मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कठिन से कठिन हालात भी आगे बढ़ने की राह में रोड़ा नहीं बनते. ऐसी ही जीवन की कठिन राह पर अपने आत्मविश्वास के बलबूते सफलता की नई इबारत लिखने वाली बॉलीवुड की स्टंट वूमन गीता टंडन हैं.  बॉलीवुड में कई अभिनेत्रियों के लिए स्टंट कर चुकीं गीता की बीती जिंदगी भी उन के प्रोफैशन के जैसी ही कठिन और जोखिम भरी रही है.

महज 15 साल की उम्र में शादी हो जाने और उस के बाद पति व सास की प्रताड़ना से निकल कर 2 बच्चों को पालने तथा स्टंट जैसे जोखिम भरे प्रोफैशन के साथ सम्मान की जिंदगी जीने वाली गीता रीबोक ‘फिट टू फाइट’ अवार्ड से सम्मानित हैं. एक मुलाकात के दौरान उन से हुई बातचीत के कुछ चुनिंदा अंश पेश हैं:

स्टंट वूमन बनने का सफर कैसा रहा?

जैसे हर एक काली रात के बाद सुबह होती है, मेरा जीवन भी कुछ उसी तरह का रहा. जब 15 साल की थी, तो पिता ने मेरी शादी यह सोच कर कर दी कि मैं शादी के बाद खुश रहूंगी, क्योंकि शादी के पहले मैं ने अपने परिवार के साथ बहुत धक्के खाए थे. लेकिन शादी के बाद भी वे सभी अरमान हवा हो गए, जो मैं ने संजोए थे. पति शराबी था. रोज पीटता था. सास भी प्रताडि़त करती थी. 2 बच्चों की मां बनने के बाद भी जब मेरी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया, तब मैं ने फैसला किया कि मैं ऐसे ही अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी बरबाद नहीं होने दूंगी. अत: पति का घर छोड़ दिया. समाज ने बहुत कुछ कहा. पति का घर छोड़ने के बाद कई रातें सड़कों पर गुजारीं. लोगों के घरों में काम किया, क्योंकि मुझे पैसों की जरूरत थी.

3 साल ऐसे ही संघर्ष करते निकल गए.  इस के बाद एक भांगड़ा पार्टी में शामिल हो गई. शादीविवाह पर डांस करने लगी. जब पैसे आए तब जिंदगी में कुछ सुधार आया, लेकिन मुझे और पैसों की जरूरत थी. तभी किसी ने फिल्मों में स्टंट के बारे में बताया कि इस में पैसे अच्छे मिलते हैं. तब मैं यह काम करने लगी.

अतीत कैसा रहा?

पिछला समय कठिनाइयों में गुजरा है. तभी आने वाला समय अच्छा बन पाया है. मैं अपने बुरे अतीत को हमेशा अपने लिए पौजिटिव मानती हूं, क्योंकि अगर जरूरतें न होतीं तो मैं कभी इस प्रोफैशन को न चुन पाती. मैं मानती हूं कि मेरी पैसे की जरूरत ही इस काम के लिए मेरा जनून बन गई.

इतना जोखिम भरा काम ही क्यों चुना?

मैं ऐसा बिलकुल नहीं बोलूंगी कि मेरा बचपन से ही स्टंट करने का सपना रहा है. सच बताऊं तो जब मैं जीवन की उस राह पर खड़ी थी जब मुझे पैसों की बहुत जरूरत थी तब जो काम मिला मैं करती गई. मेरा मानना है कि काम कोई छोटाबड़ा नहीं होता. अगर मुझे सड़क पर झाड़ू लगाने का काम भी मिलता तो मैं हां कर देती, क्योंकि उस में पैसे तो मिलते. ऐसे ही जब स्टंट करने का काम मेरे पास आया तो मैं ने हां कह दी. मेरे पास इस काम की कोई ट्रेनिंग नहीं थी, लेकिन वक्त हर काम करवा देता है.

असली पहचान कब मिली?

पहले मुझे सिर्फ इंडस्ट्री के लोग ही जानते थे कि मैं एक स्टंट वूमन हूं और 2 बच्चों की सिंगल मदर हूं. लेकिन जब मेरी डौक्यूमैंटरी आई तब लोगों के सामने मेरी कहानी आई. इस के बाद तो मेरी जिंदगी ही बदल गई. मुझे कई अवार्ड मिले. इंटरव्यू के लिए लोगों के फोन आने लगे. पहले मैं अपनी कहानी सब के सामने लाने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन जब लोगों ने कहा कि मेरी कहानी से और लोग भी प्रेरित होंगे तब मैं ने डौक्यूमैंटरी के लिए हां कही.

सपने देखती हैं?

मेरा मानना है कि अगर सपने ही न होंगे, तो उन्हें सच करने की प्रेरणा कहां से मिलेगी. मेरा  अक्षय कुमार के साथ काम करने का बचपन से सपना था. फिल्म ‘दे दनादन’ में उन्हें करीब से देखने का मौका तो मिल गया. लेकिन साथ काम कभी नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि मैं तो एक स्टंट वूमन हूं कोई ऐक्ट्रैस नहीं.

अपने बच्चों के लिए क्या सपने हैं आप के?

मैं ने हमेशा उन्हें एक बात सिखाई है कि जिंदगी में जैसा खुद को बनाओगे वैसे ही तुम्हें लोग मिलेंगे. खूब पढ़ो और वह सब करो, जो मैं न कर पाई. उन दोनों में मैं अपना बचपन और जवानी जीते देखना चाहती हूं. बेटा फिल्म इंडस्ट्री में आना चाहता है पर क्या काम करेगा, यह अभी तय नहीं है. 

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