बौलीवुड में महिलाओं के लिए काफी बदलाव आया है, लेकिन टिस्का चोपड़ा को लगता है कि अभी भी काफी कुछ बदलना बाकी है. टिस्का का मानना है कि फिल्म जगत में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महिलाओं को खुद आगे आकर लेखन, निर्माण और निर्देशन को अपने हाथों में लेना होगा. टिस्का का कहना है कि चीजें बदल रही हैं, लेकिन बहुत कुछ ऐसा है जिसे बदलना बाकी है. जितना होना चाहिए उतना बदलाव अभी नहीं आया है. हमें बदलाव की रफ्तार में तेजी लानी होगी और महिलाओं को लेखन, निर्माण और निर्देशन के क्षेत्र में भी आना होगा. उन्होंने कहा, “महिलाओं का नजरिया महिलाओं का ही नजरिया होता है. अगर एक महिला बच्चे पैदा कर सकती है तो वह निश्चित तौर पर फिल्म निर्माण भी कर सकती है.”
अभिनेत्री ने कहा, “मैंने एक लघु फिल्म ‘चटनी’ बनाई थी. मेरी अगली लघु फिल्म तैयार है और हम तीसरी फिल्म पर काम कर रहे हैं. तीसरी फिल्म का शीर्षक ‘दिल्ली वाले भाटिया’ है. हम इसे लोगों के सामने लाने को लेकर बहुत उत्साहित हैं.
काफी लंबे समय से भारतीय फिल्म इंटस्ट्री में सक्रिय रहने के बाद, टिस्का को उम्मीद है कि अच्छे कंटेट को इंडस्ट्री में अहमियत दी जाएगी. उन्होंने कहा कि "मैं बौलीवुड में बदलाव देखना चाहती हूं और यह भी चाहती हूं कि बेसिर पैर की जगह अच्छे कंटेट को अहमियत दी जाए. मुझे अधिक खुशी होगी अगर पैसा कंटेट और लेखकों पर खर्च किया जाए क्योंकि आखिर उससे फिल्म को मदद मिलेगी. मैं यह नहीं कहती कि बाकी फिल्में नहीं चलती लेकिन कंटेट बेस्ड फिल्म चलती हैं और लोग उसे पसंद भी करते हैं.