रेटिंग: साढे़ तीन स्टार

निर्माता व निर्देशक: सुधीर मिश्रा
लेखक: भावेश मंडालिया
कलाकारः नवाजुद्दीन सिद्दिकी,  इंदिरा तिवारी, अक्षत दास, श्वेता बसु प्रसाद,  नासर, संजय नार्वेकर व अन्य
अवधिः एक घंटा 54 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स

जून 2010 में मनु जोसेफ का एक उपन्यास ‘‘सीरियस मेन’’ प्रकाशित हुआ था और देखते ही देखते यह काफी लोकप्रिय हो गया था. अब इसी उपन्यास पर इसी नाम से फिल्मकार सुधीर मिश्रा फिल्म लेकर आए हैं, जो कि दो अक्टूबर से ‘‘ओटीटी’’प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर देखी जा सकती है. भारत के भविष्य को लेकर जो सपने दिखाए जा रहे हैं, उस पर यह फिल्म अति तीखा व्यंग है.

यह एक आम भारतीय की कहानी है, जो बेहतर जीवन जीने की आस को पूरा करने के लिए सारे नैतिक सिद्धांतो व मापदंडों की परवाह किए बगैर किसी भी हद तक जा सकता है.

कहानीः

फिल्म की कहानी के केंद्र में मुंबई के सिद्धांत और अनुसंधान संस्थान में एक ब्राह्मण खगोलशास्त्री डाॅ. अरविंद आचार्य (नासर)के सहायक के रूप में काम करने वाले मध्यम आयु के तमिल दलित अय्यन मणि(नवाजुद्दीन सिद्दिकी) के इर्द गिर्द घूमती है. जो कि मुंबई के वर्ली इलाके की बीडीडी चाल में किराए की खोली में अपनी पत्नी ओजा(इंदिरा तिवारी)और बेटे आदि के साथ रहता है. दलित होने के चलते उसने खेतों में काम करने वाले अपने माता पिता की तकलीफांे को देखा है. अपने समुदाय में वह पहला बालक था, जिसे पढ़ने का मौका मिला था. अब वह तय करता है कि जो कुछ उसके माता पिता या उसने इस समाज में झेला है,  वह सब वह अपने बेटे आदि(अक्षत दास)के जीवन में नही आने देगा.

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