80 और 90 के दशक में हिंदी सिनेमाजगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाली अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को आज भी दर्शक फिल्मों में देखना पसंद करते हैं. वे सिर्फ एक अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि डांसिंग दीवा भी हैं. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने कई बेहतरीन फिल्में दी हैं, जिन में ‘तेजाब’, ‘रामलखन’, ‘त्रिदेव’, ‘बेटा’, ‘खलनायक’, ‘कोयला’, ‘देवदास’, ‘मृत्युदंड’, ‘डेढ़ इश्किया’, ‘गुलाब गैंग’ आदि प्रमुख हैं. उन्होंने बचपन से कत्थक डांस सीखा है और आज भी कई फिल्मों और डांस रिऐलिटी शोज में परफौर्म करती देखी जाती हैं.
जब माधुरी कैरियर के शिखर पर थीं, तब उन्होंने अमेरिका में रहने वाले डा. श्रीराम माधव नेने से शादी की और वहां चली गईं. फिर 2 बच्चों आरिन और रयान की मां बनीं. करीब 10 साल साधारण गृहिणी की तरह जीवन बिताया. फिर 2011 में माधुरी मुंबई आ गईं. फिल्म ‘आ जा नच ले’ से दूसरी पारी शुरू की, जो अधिक सफल नहीं रही. फिल्मों से अधिक वे विज्ञापनों और रिऐलिटी शोज में देखी जाती हैं.
हंसमुख और नम्र स्वभाव की माधुरी कभी तनाव नहीं लेतीं. फिर से अभिनय के क्षेत्र में आने का श्रेय वे अपने पति को देती हैं, जो हमेशा उन का साथ देते हैं. माधुरी को जब भी समय मिलता है, बच्चों के साथ बिताती हैं. यही वजह है कि आज वे एक सफल अभिनेत्री होने के साथसाथ एक सफल पत्नी और मां भी हैं. उन से हुई बातचीत इस प्रकार है:
आजकल फिल्मों में अधिक न दिखने की क्या वजह है? क्या महिलाओं को आज भी फिल्मों में काम मिलना मुश्किल हो रहा है?
मैं 2 सालों से स्क्रिप्ट पढ़ रही हूं. अभी तक कोई पसंद नहीं आई है. मैं खुश हूं कि आजकल महिलाओं को केंद्र मान कर फिल्में बनाई जा रही हैं. दर्शक भी उन्हें पसंद कर रहे हैं. पहले महिलाओं को केवल ऐक्टिंग और मेकअप के काम में देखा जाता था. आज की महिलाएं फिल्में लिखना और बनाना दोनों काम कर रही हैं, जो अच्छी बात है. आज की महिला कोई विक्टिम नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में आगे है.
परिवार के साथ काम कैसे संभालती हैं?
शादी से पहले जिंदगी अलग थी. तब मैं केवल अपनेआप तक ही सीमित थी. लेकिन जब शादी हुई और बच्चे हुए तो जिंदगी ने अलग करवट ली. असल में मेरा एक सपना था, जिस में पति और बच्चे शामिल थे. जब वह पूरा हुआ तो आगे सोचने वाली कोई बात नहीं रही. जब मैं अमेरिका में थी, तो घरेलू महिला की तरह सब काम किया करती थी. जब मुंबई आई, तो बच्चे थोड़े बड़े हो चुके थे. ऐसे में पति का साथ सब से अधिक मिला. पहले तो मुझे डर था कि पता नहीं बच्चे यहां के माहौल में ऐडजस्ट कर पाएंगे या नहीं, क्योंकि वहां का रहनसहन और स्कूल सब अलग थे. पहले तो बच्चे घर से निकलना नहीं चाहते थे, पर धीरेधीरे उन्होंने तालमेल बैठा लिया. अभी हम दोनों ने अपना काम बांट लिया है. जिसे जब समय मिलता है बच्चों को संभाल लेता है.
क्या आप के बच्चे आप की फिल्में देखते हैं?
उन्हें मेरी फिल्में पसंद नहीं आतीं. एक बार मेरा एक बेटा ‘कोयला’ फिल्म देख रहा था. उसे मेरा अभिनय जरा भी पसंद नहीं आया. अत: उस ने नोट लिख छोड़ा था कि आप इतना खराब अभिनय क्यों करती हैं? लेकिन उन्हें मेरे डांस के कार्यक्रम बहुत पसंद हैं.
आप बच्चों के साथ कितना समय बिता पाती हैं?
बच्चे मेरी खुशी हैं. उन के साथ जब भी समय मिलता है हंसती हूं, बातें करती हूं, खेलती हूं. कब कैसे करती हूं, पता नहीं चलता. घर पहुंच कर जैसे ऐनर्जी दोगुनी हो जाती है.
बच्चों की ग्रोथ में किस बात का ध्यान रखती हैं?
अभी तो वे छोटे हैं, पर इतना ध्यान जरूर रखती हूं कि उन्हें जो अच्छा लगे वह करें. मुझ पर कभी कोई पाबंदी नहीं थी, इसलिए मैं भी उन्हें पूरी आजादी देती हूं.