कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिसे आप बार बार देखना पसंद करते हैं और कितनी भी बार देख लें उसे फिर देखने का मन कर ही जाता है. फिल्म के डॉयलोग से लेकर गाने तक में आप बार बार तालियां बजा उठते हैं. ऐसी ही एक फिल्म है चक दे इंडिया.
9 साल पहले ये फिल्म रिलीज हुई थी लेकिन आज भी हम उस फिल्म को क्यूं याद कर रहे हैं! इस सवाल का जवाब का है शाहरुख खान और इस फिल्म में अन्य कास्ट का शानदार अभिनय और फिल्म की दिल छूने वाली कहानी. फिल्म कई मायनों में अहम थी. कबीर खान के रोल में शाहरुख ने अपनी जान फूंक दी थी.
बहरहाल, आज 9 सालों के बाद हम एक बार फिर फिल्म से जुड़ी कुछ बातें, कुछ यादें ताजा करने जा रहे हैं. बता दें, जिस फिल्म को आज शाहरुख के कॅरियर के बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है, उसके लिए शाहरुख पहली पसंद नहीं थे. जी हां शाहरुख से पहले यह किरदार सलमान खान को ऑफर किया गया था. लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया.
वैसे कहना गलत नहीं होगा की जितने शानदार तरीके से इस रोल को शाहरुख खान ने निभाया कोई और स्टार निभा ही नहीं सकता था.
चक दे इंडिया से जुड़ी कुछ यादें
इंडिया
सलमान खान को फिल्म के नाम में इंडिया शब्द से आपत्ति थी. लेकिन शाहरुख का यह डॉयलोग काफी फेमस हुआ था मुझे स्टेट्स के नाम ना सुनाई देते हैं, न दिखाई देते हैं. सिर्फ एक ही मुल्क का नाम सुनाई देता है. I-N-D-I-A
वार सामने वाले के दिमाग पर करो
वार करना है तो सामने वाले के गोल पर नहीं, सामने वाले के दिमाग पर करो. गोल खुद-ब-खुद हो जाएगा.
70 मिनट
ये है फिल्म का सबसे फेमस डॉयलोग. सत्तर मिनट, सत्तर मिनट हैं तुम्हारे पास. शायद तुम्हारी जिंदगी के सबसे खास 70 मिनट.
टीम
हर टीम में सिर्फ एक ही गुंडा हो सकता है. और इस टीम का गुंडा मैं हूं.
तिरंगा
पहली बार किसी गोरे को भारत का तिरंगा लहराते देख रहा हूं.
पीछे से नहीं
पीछे से नहीं, मर्दों की तरह आगे से लड़ो. वो क्या है, हमारी हॉकी में छक्के नहीं होते.
इंडिया के लिए
इस टीम को सिर्फ वो प्लेयर्स चाहिए, जो पहले इंडिया के लिए खेल रहे हैं, इंडिया फिर अपनी टीम, अपनी साथियों के लिए और उसके बाद भी अगर थोड़ी बहुत जान बच जाती है तो अपने लिए.