मुंबई के खार उपनगर के वीडियो कैसेट लाइब्रेरी में काम कर चुके निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक मधुर भंडारकर ने ‘चांदनी बार’, ‘फैशन’, पेज थ्री जैसे रीयलिस्टिक फिल्मों से अपनी पहचान बनायी. वीडियो कैसेट लाइब्रेरी में काम करते हुए उन्हें बहुत सारी फिल्मों को देखने का मौका मिला और उन्होंने कहानी लिखना शुरू किया और फिल्म बनाने की बात सोची. उनका शुरुआती दौर बहुत संघर्षपूर्ण था, लेकिन फिल्म ‘चांदनी बार’ की सफलता उनकी बड़ी कामयाबी थी, जिससे उनका नाम निर्देशकों की सूची में सबसे ऊपर हो गयी.

इस समय वे अपनी फिल्म ‘इंदु सरकार’ को लेकर काफी व्यस्त हैं. तमाम विरोध के बाद अब 4 कट और यू/ए सर्टिफिकेट के बाद इसे पर्दे पर लाने की अनुमति मिल गयी है. उनसे मिलकर बात करना रोचक था, पेश है अंश.

फिल्म को सेंसर बोर्ड से पास करवाना कितना मुश्किल था?

सेंसर बोर्ड ने पहले 16 कट दिए थे और फिल्म का विरोध भी हुआ. ये सब होता रहता है, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और दिल्ली तक गया. मैं इस बात से काफी नाराज था कि जब मैंने ट्रेलर लौंच किया तो उसमें भी वही संवाद थे, पर तब तो किसी ने कुछ नहीं कहा. ये दोहरी मानसिकता क्यों है? ट्रेलर के लिए कुछ और फिल्म के लिए कुछ और. इस पर मुझे गुस्सा आया था. मुझे इस बात से दुःख भी हुआ कि अगर मैं कोई फिल्म बनाऊं और उसमें मुख्य बातों को न रखूं, तो फिल्म की आत्मा ही मर जाती है. इतना ही नहीं राजनेता भी इसमें शामिल हो जाते हैं, हर कोई उठकर आ जाता है कि मैं उन्हें फिल्म दिखाऊं, ये कब तक चलता रहेगा. ये गलत चेन है. राजनीतिक पार्टी के सर्टिफिकेट पर फिल्म थिएटर में नहीं चल सकती. जब मैं सर्टिफिकेट ऑथोराईस्ड कमिटी से लूंगा तब क्लियर होगा. ये गलत है कि फिल्म को लेकर आप अपनी राजीनीति की रोटियां सेंक रहे हो.

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