कामकाजी पति पत्नी अपनी दोहरी कमाई से मौज मस्ती में डूबे हों और उसी वक्त उनके घर एक नन्हा बच्चा आ जाए. यानी कि वह माता पिता बन जाए, तो क्या होता है? बच्चे की वजह से पति पत्नी में बढ़ती दूरियां, बच्चे की निरंतर बढ़ती अपनी मांगे, इन सबका दोनों के करियर पर पड़ता असर सहित कई चीजे होती हैं. कुल मिलाकर यह ऐसा मुद्दा है, जिससे आज की युवा पीढ़ी जूझ रही है. इस रोचक मुद्दे पर राखी शांडिल्य की फिल्म ‘‘रिबन’’ बात करती है. मगर कथानक, पटकथा व निर्देशन के स्तर पर यह इतनी कमजोर फिल्म है कि आज की युवा पीढ़ी इस फिल्म के साथ खुद को जोड़ नहीं पाती है.
यह कहानी है महानगर मुंबई में रह रहे माडर्न करण (सुमित व्यास) और सहाना (कलकी कोचलीन) की. यह पति पत्नी दोनो अपने करियर में निरंतर उंचाई छू रहे हैं और संतुष्ट हैं. शराब व सिगरेट से इन दोनों को परहेज नहीं है. जब यह बात उजागर होती है कि सहाना गर्भवती है, तो वह गर्भ गिराना चाहती है, क्योंकि वह अभी मां नही बनना चाहती है. पर जब करण उसे आश्वस्त करता है कि बच्चे के आने के बाद भी वह दोनों मिलकर सब कुछ संभाल लेंगे, तो वह मां बन जाती है. सहाना एक अच्छी मां, एक अच्छी पत्नी और बेहतरीन प्रोफेशनल के रूप में उभरती है, तो वहीं करण भी कहीं से कमजोर नहीं नजर आता. यह बात युवा पीढ़ी को आनंद देती है. लेकिन जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वैसे वैसे मामला बिगड़ता जाता है. बेटी पैदा होने के बाद सहाना जहां नौकरी कर रही थी, वहां उसकी पदोन्नति होती है, फिर नौकरी चली जाती है. इधर आया, उनकी बेटी को पालने की बजाय अपने पूरे परिवार को उन्हीं के घर से पालने लगती है, कई तरह की समस्याएं आती है, जिससे यह दंपति जूझता है. पर अचानक कहानी बाल यौन शोषण की तरफ मुड़ जाती है. उसके बाद जो कुछ दिखाया गया है, उससे सामंजस्य नहीं बैठ पाता.