क्रिकेटर एम एस धोनी की बायोपिक फिल्म ‘‘एम एस धोनी अनटोल्ड स्टोरी’’ को मिली अपार सफलता के बाद अब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर के जीवन पर फिल्मकार जेम्स अर्कस्क्रीन डाक्यूड्रामा फिल्म ‘‘सचिन : ए बिलियन ड्रीम्स’’ लेकर आए हैं. दोनों ही फिल्में क्रिकटरों की होने के बावजूद बहुत अलग हैं. इसलिए दर्शक को इन दोनों फिल्मों की तुलना करने से बचना होगा. क्योंकि ‘‘एम एस धोनी अन टोल्ड स्टोरी’’ में क्रिकेटर एम एस धोनी की कहानी में कल्पना का पुट भी था. जबकि ‘सचिनःए बिलियन ड्रीम्स’ में कुछ भी काल्पनिक नहीं है.
फिल्म ‘‘सचिनः ए बिलियन ड्रीम्स’’ एक मध्यमवर्गीय परिवार के लड़के की अपने परिश्रम के बलबूते शोहरत की बुलंदियो पर पहुंचने की दास्तान है. जो कि हर इंसान खास तौर पर युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का सबक बन सकती है. इस फिल्म में सचिन की मेहनत, ईमानदारी, सकारात्मक सोच का चित्रण है. सचिन ने तुरंत सफलता पाने के लिए जोड़तोड़ यानी कि शार्ट कट रास्ता नहीं अपनाया. मगर जैसा कि हर इंसान की आटोबायोग्राफी की किताब में उसके जीवन के नकारात्मक पहलुओं पर कम बात होती है, उसी तरह इस फिल्म में भी कुछ कमियां नजर आती हैं. मसलन-बचपन के दोस्त सचिन और विनोद कांबली के बीच करियर के लगभग अंतिम पड़ाव के वक्त जो दरार आयी थी, उस पर यह फिल्म कुछ नहीं कहती. जबकि सचिन व विनोद कांबली की लंबी पारी का जिक्र यह फिल्म करती है. वैसे इस फिल्म में सचिन की जिंदगी के कई वास्तविक वीडियो समाहित किए गए हैं.
फिल्मकार जेम्स अर्कस्क्रीन ने फिल्म की शुरुआत बहुत भावनात्मक मोड़ से की है. शुरुआत एक वीडियो से होती है, जिसमें सचिन अपनी बेटी सारा को गोद में लिए हुए हैं. उस वक्त पहली बार अपनी बेटी को गोद में लेते हुए सचिन ने कहा था-‘मुझे बहुत डर लग रहा है, इसे पकड़ने में.’ उसके बाद कहानी सचिन के बचपन में चली जाती है. बचपन में वह बड़े शरारती थे, पर जब उनकी बड़ी बहन कश्मीर से लाया गया बैट यानी कि बल्ला उपहार में सचिन को देती हैं और यहीं से सचिन की जिंदगी बदल जाती है.