फिल्म ‘पिपली लाइव’ से अभिनय के क्षेत्र में चर्चित हुए अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी मुजफ्फरनगर के एक छोटे से कस्बे बुढ़ाना के हैं. उन्हें बचपन से कुछ क्रिएटिव काम करने की इच्छा थी. फलस्वरूप दिल्ली आ गए और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर नाटकों में काम करने लगें. फिर कुछ दोस्तों के कहने पर मुंबई आयें और संघर्ष करते रहें. इस बीच वे कभी टूटे नहीं, क्योंकि उन्हें पता था कि एक दिन उनकी मंशा पूरी होगी. 12 साल की कठिन परिश्रम के बाद वे चर्चा में आये और आज एक लम्बी सफल फिल्मों की सूचीं उनके पास है. यही वजह है कि आज हर फिल्म निर्माता, निर्देशक उन्हें अपने फिल्मों में लेना पसंद करते हैं.
फिल्म ‘मुन्ना माइकल’ के प्रमोशन पर उनसे मुलाकात हुई, जहां उन्होंने खास तौर पर हमसे बात की और बताया कि कैसे वे इस मंजिल पर पहुंचे. आइये जाने उन्हीं से.
किसी भी फिल्म को चुनते समय किस बात का ध्यान रखते हैं?
फिल्मों को चुनने का तरीका बहुत अलग होता है. कितनी भी बड़ी प्रोडक्शन हाउस क्यों न हो, कितना भी पैसा क्यों न मिले, अगर मुझे भूमिका पसंद नहीं आई तो मैं फिल्म नहीं करता. मैं अपनी तरह की फिल्में करता हूं. मेरी खुद से चुनौती होती है. वैरायटी मुझे पसंद है और वह मुझे मिल रहा है. दरअसल फिल्म कोई भी हो स्टोरी वही पांच-छह ही पूरे विश्व में होती है. कहानी की सोच और बनाने का तरीका ही उसे अलग बनाती है.
फिल्म ‘मॉम’ बहुत अलग फिल्म है. मुन्ना माइकल ऐसी फिल्म है जिसे आप एन्जॉय कर सकते हैं, क्योंकि इसमें डांस, रोमांस, एक्शन, लव ट्रेंगल है. हर फिल्म की कहानी अलग होती है, उसके हिसाब से मैंने इसे चुना है, हर फिल्म में मैंने अलग दिखने की कोशिश की है.