधरी) अपनी पत्नी लवलीन के पिता के चैनल के लिए खबरें व वीडियो इंटरव्यू आदि इकट्ठा करके देते हैं. नूर हमेशा इंसानी जिंदगी की सच्चाई को उकेरने वाली कहानियों पर काम करना पसंद करती है. पर शेखर दास उसे बार बार फिल्म जगत में दौड़ाते हैं.
जब शेखर दास नूर को सनी लियोनी का इंटरव्यू करने के लिए भेजते हैं, तो उसे गुस्सा आता है. नूर हमेशा बहुत बड़ी पत्रकार बनकर सीएनएन के लिए काम करने व एक अच्छे प्रेमी व पति की चाहत को लेकर सोचती रहती है. इसी बीच एक दिन नूर की मुलाकात सीएनएन में कार्यरत पत्रकार और फोटोग्राफर अयान मुखर्जी (पूरब कोहली) से होती है. नूर, अयान के करीब होने के प्रयास में लग जाती है.