पिता की एडवरटाइजिंग कंपनी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक राहुल ढोलकिया ने कई डॉक्यूमेंट्री और कमर्शियल फिल्में बनायीं. फिल्मों की बारीकियां सीखने के लिए वे साल 1990 में न्यूयार्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गए. वे हमेशा सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में बनाने के शौकीन हैं. इस कड़ी में गुजरात दंगे पर आधारित फिल्म ‘परजानिया’ काफी पोपुलर रही. कई पुरस्कारों के अलावा उन्हें दर्शकों ने भी उसे खूब पसंद किया.

राहुल हर फिल्म को बनाने में काफी समय लेते हैं जिसकी वजह उनका फिल्म के विषय पर अधिक रिसर्च का करना है. ‘रईस’ का प्रमोशन करते हुए उन्होंने कहा कि भले ही इसे बनाने में 5 साल लगे ,पर दर्शक इसे खूब पसंद करेंगे. उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है बातचीत के अंश.

प्र. ‘रईस’ फिल्म की कांसेप्ट कहां से मिली?

जब मैं अमेरिका में था, तो मेरे दोस्तों ने ‘लिकर बैन’ पर कुछ बनाने का सुझाव दिया था. मुझे स्टोरीलाइन अच्छी लगी थी. उस समय बैन सिर्फ गुजरात में था. अब तो बिहार में भी बैन है. फिर मैंने इस पर काम करना शुरू किया. तो मैंने रिसर्च कर पाया कि अपराध करना कभी भी सही नहीं होता, चाहे अपराध कैसा भी हो. रईस का अर्थ केवल अधिक पैसे का होना नहीं है, आप दिल से भी रईस हो सकते हैं.

प्र. ‘लिकर बैन’ को आप किस तरह से देखते हैं?

मेरे हिसाब से बैन कभी भी सही नहीं होता. किसी भी बात की पाबन्दी नहीं होनी चाहिये, क्योंकि पाबन्दी बगावत की शुरुआत होती है.

प्र. फिल्म को अच्छा बनाने में टीम का कितना सहयोग होता है?

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