फिल्म की कहानी हैप्पी (डायना पेंटी) और गुड्डू (अली फजल) की प्रेम कहानी के इर्दगिर्द घूमती है. यह प्रेम कहानी लाहौर व अमृतसर यानी कि भारत व पाकिस्तान के बीच चलती है. फिल्म शुरू होती है अमृतसर में पाकिस्तानी प्रतिनिधि मंडल व भारतीय प्रतिनिधि मंडल के बीच बातचीत से. जहां पाकिस्तान के पूर्व गर्वनर जावेद अहमद (जावेद शेख) अपने बेटे बिलाल अहमद (अभय देओल) के साथ पहुंचे हैं. बिलाल की रूचि क्रिकेट में है, तो वह बैठक से गायब होकर गली के बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने लगते हैं. उधर हैप्पी के पिता (कंवलजीत), हैप्पी की शादी स्थानीय गुंडे व कारपोरेटर बग्गा (जिम्मी शेरगिल) के साथ करा रहे हैं. जबकि हैप्पी तो गुड्डू से प्यार करती है.

इसलिए गुड्डू के साथ हैप्पी योजना बनाती है. अब हैप्पी को मेंहदी की रस्म वाले दिन गुड्डू के दोस्त विंकी के फूलों के ट्रक में बैठकर भागना है. पर वह अपने घर की खिड़की से जिस ट्रक पर कूदती है, वह ट्रक बिलाल का होता है. इसी ट्रक में रखी एक बहुत बड़ी टोकरी में हैप्पी छिप जाती है. बिलाल अपने ट्रक के साथ वापस लाहौर, पाकिस्तान पहुंच जाता है. बिलाल के घर टोकरी पहुंचने पर हैप्पी निकलती है, तो हैप्पी, गुड्डू के बारे में पूछती है. इधर बिलाल परेशान हैं कि वह लड़की उस टोकरी में कैसे? पर जब राज खुलता है कि हैप्पी अपने प्रेमी गुड्डू के लिए भागी है और वह पाकिस्तान पहुंच चुकी है, तो भी वह डरती नहीं है.

मगर बिलाल को पाकिस्तान में अपने पिता की इज्जत पर धब्बा लगने का डर सताता है. इसलिए बिलाल, हैप्पी को फिर से अमृतसर भिजवाने की बात करता है. यह सुनकर हैप्पी बिलाल के घर से भागती है. रास्ते में पाकिस्तानी पुलिस का एसीपी उस्मान अफरीदी (पीयूष मिश्रा) उसे भारतीय जासूस समझकर पकड़ लेता है. पर हैप्पी उसे धमकाते हुए बताती है कि वह अहमद साहब की मेहमान है. फिर पुलिस स्टेशन से हैप्पी को बिलाल लेकर जाता है. और अपने पिता को बिना बताए हैप्पी को घर में छिपाकर रखता है. इधर बिलाल की मंगनी उनकी बचपन की दोस्त जोया (मोमल शेख) से हो चुकी है. जब बिलाल की गाड़ी में बैठी हैप्पी पर जोया की नजर पड़ती है, तो उसे बुरा लगता है. वह बिलाल से सवाल जवाब करती है. बिलाल उसे सच बताता है, पर पहले जोया को यकीन नहीं होता. पर फिर वह भी हैप्पी को भारत वापस भिजवाने की बिलाल की योजना में मदद करना शुरू करती है.

बिलाल योजना बनाता है कि वह अमृतसर जाकर गुड्डू को लाहौर लेकर आएगा. लाहौर में गुड्डू व हैप्पी की शादी कराकर उन्हें वापस अमृतसर भिजवा देगा. अब बिलाल अपने पाकिस्तानी पुलिस अफसर दोस्त के साथ अमृतसर जाता है. वहां पर बग्गा व गुड्डू को अलग अलग ढंग से समझाकर गुड्डू को लाहौर ले आता है. पर बग्गा को पता चल जाता है कि हैप्पी लाहौर में है. अब बग्गा, हैप्पी के पिता को साथ लेकर लाहौर आता है. इसी बीच बग्गा का साथी लाहौर के अपने दोस्त व गुंडे रशीद से कह कर हैप्पी को अगवा करा लेता है.

