भारतीय सिनेमा के लिए औस्कर अवार्ड हमेशा ही चर्चा का विषय रहा है. इस साल भारत की तरफ से इस अवार्ड के लिए विदेशी फिल्म कैटेगरी में ‘न्यूटन’ को नामित किया गया है. राजकुमार राव अभिनीत ये फिल्म 22 सितंबर को ही रिलीज हुई है.

न्यूटन मिडल क्लास फैमिली के न्यूटन कुमार उर्फ नूतन कुमार की कहानी है. यह फिल्म शुरू से अंत तक आपको बांधने का दम रखती है. न्यूटन एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों की एक खास क्लास के लिए है, जिन्हें रिएलिटी को स्क्रीन पर देखना पसंद है. वहीं तारीफ करनी होगी यंग डायरेक्टर अमित मसुरकर की जिन्होंने एक कड़वी सच्चाई को बौलीवुड मसालों से दूर हटकर पेश किया है.

राजकुमार ने इस फिल्म में अपनी लाजवाब ऐक्टिंग और किरदार को अपने अंदाज में जीवंत बना दिया है. अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग के कारण राजकुमार इस अवार्ड के दावेदारों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं. इसके अलावा फिल्म में पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, अंजलि पाटिल, रघुबीर यादव भी अहम भूमिकाओं में हैं.

इस फिल्म को जिस तरह क्रिटिक्स और दर्शकों की एक क्लास की जमकर तारीफें मिल रही हैं उसे देखकर पहले ही कहा जा रहा था कि फिल्म देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित फेस्टिवल में अपने नाम कई अवार्ड करने वाली है.

यहां ये जानना भी जरूरी है कि भारत ने अब तक एक बार भी विदेशी भाषा कैटेगरी में कोई औस्कर नहीं जीता है. बीते साल तमिल फिल्म विसारानाई को भी इस कैटेगरी में नामित किया गया था, लेकिन ये भी बहुत जल्द ही इस रेस से बाहर हो गई थी.

इससे पहले अपुर संसार (1959), गाइड (1965), सारांश (1984), नायकन (1987), परिंदा (1989), अंजलि (1990), हे राम (2000), देवदास (2002), हरिचन्द्रा फैक्ट्री (2008), बर्फी (2012) और कोर्ट (2015) को भी भारत की तरफ से औस्कर के लिए नामिनेट किया जा चुका है.

यहां तक कि फाइनल लिस्ट तक पहुंचने वाली फिल्मों में भी भारत की ओर से सिर्फ तीन फिल्म, महबूब खान की मदर इंडिया (1957), मीरा नायर की सलाम बौम्बे (1988) और आशुतोष गोवारिकर की लगान (2001) ही शामिल है.

अब देखना होगा कि न्यूटन का चयन भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को औस्कर की दौड़ में कितना आगे तक लेकर जाता है.

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