बौलीवुड संकट में है. हर सप्ताह प्रदर्शित हो रही फिल्में औंधे मुंह गिर रही है. कुछ लोग इसे ‘बौयकाट बौलीवुड’’ वजह बता कर अपनी गलतियों पर परदा डालते जा रहे हैं. जबकि हकीकत यह है कि कोविड के बाद जितनी भी हिंदी फिल्में बौक्स आफिस पर पिटी हैं, वह सभी फिल्में कहानी, पटकथा, निर्देशन व कलाकारों के घटिया अभिनय से ही सराबोर रही है.

सभी फिल्में मनोरंजन परोसने में विफल रही हैं. अब इस बात का अहसास फिल्मकारों को होने लगा है. तभी तो चार दिन पहले स्वरा भास्कर, मेहर विज, शिखा तलसानिया व पूजा चोपड़ा के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘जहां चार यार’’ के निर्माता विनोद बच्चन ने ऐलान किया था कि दर्शक उनकी फिल्म ‘‘जहां चार यार’’ को सिर्फ एक दिन सोलह सितंबर को पचहत्तर रूपए में देख सकेंगे.

फिल्म ‘जहां चार यार’’ चार शादीशुदा महिलाओं की दोस्ती और रोड ट्रिप की कहानी है. यह चारों महिलाएं छोटे शहर से हैं. यूं तो चारों मध्यमवर्गीय परिवार से ही हैं, मगर इनमें से एक अमीर है. यह चारों महिलाएं अपनी गृहस्थ जिंदगी में फंसकर अपनी जिंदगी जीना भूल चुकी हैं.

फिल्म ‘‘जहां चार यार’’ के निर्माता विनोद बच्चन ने जब यह घोषणा फेसबुक पर की थी, तब लगा था कि उन्होने सिनेमाघर मालिको के संग कुछ अलग तरह का अनुबंध कर ऐसा कर रहे हैं. मगर हकीकत यह है कि फिल्मों के लगातार असफल होने से सिनेमाघर मालिक और मल्टीप्लैक्स मालिक भी जबरदस्त नुकसान उठा रहे हैं. और इन सिनेमाघरों के सामने सिनेामघर बंद करने का संकट आ गया है. उधर हर तबके से सिनेमाघरों में टिकटों के दाम घटाने की भी मांग हो रही थी.

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