गुड्डू के लाहौर पहुंचने के साथ ही बिलाल अपने पिता को समझाता है कि उनकी इज्जत को बढ़ाने के लिए उसने सौ लड़कियों के सामूहिक विवाह का आयोजन करने का फैसला किया है. बिलाल इसी समारोह में गुड्डू व हैप्पी की शादी कराकर उन्हें वापस अमृतसर भेजने की योजना बना लेता है. पर इसी बीच हैप्पी को लेकर बिलाल कुछ ऐसी बातें कह जाता है, जिससे जोया को लगता है कि बिलाल, हैप्पी से प्यार करने लगा है. जोया साफ कर देती है कि यदि बिलाल उसे छोड़ना चाहे, तो भी वह खुश रहेगी.

इधर विंकी की मदद से गुड्डू को पता चल जाता है कि बग्गा उसकी तलाश में लाहौर आ रहा है. अब बिलाल अपने दोस्त व पुलिस अफसर उस्मान अफरीदी की मदद से हैप्पी की तलाश शुरू करता है. तथा वह उस्मान अफरीदी को जिम्मेदारी देता है कि बग्गा जैसे ही लाहौर के बस अड्डे पहुंचे, उसे गिरफ्तार कर लिया जाए. बग्गा गिरफ्तार होता है. इधर हैप्पी मिलती है, तो उधर पुलिस स्टेशन से बग्गा फरार हो जाता है.

कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः गुड्डू और हैप्पी की शादी हो जाती है, दोनों वापस अमृतसर पहुंच जाते हैं. उधर बग्गा अमृतसर पहुंचकर हीरो बनने का प्रयास करता है कि वह पाकिस्तान से हैप्पी को छुड़ाकर लाया है.

पूरी फिल्म हास्य व रोमांस के साथ एक रोमांचक यात्रा है. हैप्पी की तुलना मधुबाला से की गयी है. फिल्म में दिखाया गया है कि हर कोई हैप्पी से प्यार करने लगता है, जबकि हैप्पी का किरदार उस ढंग से उभर नहीं पाता. फिल्मकार को अपने इस मकसद के लिए डायना पेंटी की जगह दूसरी कलाकार के  बारे में सोचना चाहिए था.

फिल्म का पहला भाग उत्सुकता जगाता है. मगर इंटरवल के बाद फिल्म ढीली पड़ जाती है. फिल्मकार ने कुछ दृश्यों को बेवजह जोड़ा है, जिनके बिना भी यह फिल्म ज्यादा अच्छी लगती.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो पाकिस्तानी टीवी सीरियलों में अभिनय करने के बाद पहली बार बड़े परदे पर अभिनय करने वाली मोमल शेख ने बेहतरीन काम किया है. लेखक व निर्देशक ने उनके जोया के किरदार को सही परिप्रेक्ष्य में पेश किया है. अभय देओल व अली फजल ठीक ठाक हैं. जिम्मी शेरगिल तो हर फिल्म में छा जाते हैं. पर इस फिल्म में एक दो दृश्यों में वह भी ‘तनु वेड्स मनु’ की याद दिला देते हैं. पंजाबी लड़की के किरदार में डायना पेंटी ने ठीक ठाक ही अभिनय किया है. पीयूष मिश्रा, जावेद शेख भी सही रहे.

फिल्म के निर्देशक मुदस्सर अजीज ने अपनी पिछली फिल्म ‘‘दूल्हा मिल गया’’ के मुकाबले अपने आपको काफी सुधारा है, पर अभी उन्हे अपने आपको विकसित करने की बहुत जरुरत है. ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ एक साफ सुथरी पारिवारिक फिल्म है, जिसे तर्क की किसी कसौटी पर बिना कसे एक बार देखने का लुत्फ उठाया जा सकता है.

‘‘कलर येलो प्रोडक्शन’’ के बैनर तले आनंद एल राय व कृषका लुल्ला निर्मित फिल्म ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ के लेखक व निर्देशक मुदस्सर अजीज तथा कलाकार हैं- अभय देओल, डायना पेटी, अली फजल, मोमल शेख, पीयूष मिश्रा, जिम्मी शेरगिल व अन्य.

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