राजू हिरानी की फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ में सर्किट की भूमिका निभाकर चर्चित हुए अभिनेता अरशद वारसी बेहतर कॉमिक टाइमिंग के लिए जाने जाते हैं. हालांकि उनके कैरियर का शुरुआती दौर काफी संघर्षपूर्ण था, पर उन्होंने धीरज और मेहनत के बल पर मुकाम हासिल किया. पहली फिल्म में काम करने का मौका उन्हे अमिताभ बच्चन की कंपनी की फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ से मिला, इसके बाद भी उन्होंने कई फिल्में की, पर वे हिंदी सिनेमा में कही नजर नहीं आये. सर्किट की भूमिका उनके जीवन का टर्निंग पाइंट था. जहां से उन्हे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. अभी उनकी फिल्म ‘इरादा’ रिलीज पर है, जिसे लेकर वह खुश हैं. उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार हैं.
प्र. इस फिल्म में काम करने की खास बात क्या थी? नसीरुद्दीन शाह के साथ एक बार फिर काम करने का अनुभव कैसा रहा?
यह एक ‘इशू बेस्ड’ इको थ्रिलर फिल्म है, जो गंभीर समस्या आजकल हमारे देश में है. निर्देशक ने इसे दिखाते हुए रोचक बनाया है. मैंने इस तरह की भूमिका पहले निभाई नहीं थी. इसके अलावा अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के साथ फिर से काम करना हमेशा से एक ड्रीम ही रहता है. वे भी मेरे साथ काम करना पसंद करते हैं. वे मेरी कंपनी पसंद करते हैं. वे शायरी और समझदारी की बात करते हैं और मैं बेकार और मस्ती की बातें अधिक करता हूं. असल में वे मेरी ईमानदारी को पसंद करते हैं.
प्र. आप एक डांसर और अच्छे कॉमिक टाइमिंग के लिए जाने जाते हैं? लेकिन अभी आप काफी कम फिल्में कर रहे हैं, इसकी वजह क्या है?
सभी मुझे यह पूछते हैं. मेरे उत्तर को शायद ही लोग विश्वास करें, मेरे हिसाब से प्रॉपर्टी से अधिक फैमिली पर इन्वेस्ट करना अच्छा होता है. मेरे बच्चे, पत्नी सभी के साथ अब मैं समय बिताना पसंद करता हूं, काम तो मैंने बहुत कर लिए हैं. दोनों आप साथ में नहीं कर सकते, कहीं पर आपको मना करना जरुरी है. मेरे लिए मेरा परिवार पहले है. कभी ऐसा समय था जब मैं एक शूट ख़त्म कर घर पंहुचा फिर अगले दिन दूसरे के लिए तैयार होकर निकल गया. एक दिन मैंने अपने बेटे को जब वापस आकर मिलने की बात कही तो उसने भोलेपन से कहा कि आप तो अब तब आओगे, जब मैं बड़ा हो जाऊंगा. उसकी इस बात ने मुझे सोच में डाल दिया और उस दिन से मैंने कम काम करना शुरू कर दिया, क्योंकि पैसे की कोई लिमिट नहीं होती और उसे पाने की लालच में मैं अपना परिवार खो नहीं सकता.