फिल्म की पटकथा चाहे जितनी कमजोर हो, मगर कलाकार अपने अभिनय के दम पर उस फिल्म को काफी हद तक रोचक बना सकता है. इसका ताजातरीन उदाहरण है फिल्म ‘तुम्हारी सुलु’, जो महज विद्या बालन के दमदार अभिनय के लिए देखी जा सकती है. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विद्या बालन ने उपनगरीय मध्यमवर्गीय परिवार की गृहिणी के साथ साथ रेडियो पर फोन करने वालों से सेक्सी बातें करने वाली आर जे तक के किरदार को जिस तरह से निभाया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है.
फिल्म ‘‘तुम्हारी सलु’’ की कहानी मुंबई महानगर से सटे विरार इलाके में रहने वाली सुलोचना उर्फ सुलु (विद्या बालन) के इर्द गिर्द घूमती है. सुलोचना (विद्या बालन) एक मध्यम वर्गीय गृहिणी है, जो कि अपने प्यारे पति अशोक दुबे (मानव कौल) और अपने बेटे प्रणव दुबे के साथ रहती है. उसके पास लक्जरी सुविधाओं से युक्त तीन बेडरूम का फ्लैट भले नहीं है, पर वह खुश रहती है. वह घर के आस पास कई तरह की प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनती रहती हैं. उसे ‘निंबू चमचा दौड़’ में पुरस्कार भी मिलता है.
सुलोचना के अंदर आत्म विश्वास है कि मैं कुछ भी कर सकती हूं. एक दिन सुलोचना के मन में रेडियो जाकी बनने का ख्याल आता है और वह स्थानीय रेडियो स्टेशन पर आडीशन देने जाती है. रेडियो स्टेशन की मालकिन मारिया (नेहा धूपिया) को सुलोचना के अंदर एक जोश नजर आता है. वह उन्हे देर रात प्रसारित होने वाले कार्यक्रम को करने के लिए रख लेती है. इस कार्यक्रम को नाम दिया जाता है-‘तुम्हारी सुलु’.
इस कार्यक्रम में सुलोचना को श्रोताओं के फोन करने पर उनसे बात करनी होती है, जो कि फ्लर्ट करने वाली बातें करना व सुनना चाहते हैं. पति की तरफ से पूरा सहयोग मिलते हुए भी सुलोचना खुद को एक मोड़ पर फंसी हुई पाती हैं. वास्तव में एक दिन उन्हे पता चलता है कि उनके बेटे की कुछ गलत हरकतों की वजह से उसे स्कूल से निकाल दिया गया है. अब वह अपने सपने को पूरा करने और एक सही मां बनने के बीच खुद को फंसी हुई पाती है. अब सुलोचना को लगता है कि ‘मैं कर सकती हूं’ का उनका मंत्र महज एक भ्रम ही था. वह रेडियो की आरजे वाली नौकरी छोड़ देती हैं. पर हिम्मत नहीं हारती. बेटे की पढ़ाई का ख्याल रखते हुए टिफिन सेवा से लेकर कुछ दूसरे काम करती है और फिर एक दिन पुनः ‘आरजे’ बन जाती है.
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