विज्ञापनों से अभिनय के क्षेत्र में उतरी अभिनेत्री यामी गौतम को फिल्म ‘विकी डोनर’ से प्रसिद्धी मिली. हालांकि उन्होंने अपना कैरियर टीवी से शुरू किया था, लेकिन हमेशा से उन्हें फिल्मों में काम करने की इच्छा रही. 20 साल की उम्र में वह अभिनय के लिए मुंबई आई और जो भी काम मिला करती गईं. स्वभाव से नम्र और हंसमुख यामी की कुछ फिल्में सफल तो कुछ असफल रहीं, लेकिन उस पर वह ध्यान नहीं देती, इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने के बावजूद काम के मिलने को अपना लक समझती हैं. हिंदी के अलावा उन्होंने पंजाबी,तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़ आदि सभी भाषाओं में फिल्में की हैं. इस समय वह फिल्म ‘काबिल’ के प्रमोशन पर हैं, जिसे लेकर वह काफी खुश हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था. पेश है कुछ अंश.

प्र. इस फिल्म का मिलना कैसे हुआ? कितनी खुश हैं?

ये फिल्म मेरे लिए बड़ी बात है, केवल स्क्रिप्ट ही नहीं, ऋतिक रोशन के साथ काम करना, संजय गुप्ता द्वारा निर्देशन किया जाना, राकेश रोशन के द्वारा बनाया जाना आदि सब मेरे लिए एक्साइटमेंट है.

प्र. आपने इसमें एक अंधी लड़की की भूमिका निभाई है, अपने आप को कैसे तैयार किया?

ये कोई एक दो दिन में नहीं हुआ, काफी समय लगा. जिससे वह रियल लगे. हमने काम के दौरान मिलकर‘एक्स्प्लोर’ किया है. मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, बहुत सारें यू ट्यूब पर रियल वीडियो देखी, जिसमें वे कैसे खाना बनातेहैं, कैसे चलते हैं, कैसे बात करते हैं, उनका बॉडी लैंग्वेज कैसा होता है आदि सारी बारीकियों को देखा. फिर ऋतिक ने बहुत सहयोग दिया, जिससे काम करना आसान हो गया.

प्र. निर्माता राकेश रोशन ने आपको क्या टिप्स दिए?

उनका कहना था कि लड़की आंखों से देख नहीं सकती, पर वह हर जगह जाने के लिए आजाद है. वह मासूम है पर उसका व्यवहार आम लड़की की तरह ही होना चाहिए. मैंने जब कहा कि मैं बहुत नर्वस हूं तो उन्होंने कहा कि मैं भी अपनी हर फिल्म में नर्वस होता था. ये अच्छी बात है और ऋतिक से हेल्प लेने की बात कही.

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