मूलतया गोवा की रहने वाली इलियाना डिकू्रज ने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत दक्षिण भारत की फिल्मों से की. वहां 18 फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाने के बाद अनुराग बसु की फिल्म ‘बर्फी’ से हिंदी फिल्मों में कदम रखा. उस के बाद ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ और ‘मैं तेरा हीरो’ जैसी हास्य फिल्मों में नजर आईं. अब वे सैफ अली खान के साथ फिल्म ‘हैप्पी एंडिंग’ में नजर आ रही हैं, जिस में उन्होंने अनरोमांटिक किरदार निभाया है.
पेश हैं, इलियाना से हुई गुफ्तगू के कुछ अहम अंश:
आप का कैरियर किस दिशा में जा रहा है?
मेरा कैरियर सही दिशा में जा रहा है. मुझे अच्छी कहानियों वाली फिल्में मिल रही हैं. पहली हिंदी फिल्म ‘बर्फी’ में काम करने के बाद 2 कमर्शियल फिल्में कीं. फिर ‘हैप्पी एंडिंग’ की, जो अलग तरह की फिल्म है.
आप के लिए सफलताअसफलता क्या माने रखती है?
दोनों बहुत जरूरी हैं. यदि आप निरंतर सफलता की ओर अग्रसर रहते हैं, तो काम में विविधता नहीं आती. मेरी पहली फिल्म ‘बर्फी’ हिट रही. इस फिल्म को कई अवार्ड भी मिले. मेरी दूसरी फिल्म ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ कम चली. जब कैरियर में इस तरह का उतारचढ़ाव आता है, तो हमें काम करने में ज्यादा आनंद मिलता है, क्योंकि हम कुछ नया करने की कोशिश करते हैं. ‘हैप्पी एंडिंग’ दर्शकों को जरूर पसंद आएगी.
सैफ के साथ काम करने की इच्छा ‘हैप्पी एंडिंग’ में पूरी हो गई. उन के साथ काम करने पर क्या पाया?
उन के साथ काम कर के मुझे बहुत अच्छा लगा. वे बेहतरीन कलाकार के साथसाथ बेहतरीन और ईमानदार इंसान भी हैं. वे सैट पर बहुत कम बोलते हैं. मैं ने उन से बहुत कुछ सीखा. उन की वजह से सैट पर हमेशा खुशनुमा माहौल बना रहता था.
आप ने रणबीर कपूर, वरुण धवन, सैफ अली खान के साथ काम किया है. अपनी उम्र से काफी बड़ी उम्र के अभिनेताओं के साथ काम करना आप के लिए कितना सहज रहा?
मैं एक कलाकार हूं. शूटिंग के वक्त कैमरे के सामने मुझे हर कलाकार पात्र के रूप में नजर आता है.
अपनी हमउम्र अभिनेत्रियों से प्रतिस्पर्धा को किस तरह लेती हैं?
मैं किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं करती. हर अभिनेत्री की अपनी खासीयत होती है. मैं कंपीटिशन की बात सोचती ही नहीं.
किस निर्देशक के साथ काम करने की ख्वाहिश है?
किसी एक का नाम नहीं ले सकती क्योंकि मैं कई निर्देशकों के साथ काम करना चाहती हूं. लेकिन मुझे होमी अदजानिया का काम बहुत पसंद है और अनुराग बसु चाहे किसी भी तरह की फिल्म का औफर दें, मैं उन के साथ काम करना चाहूंगी.
आप की निजी जिंदगी में रोमांस को ले कर क्या सोच है?
मैं प्यार में यकीन करती हूं और शादी में भी. कोई भी रिश्ता हो उस में खुशी ही मिलती है पर उसे बनाए रखने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. मैं खुशहाल औरत की जिंदगी जीना पसंद करती हूं पर शादीशुदा जिंदगी सदैव खुशहाल नहीं हो सकती इस के लिए प्रयास करना जरूरी होता है.
यानी आप यह मानती हैं कि दोस्ती हो, शादी हो या कोई अन्य रिश्ता उसे बरकरार रखने के लिए समझौता करना ही पड़ता है?
सौ प्रतिशत. 2 इंसान हैं, तो दोनों को कोई न कोई समझौता करना ही पड़ेगा. यह नियम लिव इन रिलेशनशिप और शादी दोनों जगह लागू होता है. जब 2 लोग मिलते हैं, तो वे एकजैसे हों, यह संभव नहीं. दोनों का टैंपरामैंट, आदतें, काम करने का तरीका सब कुछ अलग होगा, तो कंप्रोमाइज करना ही पड़ेगा.
लिव इन रिलेशनशिप को ले कर आप की सोच क्या है?
मेरी सोच के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप और शादी में ज्यादा फर्क नहीं है. लिव इन रिलेशनशिप भी शादी की ही तरह है. लेकिन इस में कोई बंधन नहीं होता. जब चाहें अलगअलग राह पकड़ सकते हैं. कानूनन तलाक लेने की जरूरत नहीं पड़ती यानी इस में जटिलताएं कम हैं. विदेशों में तो लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए कपल बच्चे भी पैदा करते हैं और जब मन किया अलग हो जाते हैं.
अवार्ड या बौक्स औफिस कलैक्शन किस की चाहत?
अवार्ड से कलाकार को निजी सैटिस्फैक्शन और बेहतर काम करने का उत्साह मिलता है. जबकि अच्छा बौक्स औफिस कलैक्शन होने पर निर्माता दूसरी फिल्म बनाने के लिए प्रेरित होता है. चूंकि यह भी एक व्यवसाय है इसलिए बौक्स औफिस कलैक्शन भी बेहद महत्त्वपूर्ण है.
क्या आप बहुत चूजी हैं?
हां, फिल्मों के चयन को ले कर मैं बहुत चूजी हूं. मैं 18 साल की उम्र से काम करती आ रही हूं. इसलिए बारबार अपने को दोहरा नहीं सकती. मैं उन फिल्मों से कदापि नहीं जुड़ना चाहती, जिन्हें करने के बाद मुझे इरिटेशन हो.