संसार में हर जगह अच्छे व बुरे दोनो लोग हैं, इसी के चलते यह संसार चल रहा है. लेकिन आमिर खान की नजर में ऐसा नहीं है. तभी तो आमिर खान प्रोडक्शन की फिल्म ‘सिक्रेट सुपरस्टार’ के सभी पुरुष पात्र नकारात्मक हैं. फिल्म में इंसिया के पिता फारुख को जिस तरह का दिखाया गया है, उस तरह के यदि पुरुषों की संख्या हमारे समाज में सर्वाधिक है, तो यह बहुत ही ज्यादा घातक है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है. मगर सिनेमा में उसी को पेश किया जाना चाहिए या जाता है, जो कि समाज में सर्वाधिक घटित हो रहा हो. इस कसौटी पर यदि हम फिल्म ‘सिक्रेट सुपरस्टार’ को कसते हैं, तो यह फिल्म अति घटिया साबित होती है और घरेलू हिंसा और बेटी पढ़ाओ के उत्कृष्ट संदेश भी दबकर रह जाता है.
फिल्म ‘सिक्रेट सुपरस्टार’ की कहानी के केंद्र में बौलीवुड में मशहूर गायक बनने का सपना देख रही पंद्रह वर्षीय बड़ोदरा में रह रही मुस्लिम लड़की इंसिया (जायरा वसीम) है. उसके परिवार में उसकी दादी, उसके पिता फारुख (राज अर्जुन), मां नजमा (मेहर विज) और छोटा भाई (कबीर साजिद) है. इंसिया को उसके पिता पसंद नहीं करते. फारुख के सिर पर हमेशा गुस्सा सवार रहता है. कभी भी पत्नी नजमा को पीट देना उसकी आदत सी है. इसलिए घर के अंदर सभी फारुख से डरे व सहमे से रहते हैं. इसी डर की वजह से इंसिया अपने पिता से इंटर स्कूल संगीत प्रतियोगिता का हिस्सा बनने की इजाजत नही मांग पाती, जिसमें विजेता को लैपटाप मिलना है. पर दूसरे दिन फारुख कुछ समय के लिए विदेश चले जाते हैं, तब नजमा अपने पिता का दिया हुआ हार बेचकर बेटी नजमा को लैपटाप लाकर देती है. नजमा पिता के डर की वजह से बुरखा पहनकर अपना चेहरा छिपाकर गाना रिकार्ड कर यूट्यूब पर सिक्रेट सुपरस्टार के नाम से डालती है, जिसे ग्यारह हजार से भी अधिक लोग एक ही दिन में पसंद कर लेते हैं. फिर वह अपना दूसरा वीडियो बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर डालती है. अब हर तरफ उसके गाने व उसकी यानी कि सिक्रेट सुपरस्टार की ही चर्चा होने लगती है. उसका फेसबुक और ट्विटर एकाउंट प्रशंसाओं से भरा हुआ है.