हिंदी सिनेमा जगत की मशहूर खान तिकड़ी में से एक आमिर खान अपने संजीदा अभिनय और सादगी भरे जीवन के लिए जाने जाते हैं. अंग्रेजी में कहावत है- “एक्शन स्पीक्स लाउडर दैन वर्डस” यानी बातों की बजाय आपका काम आपके बारे में सब कुछ बयां करता है. यह बात ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर पर एकदम सटीक बैठती है.
14 मार्च 1965 को जन्मे आमिर आज 52 साल के हो गए हैं. करियर के शुरुआती दौर में अपनी चॉकलेटी छवि से लाखों लड़कियों के दिलों पर राज करने वाले आमिर का एक खास टशन है और वह यह कि वह साल में एक फिल्म ही करते हैं. इसके बावजूद उनकी हर फिल्म का प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार रहता है. भारत सरकार के ‘अतुल्य भारत’ अभियान से देश की छवि को सशक्त कर चुके आमिर पिछले दिनों असहिष्णुता पर अपने बयान के चलते विवादों में रहे.
आमिर अभिनय के साथ फिल्म निर्माण और निर्देशन में भी छाप छोड़ चुके हैं. वह अपनी बात बेबाकी से रखते हैं, जो कम ही लोगों में देखने को मिलता है. वह आज सफलता की जिन ऊंचाइयों पर हैं, वहां पहुंचना उनके लिए आसान नहीं रहा. हालांकि, आमिर की पारिवारिक पृष्ठभूमि फिल्म उद्योग जगत से जुड़ी हुई है. उनके पिता ताहिर हुसैन फिल्म निर्माता और चाचा ताहिर हुसैन अभिनेता, निर्माता और निर्देशक रह चुके हैं.
आमिर ने 1973 में फिल्म ‘यादों की बारात’ में बाल कलाकार के रूप में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. उसके बाद ‘होली’ (1984) से अभिनेता के तौर पर अपने करियर का आगाज किया. उन्हें ‘कयामत से कयामत तक'(1988) से विशेष कामयाबी मिली. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित कलाकार का अवॉर्ड मिला.
1996 में ‘राजा हिंदुस्तानी’ आमिर के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म मानी जाती है. इस फिल्म के लिए आमिर को आठ नामांकनों के बाद सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला.
‘दिल’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘जो जीता वही सिकंदर’, ‘हम हैं राही प्यार के’, ‘अंदाज अपना अपना’, ‘अकेले हम अकेले तुम’, ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘इश्क’, ‘गुलाम’, ‘सरफरोश’, ‘मन’, ‘अर्थ’, ‘मेला’, ‘लगान’, ‘दिल चाहता है’, ‘मंगल पांडे: द राइजिंग’, ‘रंग दे बसंती’, ‘फना’, ‘तारे जमीं पर’, ‘गजनी’, ‘थ्री इडियट्स’, ‘धोबीघाट’, ‘तलाश: द आंसर लाइज वीदिन’, ‘धूम 3’ ‘पीके’ और ‘दंगल’ जैसी फिल्में उनके सशक्त अभिनय का प्रमाण हैं.
आमिर ने 2001 में ‘आमिर खान प्रोडक्शन्स’ नाम से फिल्म निर्माण कंपनी की शुरुआत की. उन्होंने इसके बैनर तले ‘लगान’ फिल्म बनाई. इसका निर्देशन भी उन्होंने ही किया. ‘लगान’ को सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए 74वें अकादमी पुरस्कार में भारत की ओर से चुना गया था. इसके बाद 2007 में उन्होंने अपने प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म ‘तारे जमीन पर’ बनाई. इसके बाद ‘जाने तू या जाने ना’, ‘पीपली लाइव’, ‘धोबी घाट’, ‘डेल्ही बैली’ और ‘तलाश’ आमिर के ही प्रोडक्शन हाउस से ही हैं, जिन्होंने अच्छा कारोबार किया.
2012 में आमिर ने टेलीविजन शो ‘सत्यमेव जयते’ के साथ छोटे पर्दे का रुख किया. उन्होंने इस शो के माध्यम से देश के सामाजिक मुद्दों को बहुत ही गहराई से जनता के समक्ष रखा.
आमिर ने कुछ वर्ष पूर्व एक बयान में कहा था कि वह कर्म में विश्वास रखते हैं और फल की चिंता नहीं करते. उन्होंने 2009 में लंदन के प्रख्यात मैडम तुसाद संग्रहालय में अपनी मोम की प्रतिमा बनवाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जिन कार्यो में उनकी रूचि नहीं है, वह उसे करने में विश्वास नहीं रखते. आमिर ने हिंदी फिल्म उद्योग जगत पुरस्कार समारोहों में उचित पारदर्शिता नहीं बरतने के मद्देजनर इन समारोहों से दूरी बना रखी है.
आमतौर पर विवादों से दूर रहने वाले आमिर उस समय विवादों में फंस गए, जब उन्होंने देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर अपनी बात मीडिया से साझा की जिसके बाद उन्हें कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी. हालांकि, आमिर ने मीडिया के समक्ष अपना रुख स्पष्ट करते हुए भारत को सहिष्णु राष्ट्र बताया.
आमिर ने 1986 में ही रूढ़िवादी मान्यताओं को दरकिनार करते हुए रीना दत्ता से विवाह किया, लेकिन 2002 में उनका तलाक हो गया. 2005 में आमिर ने किरण से शादी कर ली. दोनों का सेरोगेसी प्रक्रिया से एक बेटा भी है, जिसका नाम आमिर ने आजाद राव खान रखा है.
आमिर को 2003 में पद्मश्री और 2010 में पद्मभूषण से नवाजा गया. उन्हें भारतीय सिनेमा और मनोरंजन उद्योग में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा जा चुका है.
आमिर खान अभिनीत इन फिल्मों को जरूर देखना चाहिए.
दंगल
फिल्म एक रेसलिंग ड्रामा है. इसमें रेसलर महावीर फोगाट की बेटियां गीता और बबिता के रेसलर बनने की कहानी को दिखाया गया है.
तारे जमीन पर
‘तारे जमीन पर’ एक ऐसे बच्चे की कहानी थी जो डिस्लेक्सिया की बीमारी से संघर्ष कर रहा है. इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि हर बच्चा खास है.
थ्री इडियट्स
फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ एक बार फिर अपने सपनों को पूरा करने का हौसला देती है.
रंग दे बंसती
‘रंग दे बंसती’ कॉलेज से निकलें उन युवाओं की कहानी थी जो देश के तौर तरीकों से खफा थें. ये कहानी युवाओं के अंदर के जोश और सिस्टम से लड़ने को जज्बे को दिखाने की कोशिश करती है.
पीके
आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ को लेकर काफी कंट्रोवर्सिज हुईं क्योंकि इस फिल्म में मानवता को धर्म से बड़ा बताया गया था.
पीपली लाइव
आमिर की ‘पीपली लाइव’ किसानों की आत्महत्या पर सरकार और मीडिया के रवैये को दिखाती कहानी है.