देशभर में 1 जुलाई से वन नेशन, वन टैक्स के अंतर्गत जीएसटी लागू हो गया है. जिसे लेकर देशभर में लोगों के मन में आशंकाएं पनप रही हैं. ऐसा ही हाल फिल्म इंडस्ट्री का भी है, जहां लोगों के मन में मनोरंजन कर को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जीएसटी काउन्सिल ने मनोरंजन कर 18 और 28 फीसदी तय किया है, जिसके अंतर्गत बॉलीवुड सिनेमा और रीजनल सिनेमा का समावेश होगा.

जीएसटी को लेकर फिल्मों के शौकीन भी परेशान हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद मूवी देखने में उनकी जेब कितनी कटेगी. जहां बॉलीवुड फिल्में बनाने में लागत बढ़ने की बात से परेशान है, वहीं बॉलीवुड फैन्स को टेंशन है कि फेवरेट एक्टर की फिल्म देखने के लिए उनको ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी.

जीएसटी के तहत दर्शकों को 100 रुपए या उससे कम की टिकिट पर 18 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ेगा, वहीं 100 रूपए से अधिक की टिकिट पर 28 प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ेगा.

ऐसे में डिस्ट्रिब्यूटर्स का मानना है कि सिंगल थियेटर पर जीएसटी का असर मल्टीप्लेक्स के मुकाबले कम होगा. दरअसल, 100 रुपये का टिकट रेट फिलहाल सिंगल स्क्रीन पर मिल सकता है. ऐसे में अगर यहां की टिकट के दाम जीएसटी लगने के बाद कम रहते हैं तो सिंगल स्क्रीन सिनेमा पर फिल्म देखने वालों की भीड़ लौट सकती है.

जैसा कि आप जानते हैं अब तक फिल्मों पर मनोरंजन कर निर्धारित करना राज्यों के हाथों में था, जिसके तहत अलग-अलग राज्यों में टैक्स की दरें अलग-अलग थीं, जहां झारखंड में 110 प्रतिशत, तो उत्तप्रदेश में 60 प्रतिशत टैक्स लिया जाता था.

इसके अलावा आंध्र प्रदेश में मनोरंजन कर 20 प्रतिशत ही देना पड़ता था. इस हिसाब से देखा जाए, तो कुछ राज्यों में टिकिट दरें सस्ती, तो कुछ में महंगी हो सकती हैं. उत्तर प्रदेश में 60 प्रतिशत दर लगाई गई थी, वहां टिकिट दरों पर जीएसटी का फायदा लोगों को होगा.

कयास लगाए जा रहे हैं कि जीएसटी का असर बॉलीवुड से ज्यादा क्षेत्रीय फिल्मों पर पड़ेगा. दरअसल इन फिल्मों पर एंटरटेनमेंट टैक्स कम लगता है. कन्नड़ फिल्मों पर तो एंटरटेनमेंट टैक्स लगाया ही नहीं जाता है. लेकिन अब इन पर जीएसटी लगने से टिकट के दाम बढ़ जाएंगे जिनके चलते कम दर्शक इन फिल्मों को देखने सिनेमा हॉल पहुंचेंगे.

इस बिल को लेकर भले ही सरकार खुश हो, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के कुछ कलाकारों ने इसका विरोध किया है. इसमें कमल हसन और आर, माधवन का नाम सबसे ऊपर हैं. इन अभिनेताओं का मानना है कि 28 प्रतिशत के दर से अगर रीजनल सिनेमा पर टैक्स लगेगा, तो लोग आगे चलकर ऐसी फिल्में नहीं बनाएंगे.

एक इवेंट में एक्टर कमल हासन ने इस बारे में सरकार पर भी उंगली उठाई थी. उनका कहना था- इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर रीजनल सिनेमा ही अवॉर्ड जीतकर लाता है. ऐसे में सरकार ने इन फिल्मों को बॉलीवुड की हाई बजट फिल्मों के साथ हाई रेट टैक्स स्लैब में रखकर सही नहीं किया है.

इसके पीछे उन्होंने तर्क देते हुए उन्होंने बताया कि रीजनल सिनेमा के लिए प्रत्येक राज्य मनोरंजन कर में छूट देता है, जिसमें महाराष्ट्र में बॉलीवुड फिल्मों पर 45 प्रतिशत, तो मराठी फिल्मों में मात्र 7 प्रतिशत टैक्स लगता था. अब जीएसटी के मुताबिक इन फिल्मों पर मनिरंजन कर बढ़ जाएगा.

आपको बताते चलें कि फिल्में बनाने में भले ही भारत सबसे आगे है. लेकिन यहां फिल्म इंडस्ट्री के हालात अच्छे नहीं हैं. जिस तरह का बजट है, उस तरीके से फिल्में कमाई नहीं कर रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है पायरेसी.

दंगल हो या बाहुबली-2, तमाम फिल्में रिलीज के साथ ही इंटरनेट पर आ जाती हैं. इससे फिल्मों की कमाई को खासा नुकसान पहुंचता है. ऐसे में अगर जीएसटी से बढ़े रेट दर्शकों की ज्यादा जेब काटने लगे तो पायरेसी की डिमांड और होगी. इसके लिए इंडस्ट्री के साथ ही सरकार को भी अभी से अलर्ट होने की जरुरत है.

अब देखना ये है कि सरकार का ये फैसला फिल्म इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद साबित होता है या नहीं.

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