हाल ही में हुए “89वे एकेडमी अवार्डस : ऑस्कर 2017” में एक भारतीय कलाकार के रूप में ‘बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल’ के लिए नॉमिनेट होकर देव पटेल ने कारनामा कर दिखाया है. इससे पहले भी साल 1982 में अभिनेता बेन किंगस्ले जो कि असल में भारतीय मूल के कलाकार हैं, उन्होंने ऑस्कर जीतकर, भारतीयों का गौरव बढ़ाया था, पर बेन को लेकर ऑस्कर की बात यहीं खत्म नहीं हुई, साल 1991, 2000 और 2003 में वे ऑस्कर में नॉमिनेट हुए.

आप में से बहुत कम लोगों को ये बात मालूम होगी कि 30 के दशक में ऑस्कर में नॉमिनेट होने वाली भारतीय मूल की एक और अदाकारा थीं ‘मर्ले ओबरॉन’. साल 1911 में मुंबई में जन्मी मर्ले, अपने जन्म के 17 सालों के बाद साल 1928 में इंग्लैंड चली गईं. वहां उन्हें फिल्‍ममेकर अलेक्‍जेंडर कोर्डा की फ़िल्म ‘द प्राइवेट लाइफ ऑफ हेनरी 8’ में मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला. बाद में कोर्डा और उन्होंने शादी भी कर ली.

मर्ले का वास्‍तविक नाम एस्‍टले थॉम्‍पसन था, जिसे फिल्म निर्देशक अलेक्‍जेंडर ने फिल्‍म में उन्हें शामिल करते समय बदल दिया था. और बस देखते ही देखते सिनेमा जगत में एस्‍टले, मर्ले के नाम से मशहूर हो गईं. उस समय की बातों पर ध्यान दें तो, मर्ले हॉलीवुड फिल्‍म में काम करने से पहले भी कोलकाता में किसी ड्रामेटिक सोसायटी में काम कर चुकी थीं.

अगर आप इतिहास उठाकर देखेगे तो, उन दिनों पश्‍चिम में रंगभेद का मुद्दा इतना ज्‍यादा प्रभावशाली था कि किसी भी दूसरे रंग के लोगों को फिल्मों में आने नहीं दिया जाता था और मर्ले को हॉलीवुड में बने रहने के लिए झूठ का सहारा लेना पड़ा था. उस समय रंगभेद के चलते फिल्मों में मिक्स्ड रेस की किसी महिला का होना स्वीकार्य नहीं था. उस समय फैले नस्लवाद से ये तो स्पष्ट था कि मर्ले की एंग्लो-इंडियन पृष्ठभूमि, उनके एक स्टार बनने की राह में एक बहुत बड़ी बाधा थी. इसलिए सारी परिस्थितियों को सामने रखकर उन्होंने ‘तस्मानिया’ को अपने नए जन्मस्थान के रूप में चुन लिया था क्योंकि वो अमेरीका और यूरोप से बहुत दूर भी था और उस समय आमतौर पर वहां के लोगों को ब्रिटिश ही माना जाता था. बाद में उन्होंने कहानी में ये भी सम्मिलित किया कि उनके पिता के साथ हुए एक दुर्घटना के बाद वे तस्मानिया से बोम्बे चली आईं थीं और इसलिए वे भारत में रह रही थीं. कई बार मर्ले बिना मेकअप के कैमरे के सामने आने से साफ इन्कार कर दिया करती थीं. ब्रिटिश इंडियन होने के कारण वे अंग्रेजों जितनी गोरी नहीं दिखती थीं और इसलिए अपने करियर को लेकर वे कोई खतरा नहीं उठाना चाहती थीं.

वैसे तो उनकी पहली फिल्म ‘द प्राइवेट लाइफ ऑफ हेनरी 8’ में भी उन्होंने बहुत प्रंशसा पायी थी, लेकिन इस फिल्म के बाद भी मर्ले ने कई बेहतरीन हॉलीवुड फिल्‍मों में काम किया. जिनमें से साल 1939 में रिलीज हुई फिल्म ‘वथरिंग हाइट्स’ और 1945 में आई ‘ए सांग टू रिमेंबर’ शामिल हैं, पर मर्ले ओबरॉन को साल 1935 में आई उनकी फिल्‍म ‘द डार्क एंगल’ के लिए ऑस्कर में सर्वश्रेष्‍ठ सहायक अभिनेत्री के तौर पर नामांकित किया गया था. हालांकि वे ये पुरस्‍कार जीत नहीं पायी थीं, पर बतौर पहली भारतीय अभिनेत्री, ऑस्कर में अपना स्थान बना पाने का खिताब उन्होंने अपने नाम कर लिया था.

नस्लीय रेखाओं को धुंधला कर देने के लिए ओबरॉन एकमात्र ही ऐसी अभिनेत्री थी जो उस युग में काम कर रही थी. हॉलीवुड के इतिहास में अभिनेत्री ओबरॉन शायद बदले हुए वंश का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है. मर्ले ओबरॉन 1973 में रिलीज हुई फिल्म ‘इंटरवल’ में आखिरी बार नजर आई थीं. साल 1979 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई थी.

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