1984 की मिस इंडिया जूही चावला 16 साल की बेटी जाह्नवी और 14 साल के बेटे अर्जुन की मां होने के बावजूद आज भी बेहद खूबसूरत और जवां नजर आती हैं और इस की सब से बड़ी वजह है उन की मुसकान. यह तब भी थी और अब भी है. अपनी इसी मुसकान की वजह से जूही फिल्म इंडस्ट्री की चुलबुली अभिनेत्री का खिताब भी पा चुकी हैं.

मौडल से ऐक्ट्रैस और ऐक्ट्रैस से प्रोड्यूसर बनीं जूही उम्र के इस पड़ाव में भी अपने स्टारडम को संभालने के साथसाथ पर्सनल लाइफ में भी अपनी भूमिकाएं कैसे निभा रही हैं, चलिए जानते हैं उन्हीं से:

अपनी पर्सनल और प्रोफैशनल लाइफ को एकसाथ कैसे मैनेज करती हैं?

इस के लिए मैं तहेदिल से अपने परिवार की आभारी हूं. अगर परिवार का साथ न होता, तो मेरे लिए प्रोफैशनल लाइफ में आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता. मुझे याद है जब बच्चे छोटे थे, तब उन्हें मेरे इनलाज संभालते थे और मैं शूट पर जाती थी, तो कई बार मेरे बीमार पड़ने पर भी परिवार वाले ही मेरी देखभाल करते थे. मैं हमेशा से परिवार पर आश्रित रही हूं. घर वालों के सहयोग के बिना ये सब मुमकिन नहीं था. मेरा मानना है कि आप अपने जीवन में अपने प्रिय और करीबी लोगों की सहायता से ही आगे बढ़ पाते हैं. मैं ने अकेले सब कुछ मैनेज नहीं किया है, परिवार के सहयोग से किया है, जिस के लिए मैं उन का आभार भी प्रकट करती आई हूं. मुझे हमेशा मेरे परिवार का सहयोग मिला है.

किन पेरैंटिंग रूल्स को ध्यान में रख कर आप ने अपने बच्चों की परवरिश की?

अच्छी परवरिश के लिए कई पेरैंटिंग रूल्स जरूरी हैं, लेकिन जब मुझे किसी खास रूल की जरूरत होती है तब वह मेरे दिमाग से निकल जाता है. ऐसे में मैं बस एक बात का ध्यान रखती हूं कि मुझे कभी बच्चों पर अपने विचार नहीं थोपने हैं, उन पर कभी हावी नहीं होना है, खासकर तब जब बात कैरियर की हो. मैं अपने बच्चों से कभी नहीं कहती कि तुम्हें अभिनेत्री या अभिनेता ही बनना है. वे जो चाहें बन सकते हैं.

अपनी मां की कौन सी खूबी खुद में चाहती हैं?

मेरी मां वर्किंग वूमन थीं. उन की ड्रैसिंग सैंस कमाल की थी. वे बहुत ही खूबसूरत थीं. घर और बाहर दोनों को सहजता से मैनेज कर लेती थीं. उन्हें देख कर मैं हमेशा सोचती थी कि बड़ी हो कर मैं भी उन की तरह बनूंगी. मुझे अफसोस है कि आज वे हमारे बीच नहीं हैं.

चूंकि आप के बच्चे स्टार किड हैं. ऐसे में आप उन्हें किस बात का एहसास दिलाती रहती हैं?

मैं जानती हूं मेरे बच्चों का दिल सच्चा है. वे कभी ऐसा काम नहीं करते जिस से मुझे तकलीफ हो. हां, लेकिन जहां जरूरत होती है मैं उन्हें गाइड करती रहती हूं जैसे मैं उन्हें हमेशा छोटीबड़ी हर चीज की कद्र करने को कहती हूं.

अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम किस तरह बिताती हैं?

मेरे लिए जब भी संभव होता है अपने परिवार और बच्चों के साथ समय बिताने की कोशिश करती हूं. जब मैं घर पर होती हूं बच्चे भी आसपास होते हैं, तो काफी अच्छी लगता है. मुझे उम्मीद है बच्चों को भी मेरी मौजूदगी खुशी का एहसास दिलाती है. मैं ने अपने घर में एक रूल बना रखा है कि जब भी हम सब एकसाथ डाइनिंग टेबल पर लंच या डिनर के लिए इकट्ठा  होंगे हमारे आसपास न तो मोबाइल फोन होगा और न ही कोई किताब. जब कभी मेरा या जय (पति) का फोन डाइनिंग टेबल के पास होता है, तो बच्चे हमें तुरंत टोकते हैं. यह देख कर अच्छा लगता है.

मां बनने के बाद प्रोफैशन को अलविदा कहने वाली महिलाओं से क्या कहेंगी?

मैं उन की हिम्मत की दाद दूंगी कि उन्होंने यह फैसला लिया, क्योंकि मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर पाई. मैं ने हमेशा अपने काम को जारी रखना चाहा. मैं गिवअप के लिए खुद को राजी नहीं कर पाई.                         

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