पिछले कुछ वर्षों में बॉलीवुड में संगीत के क्षेत्र में कई नई प्रतिभाओं ने कदम रखा है और इनमें से कई सफल भी हैं. कुछ प्रतिभाओं ने तो ‘भाई भतीजावाद’ और ‘गैर फिल्मी’ अथवा ‘बाहरी होने’ का दंश झेलते हुए भी हिम्मत नहीं हारी. इसके पीछे इनकी सोच रही है कि बॉलीवुड में हर दिन हजारों प्रतिभांए आती हैं.
ऐसे में स्वाभाविक तौर पर हर किसी को संघर्ष करना पड़ता है. कुछ का संघर्ष रंग लाता है, तो कुछ का नहीं. ऐसा सिर्फ बॅालीवुड ही नहीं हर क्षेत्र में होता है. बॉलीवुड में ग्लैमर है, इसलिए हौव्वा कुछ ज्यादा ही बना हुआ है. ऐसी सोच के साथ निरंतर कुछ नया करने की चाह रखने वाले संगीतकार हैं, अमित मिश्रा.
पटना, बिहार में जन्में, वाराणसी में पले बढ़े और दिल्ली में फाइन आर्ट्स में गोल्ड मेडलिस्ट अमित मिश्रा बॉलीवुड के चर्चित संगीतकार हैं. कई टीवी सीरियल व फिल्मों को संगीत से संवारने के बाद इन दिनों वह परेश रावल, कार्तिक आर्यन, कृति खरबंदा व तनवी आजमी के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ को लेकर उत्साहित हैं. जिसमें उन्होंने शीर्ष गीत के अलावा एक सूफी गीत को संगीत से संवारा है. तथा नवेंदु त्रिपाठी लिखित गीत को नवेंदु त्रिपाठी और सुमित आनंद के साथ अमित मिश्रा ने स्वरबद्ध भी किया है.
हाल ही में उनसे लंबी बातचीत हुई, जो कि इस प्रकार रही.
आपने संगीत को ही करियर बनाने की बात कब सोची?
सच कहूं तो संगीत मुझे विरासत में मिला है. संगीत मेरी रगों में है. पर मैं पेंटर भी रहा हूं. दिल्ली विश्वविद्यालय से मैं फाइन आर्टस में गोल्ड मैडलिस्ट भी हूं.