बॉलीवुड फिल्म निर्माता किदर शर्मा, का जन्म 12 अप्रैल को हुआ था. फिल्म निर्माता होने के साथ-साथ किदर एक स्क्रिप्ट राइटर, लीरिसिस्ट भी थे. 50 से ज्यादा हिन्दी फिल्में बनाने के साथ उन्होंने साल 1949 में आई फिल्म ‘नेकी और बदी’ में मुख्य किरदार निभाया था. किदर शर्मा का जन्म नरोवल, जो कि अब पाकिस्तान में हैं, के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था.

उस समय किदर, देवकी बोस की फिल्मों से काफी प्रेरित थे और उनकी ही फिल्मों से प्रेरित होकर उन्होंने बतौर पेंटर कलकत्ता की एक थियेटर कंपनी में काम करना शुरु कर दिया था. किदर के हुनर को देखते हुए देवकी बोस ने उन्हें लिरिक्स और कुछ डायलॉग्स लिखने की सलाह दी.

एक बीमारी के बाद 29 अप्रैल साल 1999 में, हिंदी के बड़े फिल्म निर्माता किदर शर्मा की मौत हो गई थी. विडंबना से, किदर को उनकी मौत के एक दिन बाद ही महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई के शाममखानंद हॉल में 'राज कपूर पुरस्कार' दिया जाना था. इसमें विडंबना ये थी कि, किदर शर्मा ही वे निर्माता थे जिन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए राज कपूर जैसे अभिनेता की खोज की थी. राज कपूर के अलावा उन्होंने मधुबाला, गीता बाली, भरत भूषण, मेहताब और माला सिन्हा जैसी अन्य सितारे भी हिन्दी सिनेमा को दिये थे.

किदर शर्मा ने नील कमल जैसी सुपर हिट फिल्म के अलावा देवदास, विद्यापति, चित्रलेखा, , सुहाग रात, जोगन, बावर नैन, पयाज नैन, जिंदगी, करोड़पति, अनाथा आश्रम, विशाखकन्या, मुमताज महल, भंवारा और भेगी पोल्केन जैसी कई हिट फिल्मों का निर्माण किया.

किदर शर्मा ने ‘पंछी’ नाम से कविताओं की एक पुस्तक भी प्रकाशित की थी, जिसकी एक प्रति गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा ऑटोग्राफ्ड है. किदर की फिल्म 'चित्रलेखा' की सफलता के बाद, उस समय के काफी बड़े फिल्म निर्माता और साल 1927 की काफी चर्चित फिल्म 'गनसुंदरी' के डायरेक्टर चंदुलाल शाह ने साल 1941 में अपने लिए फिल्म बनाने के लिए किदर को बॉम्बे आमंत्रित किया.

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