बचपन से अभिनय में रुचि रखने वाली 26 वर्षीय अभिनेत्री श्रद्धा कपूर को बचपन से फिल्में देखने का शौक था. फिल्मी माहौल में पलीबढ़ी श्रद्धा ने कुछ फिल्में तो कईकई बार देखीं. ‘प्यासा’ फिल्म उन की सब से पसंदीदा फिल्म है. अभिनेता शक्ति कपूर और शिवांगी कपूर की बेटी श्रद्धा ने ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए जब बोस्टन यूनिवर्सिटी में ऐडमिशन लिया तभी उन्हें ‘तीन पत्ती’ फिल्म में काम करने का अवसर मिला. तब श्रद्धा ने पढ़ाई बीच में छोड़ दी. मगर फिल्म फ्लौप रही. इस के बाद उन्होंने यशराज की फिल्म ‘लव का दि ऐंड’ में काम किया, मगर वह भी कुछ खास नहीं चली. फिर ‘आशिकी 2’ ने श्रद्धा को रातोंरात स्टार बना दिया. इस के बाद की उन की ‘एक विलेन’, ‘हैदर’, ‘एबीसीडी-2’ आदि फिल्में सुपरहिट रहीं. बचपन की बातों को जब श्रद्धा याद करती हैं, तो उन्हें खुद पर हंसी आती है. फिल्मों में उन के पिता खलनायक की भूमिका निभाते थे, तो उन्हें अच्छा नहीं लगता था. स्कूल में भी लड़कियां उन के खलनायक की बेटी होने की वजह से उन से दोस्ती नहीं करती थीं. इसलिए जब वे पिता को खलनायक की भूमिका में देखती थीं तो चिल्लाने लगती थीं. उस समय मां उन्हें समझाती थीं कि वे केवल भूमिका निभा रहे हैं. पिता के हास्य किरदार श्रद्धा को बहुत पसंद हैं. असल जिंदगी में उन के पिता बेहद मजाकिया स्वभाव के हैं. घर में हमेशा फिल्मों से संबंधित बातें ही होती हैं और किसी फिल्म को चुनते समय वे मातापिता की राय अवश्य लेती हैं.

श्रद्धा कपूर सिर्फ अभिनेत्री ही नहीं वरन अच्छी सिंगर भी हैं. उन्हें सादगी बहुत पसंद है. वे फिल्मों में जैसी रोमांटिक भूमिकाएं निभाती हैं असल जिंदगी में भी वैसी ही रोमांटिक हैं. श्रद्धा जीवन में प्यार को बहुत अहमियत देती हैं. वे कहती हैं कि प्यार में दीवानगी होनी जरूरी है. वे लाइफ पार्टनर भी ऐसा चाहती हैं, जो उन की जिंदगी को दिलचस्प बना दे. लैक्मे की ब्रैंड ऐंबैसेडर बनी श्रद्धा कपूर से बात करना काफी दिलचस्प रहा. पेश हैं, उसी बातचीत के कुछ रोचक अंश:

एक बार फिर से लैक्मे के साथ जुड़ना कैसा लग रहा है?

पहली बार जब लैक्मे की फेस बनी थी, तो अभिनय का मौका मिला. दूसरी बार भी अच्छा लग रहा है.

किसी ब्रैंड से जुड़ते वक्त किस बात का ध्यान रखती है?

मैं सब से पहले उस की गुणवत्ता को परखती हूं. मैं खुद उसे प्रयोग करती हूं, क्योंकि यह मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं किसी ब्रैंड के बारे में लोगों तक सही जानकारी पहुंचाऊं.

आप का अब तक का फिल्मी सफर कैसा रहा?

मुझे कभी असफलता तो कभी सफलता मिली, पर मैं ने दोनों हालात में तालमेल बैठाना सीखा. मुझे दोनों का अनुभव है लेकिन मैं हमेशा अच्छा काम करने की कोशिश करती हूं.

आप के काम में परिवार का सहयोग कितना रहा?

सच कहूं तो परिवार का ज्यादा सहयोग नहीं रहा. लेकिन फिल्मी माहौल में पलीबढ़ी होने की वजह से धीरेधीरे मैं खुद सब संभालती गई.

कंट्रोवर्सी को कैसे लेती हैं?

यह निर्भर करता है कि कंट्रोवर्सी कैसी है. कुछ पर दुखी होती हूं तो कुछ से मुंह फेर लेती हूं.

फिल्मों में अंतरंग दृश्यों को ले कर क्या कहना चाहेंगी?

अंतरंग दृश्य भी बाकी दृश्यों की तरह ही होते हैं. मैं अभिनेत्री होने के नाते निर्देशक की सोच को दिमाग में रख कर अभिनय करती हूं.

ऐक्टिंग में आने के बाद जीवन में क्या बदलाव आया?

मैं ने बचपन के सारे ड्रीम्स छोड़ दिए हैं. मैं इस जीवन के हर पल को अच्छी तरह जीना चाहती हूं.

जीवन की खट्टीमीठी यादें कौनकौन सी हैं?

अगर आप ने सपना देखा है तो उसे सच करना भी आप के हाथ में है. इस में मुझे मेरे मातापिता ने बहुत सहयोग दिया. उन्होंने अच्छे स्कूलोें में मेरी स्कूल की शिक्षा पूरी करवाई. बोस्टन यूनिवर्सिटी में एक साल पढ़ने के बाद जब मैं ने फिल्मों में काम करने का फैसला लिया तो उन्होंने मेरे इस फैसले का सम्मान किया. मेरे जीवन की बैस्ट अचीवमैंट मेरी वे फिल्में हैं, जिन्हें दर्शकों ने पसंद किया.  

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